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धर्मरक्षा का इतिहास

१. अवतार

‘भगवानने युगों-युगोंसे अवतार धारण कर ‘सनातन वैदिक धर्म’पर, अर्थात ‘हिन्दू धर्मपर आक्रमण करनेवाले राक्षसोंका संहार कर धर्मरक्षा
का आदर्श निर्माण किया है । श्रीराम, श्रीकृष्ण और परशुराम, ये अवतार तो विशेषरूपसे प्रसिद्ध हैं ।

२. धर्मसंस्थापक

ईसा पूर्व ५ वीं शताब्दीमें बौद्धमतका प्रभाव बढ गया, उस समय उसका वैचारिक खण्डन कर आदि शंकराचार्यने हिन्दू धर्मकी श्रेष्ठता पुनः
प्रस्थापित की ।

३. सन्त-महात्मा

अ. सन्त एकनाथ महाराजने समाजको भागवतके विविध उदाहरण देकर अर्जुनकी भांति अधर्मके विरुद्ध प्रतिकार करने हेतु प्रवृत्त किया ।

आ. ‘‘दया अर्थात सर्व प्राणियोंके पालनकी वृत्ति; परन्तु उसके साथ निष्ठुर समाजकण्टकोंका निर्दलन करना भी दयाका अंग है ।’, यह उपदेश जगद्गुरु तुकाराम महाराजने दिया ।

इ. राष्ट्रगुरु समर्थ रामदासस्वामीके एक शिष्यको मुगल सरदारने पकड लिया था । यह ज्ञात होते ही समर्थ स्वयं वहां गए और उस सरदारकी पिटाई कर शिष्यको मुक्त करवाया ।

ई. एक बार नौकापर (जहाजपर) यात्राके समय एक विदेशी व्यक्तिने हिन्दू धर्मकी निन्दा करना प्रारम्भ कर दिया । उसी क्षण स्वामी विवेकानंद उस व्यक्तिका गला पकडकर गरजे, ‘‘इससे आगे यदि एक शब्द भी कहा, तो उठाकर समुद्रमें फेंक दूंगा !’’

उ. गोमन्तक (गोवा) में पुर्तगालियोंद्वारा धर्मांतरित सहस्रों हिन्दुओंको स्वधर्ममें लाने हेतु प.पू. मसूरकर महाराजने बडा शुद्धीकरण अभियान चलाया ।

४. राजा-महाराजा

राजा दाहिर (७ वीं शताब्दी), पृथ्वीराज चौहान (१२ वीं शताब्दी), सम्राट कृष्णदेवराय (१५ वीं शताब्दी), छत्रपति शिवाजी महाराज
(१६ वीं शताब्दी), बाजीराव पेशवा (१८ वीं शताब्दी) जैसे हिन्दू राजा- महाराजाओंने भी हिन्दू धर्मपर हुए विदेशी आक्रमणोंसे हिन्दू धर्मकी रक्षा की ।

अ. मुगलोंद्वारा मन्दिरोंको ध्वस्त कर बनाई गई अनेक मस्जिदोंको छत्रपति शिवाजी महाराजने तुडवाकर वहां पुनः मन्दिर स्थापित किए ।

आ. औरंगजेब द्वारा ध्वस्त किए गए काशी स्थित विश्‍वनाथजीके भग्न मन्दिरका जीर्णोद्धार पुण्यश्‍लोक अहिल्याबाई होळकरने इंदौरसे काशी जाकर किया ।

संदर्भ : सनातन का ग्रंथ,‘धर्मका आचरण एवं रक्षण’