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श्रीराम

श्रीराम अनेक श्रद्धालुओं के आस्थाकेंद्र हैं । कुछ हिंदुओं के ये सांप्रदायिक उपास्यदेवता हैं । बहुतांश उपासकों को देवतासंबंधी जो थोडी-बहुत जानकारी रहती है, वह अधिकतर पढी-सुनी कथाओं से होती है । ऐसी अल्प जानकारी के कारण देवताओं पर उनका विश्वास भी अल्प ही होता है । देवताओं की अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी से उनके प्रति श्रद्धा निर्माण होती है एवं श्रद्धा से भावपूर्ण उपासना होती है । भावपूर्ण उपासना से ईश्वर की अनुकंपा शीघ्र होती है । इसी उद्देश्य से इस लेख के अंतर्गत श्रीराम से सबंधित दुर्लभ तथा उपयुक्त जानकारी दी गई है ।

श्रीराम तत्त्व आकर्षित एवं प्रक्षेपित करनेवाली कुछ रंगोलियां

श्रीराम की पूजा से पूर्व तथा श्रीरामनवमी पर घर में अथवा देवालय में श्रीराम तत्त्व आकर्षित एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां बनाएं । उदाहरण के लिए इस लेख में कुछ रंगोलियों का चित्र दिया हुआ है ।

श्रीराम की उपासना

श्रीराम की उपासना से संबंधित नित्य के कुछ कृत्य किस प्रकार से करें, श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ, श्रीराम के कुछ प्रचलित नामजप इस विषय में जानकारी दि है ।

रामायण के कुछ प्रसंगों का भावार्थ

अधर्मरूपी रावणपर धर्मके प्रतीक रामकी विजय एवं रावणके सर्वनाशकी कथाको ही प्रमुखतः ‘रामायण’ कहते हैं । इस लेख में रामायण के कुछ प्रसंग, कैकेयी का वर मांगना, भरत का राम की पादुका मांगना, सीताहरण, इत्यादी का भावार्थ देखते है ।

विशेषताएं एवं कार्य

श्रीराम ने धर्म की सर्व मर्यादाओं का पालन किया; इसी कारण उन्हें ‘मर्यादा-पुरुषोत्तम’ कहते हैं । ‘श्रीराम ने प्रजा को भी धर्म सिखाया । श्रीराम सर्वार्थ से आदर्श है । इस लेख में देखते है श्रीराम विशेषताएं एवं कार्य ।