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वैलेंटाईन डे की पश्‍चिमी कुप्रथा छोडें !

हिंदुओ, ब्रिटिशोंका जूठा खानेकी अपेक्षा महान हिंदु संस्कृतिका आदर्श सामने रखकर उसका पालन करें !

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हिंदुओ, अपने पूर्वजोंने मकरसंक्रांति, होली, गुढीपाडवा, गणेशोत्सव तथा दीपावलीके समान विशेषतापूर्ण त्योहार किस प्रकार मनाए जाते हैं, यह सिखाया है; किंतु हम १ जनवरीको नववर्षारंभ, प्रेमिकाओंका दिन (‘वेलेंटाईन डे’), ‘मदर्स-डे’, ‘चॉकलेट डे’ इस प्रकारके अनेक विकृत ‘डे’ मनाते हैं । इन विभिन्न ‘डे’द्वारा वासना, कामांधता, विकृति, अश्लीलता एवं अनैतिकताका दर्शन होता है । ये सभी सुख क्षणिक हैं । इस प्रकारका अधर्माचरण करनेसे चरित्रका हनन होता है; भोगवाद/विलासवाद  फैलता है, कामांधता बढती है तथा अनाचारोंकी मात्रा बढती है ।

१. प्रेमिकाओंका दिन मनानेवाली वर्तमानकी युवापिढी !

युवक-युवतियां एकत्रित आकर १४ फरवरीका दिन प्रेमिकाओंका दिन मनाते हैं । इस दिन वे एक-दूसरेको भेंटवस्तु तथा फूल अथवा ‘पार्टी’ देकर प्रेम व्यक्त करते हैं । वैलेंटाईन डे मनाना, पश्‍चिमी संस्कृति की अनैतिकता का अनुसरण व हिन्दू संस्कृति का अवमूल्यन है ! आर्थिक लाभ हेतु प्रसारमाध्यम / शुभकामनापत्र-निर्माता इसका प्रसार करते हैं । इससे हिन्दुओं के एक दिन के राष्ट्रांतरण एवं धर्मांतरण को प्रोत्साहन मिलता है ।

२. अभिभावकोंके उचित-अनुचित पद्धतिका आचरण करनेवाले बालक !

यदि आपने प्रेमिकाओंका दिन २६ वें वर्षमें मनाया होगा, तो आपके बालक १६ वें वर्षमें ही वह मनाएंगे । यदि हममें अनैतिकताकी मात्रा ४० प्रतिशत होती है, तो बालकोंमें वह ७० प्रतिशत होती हुई दिखाई देगी । ध्यानमें रखें कि आपके बालक आपकी अपेक्षा सभी बातोंमें आगे बढ रहे हैं । यदि आप धर्माचरण कर रहे हैं, तो आपके बालक भी आपसे आगे बढकर धर्माचरण करेंगे । यदि आप अनैतिकताका आचरण करेंगे, तो भविष्यकी पीढी भी अनैतिक होगी ।

३. हिंदुओ, देशके लिए क्रांतिकारियोंद्वारा किए गए त्यागका स्मरण करें !

३ अ. क्रांतिकारियोंने देशकी स्वतंत्रताके लिए अपने प्राण अर्पण किए ।

हिंदुओ, अपने क्रांतिकारियोंने देशको स्वतंत्रता प्राप्त होनेके लिए अत्यंत परिश्रम किए । क्रांतिकारी देशके लिए फांसीपर चढ गए, अपने घरोंका त्याग किया, उस समय छोटे-छोटे बालक भी पथपर उतरे । क्या उन्होंने यह त्याग इस हेतु ही किया था कि हम अनैतिकताका आचरण करें ?
हमें यह बात ध्यानमें रखनी चाहिए कि ब्रिटिशोंने जब देशमें अनैतिकता फैलाना प्रारंभ किया, उस समय हमारी संस्कृतिपर होनेवाले तीव्र अन्यायका भान होकर लडाई करनेके लिए क्रांतिकारी उनके विरोधमें रस्ते पर उतरे । कुछ क्रांतिकारियोंके प्राणत्याग करनेके पश्चात ही भारतको स्वतंत्रता प्राप्त हुई है ।

३ आ. भारतीय संस्कृति विश्वकी एकमात्र महान संस्कृति होनेके कारण उसकी रक्षा करनेके लिए ही हमारे पूर्वजोंने त्योहार मनाना आरंभ किया तथा उसमें भी ब्रिटिशोंद्वारा अडचनें उत्पन्न करनेके कारण क्रांतिकारियोंने एकत्रित आकर आंदोलन किया !

