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श्राद्धकर्म : पितृऋण चुकानेका सहज एवं सरल मार्ग

हिंदू धर्ममें उल्लेखित ईश्वरप्राप्तिके मूलभूत सिद्धांतोंमेंसे एक है ‘देवऋण, ऋषिऋण, पितृऋण एवं समाजऋण, इन चार ऋणोंको चुकाना’। इनमेंसे पितृऋण चुकानेके लिए ‘श्राद्ध’ आवश्यक है । माता-पिता तथा अन्य निकट संबंधियोंकी मृत्युपरांतकी यात्रा सुखमय एवं क्लेशरहित हो तथा उन्हें सद्गति मिले, इस हेतु किया जानेवाला संस्कार है ‘श्राद्ध’ । श्राद्धविधिमें किए जानेवाले मंत्रोच्चारणमें पितरोंको गति देनेकी सूक्ष्म शक्ति समाई हुई होती है । श्राद्धमें पितरोंको हविर्भाग अर्पण करनेसे वे संतुष्ट होते हैं । श्राद्धविधि करनेसे पितरोंकी ऐसे कष्टसे मुक्ति हो जाती है और हमारा जीवन भी सुसह्य हो जाता है ।

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