वर्तमान संघर्षपूर्ण जीवनपद्धति, पारिवारिक अथवा कार्यालयमें तनाव आदिके कारण अधिकांश लोगोंको शांत नींद लगना कठिन हो गया है । शांत नींद न लगे, तो अगले दिन दिनचर्यापर अनिष्ट परिणाम होता है । इस लेख में देखते है, नींद न आने के कारण, नींद न लगने के परिणाम एवं नींद न आने पर करने योग्य उपाय ।
पूर्व-पश्चिम दिशा में सोना चाहिए । इससे सत्त्व, रज एवं तम तरंगों में समतोल रहता है । प्रातः पूर्व दिशा से सत्त्व तरंगें अधिक मात्रा में प्रक्षेपित होती हैं । ब्रह्मरंध्र द्वारा वातावरण की सत्त्व तरंगें शरीर में प्रवेश करती हैं । उन्हें ग्रहण कर जीव सात्त्विक बनता है ।
हमारे सोने की पद्धति एवं दिशा आध्यात्मिक स्तर पर हमें किस प्रकार प्रभावित करती है । इस लेख को पढढ़कर हम वह उत्तम पद्धति का ज्ञान लेकर, अपने जीवन में लागू कर सकते हैं।
आजकल के भाग दौड वाले जीवन में मनुष्य समय पर अनेक दिनचर्या के नियमों का पालन नहीं कर पाता, जिसका परिणाम उसे अनेक रोगों…
जिस प्रकार आध्यात्मिक शास्त्र अन्य कार्यों की विधि समझाता है, उसी प्रकार सोने के भी कई नियम हैं जिनका पालन करने से हमें दैविक रक्षा उपलब्ध होती है । सोने के स्थान पर यदि हम ध्यान दें तो ऐसे कई स्थान हैं जहांँ सोना वर्जित है ।
वर्तमान काल में, मनुष्य सोने से पूर्व अनेक कार्य करता है । यदि उन कार्यों के बीच भगवन का स्मरण भी हो, तब निद्रा में सामना होने वाले अनेक बाधाओं पर विजय प्राप्त हो सकता है ।
हम सभी सोने से पूर्व अपनी इच्छा अनुसार अनेक कार्य करते हैं । इस लेख को पढकर हम सीख सकते हैं कि कौन से कार्य सोने से पूर्व हमें आध्यात्मिक स्तर पर लाभ देंगे एवं सुरक्षा कवच पूरी रात्रि भर हमारे चारों ओर बनाए रखेंगे।
इस लेख की सहायता से हम समझेंगे कि निद्रा किन कारणों से आती है, हमें कहां सोना चाहिए एवं शरीर से बहने वाले धन एवं ऋण प्रवाहों का संतुलन और निद्रा का संबंध ।
इस लेख से हम समझेंगे कि हमें किस प्रकार के बिछौने का प्रयोग करना चाहिए तथा उनसे होनेवाले लाभ क्या हैं, अनुचित प्रकार के बिछौने से होनेवाली हानि से बचने हेतु क्या करना आवश्यक है इत्यादि ।
शारीरिक एवं मानसिक आरोग्य के लिए आहार समान ही निद्रा की भी आवश्यकता होती है । निद्रा का महत्त्व एवं व्यक्ति की आयु, त्रिगुण और प्रकृति के अनुसार कितने घंटे नींद लेनी चाहिए ये जानकारी इस लेख में देखते है ।