क्‍या है हलाल ?

हलाल क्‍या है ?

अरबी शब्‍द ‘हलाल’ का अर्थ है इस्‍लाम के अनुसार वैध और स्‍वीकार्य; तो उसका प्रतिवाचक शब्‍द है ‘हराम’ अर्थात इस्‍लाम के अनुसार अवैध/निषिद्ध/वर्जित । ‘हलाल’ शब्‍द मुख्‍यत: खाद्यान्‍न एवं तरल पदार्थों के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है ।
इस्‍लामी विधियों के अनुसार ५ ‘अहकाम’ (निर्णय अथवा आज्ञाएं) मानी गई हैं । उनमें फर्ज फर्ज (अनिवार्य), मुस्‍तहब (अनुशंसित), मुबाह (तटस्‍थ), मकरूह (निंदनीय) और हराम (निषिद्ध) अंतर्भूत हैं । इनमें से ‘हलाल’ की संकल्‍पना में पहले ३ अथवा ४ आज्ञाएं अंतर्भूत होने के संदर्भ में इस्‍लामी जानकारों में मतभेद हैं ।

‘हलाल’ शब्‍द का मुख्‍य उपयोग मांस प्राप्‍त करने हेतु पशु की हत्‍या करने के संदर्भ में किया जाता है ।

अ. इसमें मुख्‍यरूप से कुरबानी करनेवाला (कसाई) इस्‍लामी विधि का पालन करनेवाला अर्थात मुसलमान होना चाहिए ।

आ. जिस पशु को हलाल करना है, वह पशु स्‍वस्‍थ और सशक्‍त होना चाहिए ।

इ. उसे खुले वातावरण में रखा जाना चाहिए ।

ई. उसे मारते समय (जबिहा करते समय) पहले इस्‍लामी प्रथा के अनुसार ‘बिस्‍मिल्लाह अल्लाहू अकबर’ कहा जाना चाहिए ।

उ. गले से चाकू घूमाते समय उस पशु की गर्दन मक्‍का स्‍थित काबा की दिशा में होनी चाहिए ।

ऊ. तत्‍पश्‍चात धारदार चाकू से पशु की सांसनलिका, रक्‍त को प्रवाहित करनेवाली नसें और गले की नसों को काटकर उस पशु का संपूर्ण रक्‍त बहने देना चाहिए ।

ए. इस पशु को पीडा न हो; इसके लिए पहले उसे बिजली का झटका देना अथवा अचेत करना निषेध माना गया है ।

इसके कारण पाश्‍चात्त्य देशों में इस पद्धति को अमानुषिक माना जाता है; परंतु इस्‍लाम के अनुसार केवल हलाल के मांस को ही पवित्र और वैध माना जाता है । इसके कारण आज अइस्‍लामी देशों में भी ७० से ८० प्रतिशत मांस हलाल पद्धति से अर्थात उक्‍त मापदंडों का पालन कर ही प्राप्‍त किया जाता है । केवल मछलियां और समुद्र में मिलनेवाले जलचरों के लिए हलाल पद्धति आवश्‍यक नहीं है । आज के काल के अनुसार हलाल और हराम ध्‍यान में आए; इसके लिए सरल नियम बनाने की ओर झुकाव है ।

‘हलाल’ में मांस सहित अंतर्भूत अन्‍य पदार्थ

अ. दूध (गाय, भेडी, बकरी और ऊंट का)

आ. शहद

इ. मछलियां

ई. मादक न होनेवाली वनस्‍पतियां

उ. ताजे और सूखे फल

ऊ. काजू-बदाम आदि सूखेमेवे

ए. गेहूं, चावल आदि अनाज

हराम अर्थात इस्‍लाम के अनुसार निषिद्ध बातें

इनमें मुख्‍यत: निम्‍मांकित बातें अंतर्भूत हैं ।

अ. सुअर, जंगली सुअर, उनकी प्रजाति के अन्‍य पशु तथा उनके अंगों से बनाए जानेवाले जिलेटिन जैसे अन्‍य पदार्थ

आ. नुकीले पंजेवाले तथा नुकीले खांगवाले हिंस्र और मांसाहारी प्राणी-पक्षी, उदा. सिंह, बाघ, वानर, नाग, गरुड, गीदड इत्‍यादि

इ. जिन्‍हें मारना इस्‍लाम के अनुसार निषेध है, उदा. चींटी, मधुमक्‍खियां, कठफोडवे इत्‍यादि

ई. भूमि एवं पानी इन दोनों स्‍थानों पर रहनेवाले उभयचर प्राणी, उदा. मगरमच्‍छ, मेंढक इत्‍यादि

उ. गधा और खच्‍चर, साथ ही सभी प्रकार के विषैले प्राणी

ऊ. गला दबाकर अथवा सिर पर आघात कर मारे गए पशु, साथ ही सामान्‍यरूप से मृत पशु और उनके अवशेष

ए. मनुष्‍य अथवा पशुओं के शरीर के अवकाश से बाहर आनेवाला रक्‍त एवं मल-मूत्र

ऐ. विषैले, साथ ही मादक वनस्‍पतियां

ओ. अल्‍कोहल अंतर्भूत पेय, उदा. मदिरा, स्‍पिरीट एवं सॉसेजेस

औ. विषैले, साथ ही मद उत्‍पन्‍न करनेवाले पेय तथा उनसे बनाए जानेवाले पदार्थ एवं रसायन

अं. ‘बिस्‍मिल्लाह’ न बोलकर इस्‍लामविरोधी पद्धति से बलि चढाए गए पशुओं का मांस

इस सूची से इस्‍लाम के अनुसार हलाल एवं हराम क्‍या है, यह स्‍पष्‍ट हुआ होगा । इस संदर्भ में कुरआन का आदेश होने तथा हराम के पदार्थ खाने से पाप लगने से, साथ ही मृत्‍यु के पश्‍चात दंडित किया जाएगा, इस भय से मुसलमान हलाल अन्‍न का आग्रह रखते हैं । हलाल पदार्थ बनाते समय उसमें हराम माने जानेवाले किसी एक भी घटक को अंतर्भूत किया गया, तो वह अन्‍न हलाल नहीं रहता । इसलिए सभी देशों में हलाल मांस की बडी मात्रा उपलब्‍ध की जाती है । आज भारत गैरइस्‍लामी देश होते हुए भी भारत से निर्यात किया जानेवाला मांस हलाल पद्धति का ही होता है । हलाल मांस होने की आश्‍वस्‍तता न होने पर मुसलमानों ने संबंधित लोगों पर धर्मभ्रष्‍ट किए जाने के अभियोग प्रविष्‍ट कर बडे-बडे प्रतिष्‍ठानों को करोडों रुपए की हानि-भरपाई का भुगतान करने के लिए बाध्‍य बनाया है । इसके कारण भी ‘हलाल’ संकल्‍पना को महत्त्व प्राप्‍त हुआ है ।