जीवन समस्यारहित और आनंदमय बनाना हो, तो ‘कुदृष्टि उतारना’, इस सरल घरेलू आध्यात्मिक उपायका आलंबन अपनाना सदा उपयुक्त होता है । कुदृष्टि उतारने की पद्धति के अंगभूत कृत्य इस लेख में दिए हैं ।
१. कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति उपस्थित हों, तो
कुदृष्टि यथासंभव सायं समय उतारें । कष्ट दूर करने के लिए वह समय अधिक अच्छा रहता है; क्योंकि उस समय अनिष्ट शक्ति का सहजता से प्रकटीकरण होता है तथा वह पीडा कुदृष्टि उतारने हेतु उपयोग किए जानेवाले घटक में खींची जा सकती है । तीव्र पीडा हो, तो तीन-चार बार निरंतर अथवा प्रत्येक घंटे में अथवा दिन में तीन-चार बार कुदृष्टि उतारें ।
अ. कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति को पीढे पर बिठाएं ।
आ. कुदृष्टि उतारने से पूर्व आगे दी गई प्रार्थना करें ।
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कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति द्वारा उपास्य देवता से करने योग्य प्रार्थना :
‘कुदृष्टि उतारने में प्रयुक्त घटक में मेरे शरीर के भीतर तथा बाहर के कष्टदायक स्पंदन आकर्षित होकर उनका समूल नाश होने दें ।’
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कुदृष्टि उतारने वाले व्यक्ति द्वारा उपास्य देवता से करने योग्य प्रार्थना :
‘कुदृष्टि उतारने हेतु प्रयुक्त घटकमें कुदृष्टिग्रस्त जीव की देह के भीतर और बाहर के कष्टदायक स्पंदन आकर्षित होकर उनका समूल नाश होने दें । कुदृष्टि उतारते समय आप की कृपा का सुरक्षा-कवच मेरे सर्व ओर बना रहने दें ।’
इ. कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति के पीढे पर बैठने की पद्धति एवं उसके दोनों हाथों की स्थिति :
जिस व्यक्ति को कुदृष्टि (नजर) लगी है, वह अपने दोनों घुटने छाती के पास रखकर, पीढे पर बैठे । वह अपनी दोनों हथेलियां आकाश की दिशा में खोलकर घुटने पर रखे ।
ई. कुदृष्टि उतारनेवाले व्यक्तिद्वारा करनेयोग्य कृतियां
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कुदृष्टि उतारने के लिए राई-नमक, राई-नमक-लाल मिर्च, नींबू, नारियल इत्यादि विविध घटकों का उपयोग किया जाता है । (इन घटकों की विस्तृत जानकारी एवं उनसे कुदृष्टि उतारने की पद्धति जानने हेतु हमारे अन्य लेख का संदर्भ लें ।) जिस घटक से कुदृष्टि उतारनी है, वह हाथ में लेकर कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति के सामने खडे हो जाएं ।
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‘आने-जाने वालों की, यात्रियों की, पशु-पक्षियों की, ढोर-डंगर की, भूत-प्रेतों की, मांत्रिकों की अथवा इस विश्व की किसी भी शक्ति की कुदृष्टि लगी हो, तो वह उतर जाए’, यह कहते हुए कुदृष्टि उतारने के घटक (पदार्थ) कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति के शरीर के सर्व ओर सामान्यतः ३ बार घुमाएं ।
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कुदृष्टि उतारने हेतु प्रयुक्त घटक से कुदृष्टि उतारते समय प्रत्येक बार हाथ भूमि पर टिकाएं । (ऐसा करने से व्यक्ति में विद्यमान कष्टदायक स्पंदन घटकों में सहज आकृष्ट होकर भूमि में समा जाते हैं ।)
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व्यक्ति को पीडा अधिक हो, तो घटक तीन से अधिक बार घुमाएं । अनेक बार मांत्रिक ३, ५, ७ अथवा ९ ऐसे विषम आंकडों में करणी करते हैं; इसलिए यथा संभव विषम संख्या में घटक घुमाएं ।
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कभी-कभी २-३ बार कुदृष्टि उतारने पर भी पीडा न्यून (कम) नहीं होती । उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्तियों की पीडा हो, तो ऐसा होता है । ऐसे में कुदृष्टि उतारते समय कुदृष्टि उतारने वाला घटक पीडित व्यक्ति के आगे से घुमाने के उपरांत उसके पीछे से भी घुमाएं । (सामान्य भूत हों, तो आगे से घुमाना भी पर्याप्त होता है । बलशाली अनिष्ट शक्तियां शरीर के पिछले भाग में स्थान बनाती हैं । इसलिए कुदृष्टि उतारते समय दोनों ओर से घुमाएं ।)
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कुदृष्टि उतारने के उपरांत उसे ले जाते समय पीछे मुडकर न देखें ।
