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खंडन

कुछ लोग कहते हैं, हिन्दू धर्म देवी-देवताओं की विचित्र कल्पना करनेवाला असभ्य धर्म है !

हिन्दू धर्म पिछडा अथवा असभ्य नहीं, अपितु सहस्रों वर्ष से विश्व में अग्रणी है, यह बात अब पाश्चात्य देश भी मान चुके हैं और हिन्दू धर्म का महत्त्व जान चुके हैं ।

महिलाआें के साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की आड में हिन्दू धर्म की आलोचना करनेवाली धर्मद्रोही साहित्यकार नीरजा !

मुंबई की साहित्यकार नीरजा ने महिलाआें के साथ हो रहे अन्याय की आड में हिन्दुआें के धर्मग्रंथ, प्रथा एवं परंपराआें की आलोचना की । उनके द्वारा की गई आलोचना एवं उसका खंडन यहां दे रहे हैं ।

मंदिर के प्रसाद के लड्डू कारागार की महिला बंदीवानों से बनवाना

धर्मशास्त्र के अनुसार देवता का प्रसाद ग्रहण करने से ईश्‍वरीय चैतन्य मिलता है और श्रद्धालुआें का वैसा भाव होता है । श्री महालक्ष्मी मंदिर का प्रसाद महिला बंदीवानों से नहीं, अपितु देवी के प्रति सेवाभाव रखनेवाले भक्तों से बनवाया जाए !

देवता स्वयं की धोती स्वयं धारण नहीं कर सकते !

डॉ. दाभोलकर ने ईश्‍वर को न ही देखा है और न ही जाना है । इसलिए देवता की धोती धारण करने की क्षमता के विषय में उन्हें कुछ ज्ञात होना संभव नहीं है । देवता का शरीर नहीं होता अर्थात वे अशरीरी होते हैं । उन्हें वस्त्रों की आवश्यकता नहीं होती ।