१. उंगलियों से अन्न ग्रहण करने का महत्त्व
चम्मच से अन्न मुख में डालते समय उस चम्मच पर काली शक्ति का आवरण आता है; परंतु उंगलियों से अन्न ग्रहण करते समय उंगलियों में कार्यरत ईश्वरीय शक्ति अन्न के माध्यम से उदर में जाती है । हथेली से हाथों की उंगलियों में सदैव ईश्वरीय शक्ति के प्रवाह का प्रक्षेपण होता रहता है । हाथों की उंगलियों से अन्न ग्रहण करते समय उंगलियों का पुनः-पुनः मुख को स्पर्श होता है । तब मुख को स्पर्श करने वाली उंगलियों पर आया काली शक्ति का आवरण हथेली में विद्यमान ईश्वरीय शक्ति के कारण नष्ट होता है, उसी प्रकार जीव को ईश्वरीय शक्ति का लाभ होता है एवं हाथ की उंगलियां भी ईश्वरीय शक्ति से पूरित होती हैं ।
२. ग्रास लेते समय पांचों उंगलियों का प्रयोग करने से पंचतत्त्वों
का लाभ होकर पंचप्राणों की जागृति होने के कारण अन्न का पाचन भली-भांति होना
‘पांच उंगलियां ब्रह्मांडस्थित पंचतत्त्वों के प्रक्षेपण का प्रभावी माध्यम हैं; इसलिए मुख में ग्रास लेते समय पांचों उंगलियों का प्रयोग करने पर हमें एक साथ पंचतत्त्वों का लाभ होने में सहायता मिलती है । शरीर में पंचतत्त्वों के संचार के कारण उन तत्त्वों से संबंधित मुख्य प्राण कार्यरत होने में सहायता मिलती है । पंचप्राणों के जागृत होने से अन्न का पाचन भली-भांति होकर जीव को पंचतत्त्वों के स्तर पर (माध्यम से) चैतन्य का लाभ होने में सहायता मिलती है ।’
३. उंगलियों संबंधी पंचतत्त्व, पंचप्राण एवं उनके कार्य की विशेषताएं
उंगली | पंचतत्त्वों में से तत्त्व | पंचप्राणों में से प्राण | कार्य की विशेषता |
---|---|---|---|
१़. कनिष्ठा | पृथ्वी | प्राण | जड |
२. अनामिका | आप | अपान | प्रवाही |
३. मध्यमा | तेज | व्यान | उष्ण ऊर्जात्मक |
४. तर्जनी | वायु | उदान | हलका |
५़. अंगूठा | आकाश | समान | व्याप्तिदर्शक, सर्वत्र सूक्ष्म-स्तर पर गहराई तक अवशोषित होने वाला |
संदर्भ : सनातन का ग्रंथ, ‘भोजनके समय एवं उसके उपरांतके आचार’