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कुदृष्टि उतारने के लिए नींबू प्रयोग करने की पद्धति

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१. महत्त्व

नींबू से कुदृष्टि उतारते समय उसके सूक्ष्म रजोगुणी वायु सदृश स्पंदनों को गति प्राप्त होने से, ये स्पंदन व्यक्ति पर आए रज-तमात्मक आवरण को अपनी ओर आकर्षित कर उन्हें घनीभूत करके रखते हैं ।

२. कुदृष्टि उतारने में नींबू का उपयोग

कुदृष्टि उतारने के लिए साधारण नींबू ही लेना चाहिए; रेखावाले नींबू का उपयोग मत करें ।

धारी वाले नींबू पहचानने की पद्धति – धारी वाले नींबू के एक ओर एक रेखा ऊपर से नीचे जाती हुई स्पष्ट दिखाई देती है । कभी-कभी यह रेखा दोनों ओर होती है । करनी करते समय इसी धारीवाले नींबू का उपयोग किया जाता है; क्योंकि धारी वाले नींबू में रज-तमात्मक ऊर्जा वायुमंडल में प्रक्षेपित करने की क्षमता साधारण नींब की तुलना में अधिक होती है ।’

३. कुदृष्टि उतारने की पद्धति

दोनों हाथों में नींबू लेकर उससे कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति के पैर से सिर तक दक्षिणावर्त (घडी की सुइयों की दिशा में) दिशा में पूर्ण गोलाकार घुमाना चाहिए । गोलाकार घुमाने के पश्चात नींबू को अंगारे पर जला देना चाहिए अथवा बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए ।

नींबू पानी में विसर्जित करने की अपेक्षा जला देना क्यों अच्छा है ?

नींबू पानी में विसर्जित करने पर उसमें खींचे गए स्पंदन पानी में समाविष्ट होने में अधिक समय लगता है और इस बीच की कालावधि में अनिष्ट शक्ति उस में विद्यमान शक्ति का दुरुपयोग पुनः किसी जीव पर करनी करने के लिए कर सकती है; परंतु, नींबू जला देने से उसमें विद्यमान रज-तमात्मक स्पंदन शीघ्र नष्ट हो जाते हैं ।

४. कुदृष्टि की तीव्रता कैसे पहचानें ?

अ. कुदृष्टि की तीव्रता के अनुसार नींबू पानी में विसर्जित करने के पश्चात दिखाई देने वाला स्थूल सदृश परिणाम

‘कुदृष्टि की तीव्रता जितनी अधिक होगी, उसका रज-तम पानी में समाविष्ट होने में उतना ही अधिक समय लगेगा, जिसके कारण नींबू के पानी में बहने की कालावधि बढ जाती है ।

कुदृष्टि की तीव्रता नींबू पर होने वाला स्थूल सदृश परिणाम
१. कुदृष्टि न लगी होना नींबू पानी में तुरंत ही डूबता है ।
२. मंद नींबू पानी में तुरंत ही बाह जाता है ।
३. मध्यम नींबू पानी में गोल गोल घूमता रहता है ।
४. तीव्र रज-तम युक्त तरंगों से प्रभारित हो जाने के कारण नींबू पानी में उसी स्थान पर तैरता है, आगे नहीं जाता ।

आ. कुदृष्टि की तीव्रता के अनुसार नींबू जलाने के पश्चात दिखाई देने वाले स्थूल सदृश परिणाम

कुदृष्टि की तीव्रता नींबू पर होने वाला स्थूल सदृश परिणाम
१. कुदृष्टि न लगी होना नींबू किसी भी प्रकार की ध्वनि किए बिना शीघ्र ही जल जाता है ।
२. मंद नींबू ध्वनि के साथ प्रथम प्रयास में ही जल जाता है ।
३. मध्यम जलने के पश्चात भी नींबू सिकुड़ा हुआ सा दिखता है और उससे दुर्गंध आती रहती है ।
४. तीव्र जामुनी रंग का धुआं निकलना, नींबू का शीघ्र न जलना, अधूरा जलना, अनिष्ट शक्ति अत्यंत तीव्र हो तो नींबू जलते समय ‘फट’ ऐसा ऊंचा स्वर निर्मित होकर अग्नि का फरफराकर जलना, इस प्रकार के परिणाम दिखाई देते हैं ।

संदर्भ ग्रंथ : सनातन का सात्विक ग्रंथ ‘कुदृष्टि (नजर) उतारने की पद्धतियां (भाग १) (कुदृष्टिसंबंधी अध्यात्मशास्त्रीय विवेचनसहित)?