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रसोई के आचार

हिंदू संस्कृति कहती है, ‘आहारकी सामग्री सात्त्विक होनेके साथ ही उसे बनानेकी पद्धति भी सात्त्विक होनी चाहिए ।’ कुछ वर्ष पूर्व सर्वप्रथम गोबरसे भूमि लीपने, चूल्हेकी पूजा करने एवं अग्निमें चावलकी आहुति देनेके उपरांत ही भोजन पकानेकी प्रक्रिया आरंभ की जाती थी । अब लकडीका स्थान मिट्टीके तेल, गैस अथवा बिजली (उदा. ‘माइक्रोवेव ओवन’) ने ले लिया है । पूर्वकालमें तांबेके कलश अथवा गागरमें पानी भरकर रखा जाता था । भोजन पकाने हेतु पीतलके बरतन उपयोगमें लाए जाते थे । आजकल पकाने हेतु उपयोगमें लाई जानेवाली ‘स्टील’ अथवा ‘एल्यूमिनियम’की धातुओंसे उक्त आध्यात्मिक लाभ नहीं मिल पाता । ये लेखमाला मुख्यतः इसका मार्गदर्शन करती हैं कि विविध खाद्यपदार्थ कैसे बनाएं, खाद्यपदार्थ बनानेकी विधियां बताती हैं ।

रसोई के संदर्भ में पुछे जानेवाले प्रश्न

रसोई के संदर्भ में पुछेजानेवाले कुछ प्रश्न जेसे, अमावस्या के दिन यथासंभव खाद्यतेल क्यों न लाएं, स्त्रियां नारियल क्यों न फोडें एवं कुम्हडा क्यों न काटें, तैलीय पदार्थ लेकर घर के बाहर क्यों न जाएं इत्यादी के उत्तर इस लेख में दिए है ।

रसोई बनाते समय कौन-सी सावधानियां बरतें ?

रसोई बनाते समय शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर की कौन-सी सावधानियां बरतें जिससे मानव-जीवको सत्त्वहीन अन्न मिले, यह जानकारी इस लेख में दी है ।

चूल्हे पर भोजन बनाने के लाभ

पूर्वकाल में स्त्री चूल्हे के समीप बैठ कर भोजन बनाती थी । नित्य चूल्हे पर भोजन बनाने की क्रिया के कारण उस स्थान की शुद्धि होकर उसमें सत्त्वगुण की वृद्धि होती है । इससे वहां का वातावरण अधिक सात्त्विक होकर शुद्ध रहता है । इस लेख में देखते है, चूल्हे पर भोजन बनाने के लाभ, चूल्हे पर भोजन बनानेवाले व्यक्ति को लाभ इत्यादी

रसोई घर में सात्त्विकता कैसे बनाए रखें ?

रसोईघर अर्थात रसोई बनाने का कक्ष । यह कक्ष स्वच्छ एवं प्रकाश से भरपूर हो । जहां स्वच्छता, व्यवस्थितता होती है वहीं श्री अन्नपूर्णादेवी एवं ईश्वर का वास होता है । रसोई सात्त्विक बने, इसके लिए रसोईघर में सात्त्विकता बनाए रखना आवश्यक है । इस हेतु आगे दिए हुए उपाय करें ।

मंद आंच पर अन्न पकाने के लाभ

आज के इस आधुनिक समय में भोजन पकाने के बहुत से उपकरण उपलब्ध हैं, जैसे भाप के दबाव से खाना पकाने का बर्तन (प्रेशर कुकर), सूक्ष्म तरंग चूल्हा (माइक्रोवेव ओवन) इत्यादि । पूर्वकाल में धीमी आंच पर ही अन्न पकाया जाता था । इसके लाभ आगे दिए अनुसार हैं । 

तरकारी (सब्जी) काटने की उचित पद्धति

हम सभी प्रतिदिन सब्जी बनाते हैं । सब्जी काटते समय हम कभी क्या इसका विचार करते हैं कि सब्जी कैसे काटनी चाहिए कि उससे बनने वाला भोजन सात्त्विक हो । आज हम सब्जी से संबंधित आचार नियमों को जानेंगे ।

प्राथमिक स्वरूप के अन्नघटक तथा उनसे रसोई बनाना

हमारी रसोई में अनाज, दालें एवं सब्जियों का प्रमुख स्थान है । रसोई में इनके प्रयोग से सात्त्विकता बढाई जा सकती है । इस लेख में हम इन अन्नघटकों से संबंधित कुछ सूत्र समझेंगे । जिसे समझने के उपरांत कृति में लाने से हम निश्चित रूप से उनमें निहित सात्त्विकता से लाभान्वित होंगे ।

रसोई से संबंधित बर्तनों की धातुओं का महत्त्व

वर्तमान युग में भोजन बनाने तथा उसे ग्रहण करने हेतु विविध धातुओं के बर्तनों का प्रयोग किया जाता है । इस लेख में हम देखते है की रसोई से संबंधित बर्तनों की धातुओं में सबसे स्वास्थ्यप्रद धातु कौनसा है ।

रसोई हेतु उपयोग किए जानेवाले र्इंधनों के प्रकार तथा उनसे लाभ एवं हानि

रसोईघर में भोजन बनाने के लिए अनेक प्रकार के र्इंधन उपयोग किए जाते हैं । जैसे - लकडी, कोयला, किरोसिन, पेट्रोलियम गैस । इस लेख में हम देखेंगे कि इन विविध र्इंधनों की विशेषता क्या है तथा ये कार्य कैसे करते हैं ।