नारियल अच्छी और अनिष्ट दोनों प्रकार की तरंगें खींच लेता है । नारियल में रज-तमात्मक तरंगें अल्प समय में आकर्षित होकर उनका नारियल की सात्त्विकता के कारण भीतर ही भीतर अधिकांशतः विघटन हो जाता है ।
नींबू से कुदृष्टि उतारते समय उसके सूक्ष्म रजोगुणी वायु सदृश स्पंदनों को गति प्राप्त होने से, ये स्पंदन व्यक्ति पर आए रज-तमात्मक आवरण को अपनी ओर आकर्षित कर उन्हें घनीभूत करके रखते हैं ।
मिर्च की रज-तमात्मक तरंगें आकर्षित करने की गति राई की तुलना में अधिक होने के कारण स्थूलदेह और मनोदेह की कुदृष्टि उतारने में प्रायः मिर्च का उपयोग किया जाता है ।
नमक और राई की सहायता से कुदृष्टि उतारने पर स्थूलदेह पर आया रज-तमात्मक आवरण नमक की सहायता से खींचकर राई में गतिमान तरंगों की सहायता से घनीभूत कर, तत्पश्चात अग्नि में जलाकर नष्ट कर दिया जाता है ।
इस लेख में कुदृष्टि उतारने की पद्धति, कुदृष्टि उतारने से पूर्व कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति और कुदृष्टि उतारनेवाले व्यक्ति को प्रार्थना क्यों करनी चाहिए ?, कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति को दोनों हथेलियां ऊपर की (आकाश की) दिशा में क्यों खुली रखनी चाहिए ? इत्यादि की अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी दी है ।
जीवन समस्यारहित और आनंदमय बनाना हो, तो ‘कुदृष्टि उतारना’, इस सरल घरेलू आध्यात्मिक उपायका आलंबन अपनाना सदा उपयुक्त होता है । कुदृष्टि उतारने की पद्धति के अंगभूत कृत्य इस लेख में दिए हैं ।
हिंदू संस्कृति में प्राचीनकाल से कुछ रूढियां एवं परंपराएं चली आ रही हैं । इनमें से एक प्रथा है - ‘कुदृष्टि उतारना’ । ‘जीव पर बाहर से हो रहे सूक्ष्म अनिष्ट आक्रमणों के कारण उसे कष्ट होते रहते हैं । इन कष्टों को दूर करने के लिए बाह्य मंडल में करने योग्य आध्यात्मिक उपायों में से एक है - ‘कुदृष्टि उतारना’ ।
कुदृष्टि लगना, इस प्रकार में जिस जीव को कुदृष्टि लगी हो, उसके सर्व ओर रज-तमात्मक इच्छाधारी स्पंदनों का वातावरण बनाया जाता है । यह वातावरण रज-तमात्मक नाद तरंगों से दूषित होने के कारण उसके स्पर्श से उस जीव की स्थूल देह, मनोदेह और सूक्ष्म देह पर अनिष्ट परिणाम हो सकता है ।
वर्तमान के स्पर्धात्मक और भोगवादी युग में अधिकांश व्यक्ति ईष्र्या, द्वेषभाव, लोकेषणा, परलिंग की ओर अनिष्ट दृष्टि से देखने आदि विकृतियों से ग्रस्त होने से अनजाने में कष्टदायक परिणाम सूक्ष्म से दूसरे व्यक्तियों पर होकर उस व्यक्ति को कुदृष्टि कैसे लगती है इस लेख में देखते है ।