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वैदिक विज्ञान

भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्‍व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है । भारतीय विज्ञान का विकास प्राचीन समय में ही हो गया था। अगर यह कहा जाए कि भारतीय विज्ञान की परंपरा दुनिया की प्राचीनतम परंपरा है, तो अतिशयोक्‍ति न होगी। जिस समय यूरोप में घुमक्‍कड़ जातियाँ अभी अपनी बस्‍तियाँ बसाना सीख रही थीं, उस समय भारत में सिंधु घाटी के लोग सुनियोजित ढंग से नगर बसा कर रहने लगे थे । उस समय तक भवन-निर्माण, धातु-विज्ञान, वस्‍त्र-निर्माण, परिवहन-व्‍यवस्‍था आदि उन्‍नत दशा में विकसित हो चुके थे । भारत में गणित, ज्‍योतिष, रसायन, खगोल, चिकित्‍सा, धातु आदि क्षेत्रों में विज्ञान ने खूब उन्‍नति की। विज्ञान की यह परंपरा ईसा के जन्‍म से लगभग 200वर्ष पूर्व से शुरू होकर ईसा के जन्‍म के बाद लगभग 11वीं सदी तक काफी उन्‍नत अवस्‍था में थी। इस बीच आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्‍त, बोधायन, चरक, सुश्रुत, नागार्जुन, कणाद से लेकर सवाई जयसिंह तक वैज्ञानिकों की एक लंबी परंपरा विकसित हुई। प्राचीन भारतीय की ये उपलब्‍धीयां आज के विज्ञानयुग को भी चौकानेवाली है । विशेषरूप से आजके युवाआेंको यह जानकर अपने प्राचीन इतिहास के विषय में निश्‍चित अभिमान जागृत होगा । इसलिए हर उपलब्‍धी के विषय में यहां प्रकाश डालने का प्रयास किया है।