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आहार

सात्त्विक आहार का (खाद्य पदार्थ का) सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है तथा असात्त्विक आहार का सेवन करने से स्वास्थ्य की हानि होती है । पुरानी पीढी के ८०-९० वर्ष के लोग आज भी स्वस्थ हैं । इनमें अधिकतर लोगों की आंखें, दांत और अन्य अवयव जीवन के अंततक स्वस्थ रहते हैं । आहार से संबंधित धर्मशास्त्र द्वारा बताए नियमों का पालन न करने से जो हानि होती है, उससे भी अधिक हानि आधुनिक आहारपद्धति को अपनाने से हो रही है । सात्त्विक भारतीय पदार्थों का सेवन मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने में भी सहायक होता है ।

आहार से संबंधित नियम

व्यक्ति का संपूर्ण जीवन ही स्वस्थ एवं सुखमय हो, इस हेतु धर्म शास्त्र ने आहार के संदर्भ में कुछ नियम बताए हैं । आइए, जानते है यह नियम....

आहार का महत्त्व

व्यक्ति का संपूर्ण जीवन ही स्वस्थ एवं सुखमय हो, इस हेतु धर्म शास्त्र ने आहार के संदर्भ में कुछ नियम बताए हैं । इस लेख में पढते है आहार से संबंधित नियम, जैसे, बिना भूख लगे कुछ न खाएं, भोजन का नियत समय छोड कर अन्य समय कुछ न खाएं, झूठा न खाएं, ऋतु अनुसार आहार में उचित परिवर्तन करें, अधर्मी का अन्न न खाएं इत्यादि ।

‘जंकफूड’ तथा चॉकलेट खाने के दुष्परिणाम

‘जंकफूड’ जैसे तमोगुणी पदार्थों के निरंतर सेवन से मन और बुद्धि का संतुलन बिगड़ जाता है । जंक फ़ूड का प्रभाव शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक स्तर पर भी होता है | आइये ‘जंकफूड’ तथा चॉकलेट खाने से हमारे ऊपर क्या प्रभाव होता है यह इस लेख द्वारा समझ लेते हैं ।

आहार एवं रुचि-अरुचि

इस लेख में यह बताया गया है कि हमारी भोजन में रुचि या अरुचि होने के क्या कारण होते हैं और भोजन में रुचि - अरुचि, किन कारणों पर निर्भर होती है |

कौन-सा अन्न नहीं खाना चाहिए ?

व्यक्ति का संपूर्ण जीवन ही स्वस्थ एवं सुखमय हो, इस हेतु धर्मशास्त्र ने आहार के संदर्भ में कुछ नियम बताए हैं । इस लेख में निषिद्ध आहारसे संबंधित जानकारी प्रस्तुत है ।

चाय-कॉफी के दुष्परिणाम

आज लोग चाय और कॉफी को अपने प्रतिदिन के आहार का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा मानने लगे हैं तो यह आवश्यक है कि हम उनके हानिकारक प्रभाव को भली प्रकार समझ लें । आइए इस लेख द्वारा और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं ।

शर्करा (चीनी) का अधिक उपयोग और उसका दुष्परिणाम

शर्करा हमारे भोजन का एक अविभाज्य अंग इस स्तर तक बन गई है कि उससे श्रेष्ठ समकक्ष उपयोग करने के विषय में सोचते भी नहीं हैं । लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि यह शुभ्र (श्वेत) स्फटिक समान वस्तु हमें कितनी हानि पहुंचा रही है ?

कृत्रिम शीतपेयों के दुष्परिणाम

हम में से अधिकांश लोग कृत्रिम शीत पेय पसंद करते हैं । कृत्रिम शीत पेय तामसिक हैं । जब कोई व्यक्ति कृत्रिम शीत पेय पीता है तो उसके शरीर की संपूर्ण कोशिकाओं में तम फैल कर अनिष्ट शक्ति के स्थान बन जाते हैं । इस लेख में देखते है कृत्रिम शीतपेयों के दुष्परिणाम ।

भोजन में नमक का प्रयोग आवश्यक मात्रा में ही क्यों करना चाहिए ?

भोजन बनाने हेतु प्रयुक्त महत्त्वपूर्ण सामग्री में ‘नमक’का स्थान अग्रगण्य है । यद्यपि यह सत्य है कि नमक के बिना भोजन रुचिकर नहीं बनता, तथापि नमक का प्रयोग आवश्यक मात्रा में ही क्यों करना चाहिए, यह आगे दिए सूत्रों से ज्ञात होगा ।