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महान ऋषि

खगोल शास्त्र एवं फलज्योतिष विज्ञान में अद्भुत संशोधन करनेवाले आचार्य वराहमिहीर

राजा विक्रमादित्य की राजधानी प्राचीन उज्जयिनी (आज का उज्जैन) नगरी से केवल २५ कि.मी. की दूरीपर कायथा गांव है। खगोल शास्त्र एवं फलज्योतिष विज्ञान में अद्भुत अविष्कार करनेवाले आचार्य वराहमिहीर की यह जन्मस्थली है।

महर्षि वाल्मीकि : महाकाव्य रामायणके प्रणेता

सत्पुरुषोंकी संगतिमें आकर लोगोंकी उन्नति कैसे होती है, महर्षि वाल्मीकि इसका एक महान उदाहरण हैं । नारदमुनिके संपर्कमें आकर वे एक महान महर्षि, ब्रम्हर्षि बने, तथा उन्होंने ‘रामायण’की रचना की, जिसे संपूर्ण विश्व कभी भूल नहीं सकता ।

यमधर्मके साथ धर्मानुकुल वार्तालाप कर पतिके पंचप्राण पुनः प्राप्त करनेवाली सती सावित्रि

सुशील, कुलीन एवं गुणवान सती सावित्रि ! तपस्वियोंसमान निरीह अंतःकरण, राजसभाके श्रेष्ठ संस्कारोंसे उत्पन्न ऋजुताके त्रिवेणी संगमसे युक्त सावित्रिका सुमधुर व्यक्तित्त्व महर्षियोंके भी आदरके पात्र होना |