क्रांतिकारयोंने भारत देश स्वतंत्र करनेके पीछे विशिष्ट उद्देश्य रखा था । हम हमारे देशमें प्राचीन कालावधिसे जो भी त्योहार-उत्सव मनाते आए हैं, वे उसी पद्धतिसे मनाए जाने चाहिए । त्योहारके दिन परिवारके सर्व सदस्य एकत्रित आनेके पश्चात देश तथा धर्मके संदर्भमें बातचीत होती थी । उनमेंसे ही देशप्रेम जागृत होकर पारिवारिक संबंध जतन किए जाते थे । क्रांतिकारियोंको इस बातका पता था कि हमारी संस्कृति विश्वकी एकमात्र महान संस्कृति है । उसका जतन करने हेतु हमारे पूर्वज त्योहार मनाते थे, साथ ही धर्माचरण भी करते थे । ब्रिटिशोंद्वारा उसमें अडचनें उत्पन्न करना आरंभ करते ही क्रांतिकारियोंने एकत्रित आकर ब्रिटिशोंके विरोधमें आंदोलन किया ।

४. भारतीय संस्कृति, क्रांतिकारियोंका त्याग, साथ ही माता-पिताद्वारा किया गया पालनपोषणका विस्मरण कर प्रेमिकाओंका दिन मनाना अर्थात अत्याधिक नीच वृत्तिका प्रदर्शन करना

हिंदुओ, ये प्रेमिकाओंका दिन हमारे मन एवं बुद्धिपर कौनसी संस्कृति अंकित करता है ? इससे आपके सामने कौनसा आदर्श स्थापित होता है ? इसका उत्तर आपके पास है; किंतु उसका उत्तर देनेमें आपको लज्जा आती है । प्रेमिकाओंका दिन अर्थात एक-दूसरेके अतिरिक्त अन्य कोई भी नहीं । वही सर्वस्व, उसके लिए ही जन्म, ऐसे मूढ भ्रममें रहनेवाले प्रेमी उस दिन मिलते हैं । प्रेमिकाओंका दिन मनाना, अर्थात इसे मूर्खताकी परमावधि ही कहनी पडेगी । ईश्वरने क्यों हमारी सृष्टि की है ? भारतकी संस्कृति, क्रांतिकारियोंका त्याग, साथ ही माता-पिताद्वारा किया गया पालनपोषण, इस सभीका विस्मरण कर हम प्रेमिकाका दिन मनाते हैं । एक कहावत है, पागल कुत्ता उनके स्वामीको कभी भी नहीं काटता; किंतु यहां मानव ही कुत्तेकी अपेक्षा नीच हो गया है ।

५. चरमसीमातक निर्ल्लज होनेवाले हिंदु !

१४ फरवरीको हिंदु प्रेमी-प्रेमिका माता-पिताका विस्मरण कर उनके मनके विरूद्ध आचरण करते हैं । उस क्षणिक सुखके लिए आत्महत्या तक के लिए भी प्रवृत्त होते हैं । क्या प्रेमिकाका दिन यही आदर्श सिखाता है ? इस प्रश्नका निर्लज्ज लोग `हां’ ऐसा ही उत्तर देते हैं । मूर्ख हिंदु प्रेमियों, यदि आप वास्तवमें हिंदुस्थानमें जन्मे हैं अथवा आपके माता-पिताने आपके बचपनमें आपपर अच्छे संस्कार किए हैं तथा आपको चरित्रहीन होनेसे दूर रहना है, तो १४ फरवरी, यह दिन मनाना छोड दें तथा उसे मनानेवालोंका प्रबोधन कर उन्हें इससे दूर करें, तो ही आपका जन्म सार्थक होगा ।

६. वैलेंटाईन डे क्यों न मनाएं ?

हिन्दुओं की विवाह संस्कृति संयमी व नैतिक प्रेमजीवन सिखाती है । इसीलिए भविष्य में राष्ट्र-धर्मप्रेमियों द्वारा स्थापित होनेवाले धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र में यह भोगवादी डे प्रथा नहीं रहेगी !

वैलेंटाईन डे का भयावह स्वरूप !

  • विश्‍व में वैलेंटाईन डे के दिनों में, न्यायालय में प्रविष्ट होनेवाले विवाह-विच्छेद के अभियोगों में ४० प्रतिशत वृद्धि होती हैं ! – एक निजी प्रतिष्ठान (कंपनी), अमरीका
  • भेंटवस्तुएं अधिक मात्रा में खरीदी जाने के कारण भारतीयों के २२ सहस्र करोड रुपयों से भी अधिक राशि लुट जाती है । – असोचेम उद्योग क्षेत्र का एक संगठन
  •  भारत में अनुमानतः १५ सहस्र करोड शुभकामना-पत्रों (ग्रीटिंग कार्ड) की ब्रिक्री होती है ।
  •  देहली के एक मेडिकल स्टोर के स्वामी ने बताया, वर्ष २०१४ में, १० फरवरी से ही निरोध व गर्भनिरोधक दवाइयों की मांग में १० गुना की वृद्धि हुई थी; जिससे अनेक स्टोर्स में यह सामान समाप्त हो गया था ।
  • वर्ष २०१३ में ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल स्नैपडील डॉट कॉम पर भारत में वैलेंटाईन डे पर एक ही दिन में डेढ लाख निरोध बिके !
  • निरोध की एक कंपनी के सर्वेक्षणानुसार, वैलेंटाईन डे के दिनों में निरोध की बिक्री २५ गुना बढती है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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