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कुदृष्टि उतारने के उपरांत कुदृष्टि उतारने वाला तथा जिसकी कुदृष्टि उतारी गई, वे किसी से भी बात न कर मनमें १५-२० मिनट नामजप कर अगला कर्म करें ।
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कुदृष्टि उतारने वाले ने जिस घटक से कुदृष्टि उतारी हो, उस घटक में खिंची कष्ट दायक शक्ति नष्ट करने की विशिष्ट पद्धति घटकानुसार भिन्न है, उदा. मिर्च तथा नीबू जलाएं, जबकि नारियल हनुमानजी के मंदिर में फोडें अथवा जल में विसर्जित करें ।
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कुदृष्टि उतारने वाला तथा जिसकी कुदृष्टि उतारी गई, वे हाथ-पैर धोएं, शरीर पर गोमूत्र अथवा विभूतियुक्त जल छिडकें, भगवान अथवा गुरु का स्मरण कर तथा उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर विभूति लगाएं एवं अपने अगले कर्म का आरंभ करें ।
२. कुदृष्टि उतारनेवाला व्यक्ति उपस्थित न होने पर
कभी-कभी रोगी(बीमार) व्यक्ति कुदृष्टि उतारे जानेवाले स्थान पर न आ सकता हो अथवा कोई व्यक्ति दूर देश में हो, तो उस व्यक्ति की आगे दी पद्धतियों से कुदृष्टि उतारेंं । सदैव की सामान्य पद्धति अथवा जिस प्रकार हम कुदृष्टि उतारते हैं, वैसे ही कुदृष्टि उतारें । इसके अतिरिक्त विशेष बातें अथवा कुछ स्थानों पर परिवर्तन यहां दिए हैं ।
अ. व्यक्ति का छायाचित्र रखकर उससे कुदृष्टि उतारना
पद्धति १ :
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उपास्यदेवता से भावपूर्ण प्रार्थना करें, ‘कुदृष्टि उतारने की प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाले लाभदायक स्पंदन आप ही इस छायाचित्र के व्यक्ति तक पहुंचाइए ।’
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कुदृष्टि उतारना के कृत्य पर मन एकाग्र करने पर अधिक बल दें ।
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स्थूल से व्यक्ति उपस्थित रहने की तुलना में छायाचित्र से कुदृष्टि उतारने के कृत्य अधिक संख्या में करें ।
पद्धति २ :
छायाचित्र के व्यक्ति के आज्ञाचक्र पर बीच की उंगली रखकर तदुपरांत वह उंगली नारियल को लगाएं, आगे वह नारियल बहते जल में विसर्जित करें । (इस पद्धतिके लिए कुदृष्टि उतारनेवाले व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर (टिप्पणी) न्यूनतम ६० प्रतिशत होना आवश्यक है ।)
टिप्पणी – प्रत्येक व्यक्ति में सत्त्व, रज एवं तम, ये त्रिगुण होते हैं । व्यक्तिद्वारा साधना, अर्थात ईश्वरप्राप्ति हेतु प्रयास आरंभ करने पर उसमें विद्यमान रज-तम गुणों की मात्रा घटने लगती है और सत्त्वगुण की मात्रा बढने लगती है । सत्त्वगुण की मात्रा पर आध्यात्मिक स्तर निर्भर करता है । सत्त्वगुण की मात्रा जितनी अधिक, आध्यात्मिक स्तर उतना अधिक होता है । सामान्य व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर २० प्रतिशत होता है, तथा मोक्ष को प्राप्त व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर १०० प्रतिशत होता है और तब वह त्रिगुणातीत हो जाता है ।
पद्धति ३ :
तंत्र-मंत्र पद्धति से साधना करनेवाले व्यक्ति इस पद्धति को अपनाते हैं । छायाचित्र के व्यक्ति के आज्ञाचक्र पर बीच की उंगली रखकर विशिष्ट मंत्रोच्चारण करें । तदुपरांत वह उंगली नारियल को लगाकर वह नारियल विशिष्ट तांत्रिक विधि से संबंधित हवन कर उसमें आहुति के रूप में डालें ।
आ. व्यक्ति का नाम कागज पर लिखकर उस कागज से कुदृष्टि उतारना
जब कुदृष्टि उतारने हेतु व्यक्ति का छायाचित्र भी उपलब्ध नहीं रहता, उस समय यह पद्धति अपनाएं । (इस पद्धति हेतु कुदृष्टि उतारनेवाले व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर न्यूनतम ५० प्रतिशत होना आवश्यक है ।)
इ. व्यक्ति का नाम उच्चार कर कुदृष्टि उतारना
जब कुदृष्टि उतारने हेतु व्यक्ति का नाम लिखने के लिए कागज भी उपलब्ध न हो, उस समय यह पद्धति अपनाएं । (इस पद्धति हेतु कुदृष्टि उतारनेवाले व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर न्यूनतम ५५ प्रतिशत होना आवश्यक है ।)
संदर्भ पुस्तक : सनातन का सात्विक ग्रंथ ‘कुदृष्टि (नजर) उतारने की पद्धतियां (भाग १) (कुदृष्टिसंबंधी अध्यात्मशास्त्रीय विवेचनसहित)?’