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पराक्रमी हिंदु रानी

राजमाता जिजाऊ भोसले : हिन्दवी स्वराज्य की जननी एवं छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणाशक्ति !

सर्वार्थसे आदर्श हिन्दू नारीका साक्षात रूप राजमाता जिजाऊ । जिजाऊ देवगिरीकी राजकन्या ही थी । हिन्दुओंपर असीम अत्याचार करनेवाले यवनोंके विषयमें उन्हें बचपनसे ही मनमें भयंकर चिढ थी । वे युद्धकलामें कुशल, पराक्रमी रणरागिनी, उत्तम न्यायाधीश, उत्कृष्ट राजनीतिक एवं युद्ध परामर्शदाता, एवं स्वराज्यके लिए आधारस्तम्भ थी ।

पराक्रमी, धैर्यशील ‘स्वतंत्रता प्रेमी वीरांगना अवंतिबाई लोधी’

अवंतिबाई लोधी एक पराक्रमी, धैर्यशील एवं प्रत्युत्पन्नमति स्त्री थी । भारतमाताकी स्वतंत्रताके लिए आसपासके सभी क्षेत्रोंमें रहनेवाली जनताको प्रेरित किया । देशप्रेमी, स्वतंत्रतावीर, क्रांतिवीर एवं क्रांतिदेवी अवंतिबाई जैसी नारियोंने भारतीयका इतिहास ‘यावश्चंद्र दिवाकरौ’ प्रकाशमान किया ।’

रानी तपस्विनी अर्थात ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेजका संयोग

रानी तपस्विनी अर्थात झांसीकी रानी लक्ष्मीबाईकी भानजी थी । रानी लक्ष्मीबाईके अनुसार ही वे घुडसवारी, अस्त्रशस्त्र चलानेका अभ्यास कर रही थीं । अंग्रेजोंके प्रति उनके मनमें अत्यंत तीव्र घृणा थी ।

अब्बक्का रानी : एक वीरांगना जिन्होंने पोर्तुगीजोंको पराभूत किया !

अब्बक्का रानी अथवा अब्बक्का महादेवी तुलुनाडूकी रानी थीं जिन्होंने सोलहवीं शताब्दीके उत्तरार्धमें पोर्तुगीजोंके साथ युद्ध किया । वह एक उत्तुंग, अदम्य साहसी, तेजस्वी एवं देशभक्तिवाली महिला थीं ।

वीरांगना महारानी दुर्गावती

गोंडवानाको स्वतंत्र करने हेतु जिसने प्राणांतिक युद्ध किया और जिसके रुधिरकी प्रत्येक बूंदमें गोंडवानाके स्वतंत्रताकी लालसा थी, वह रणरागिनी थी महारानी दुर्गावती । वे बाल्यावस्थासे ही शूर, बुद्धिमान और साहसी थीं । उन्होंने युद्धकलाका प्रशिक्षण भी उसी समय लिया । प्रचाप (बंदूक) भाला, तलवार और धनुष-बाण चलानेमें वह प्रवीण थी ।

रानी चेन्नम्मा : ब्रिटिशों के विरुद्ध लडनेवाली पराक्रमी रानी

रानी चन्नम्मा भारत की स्वतंत्रता हेतु सक्रिय होनेवाली पहली महिला थी । सर्वथा अकेली होते हुए भी उन्होने ब्रिटिश साम्राज्यपर कडा धाक जमाए रखा । अंग्रेंजों को भगाने में रानी चेन्नम्मा को सफलता तो नहीं मिली, किंतु ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध खडा होने हेतु उसने अनेक स्त्रियों को प्रेरित किया ।

असाधारण पराक्रमी, वीरता झांसीकी रानी लक्ष्मीबाई

जिनके आदर्शपर चलें ऐसे कई पराक्रमी, वीर हिंदुस्तानके १८५७ के स्वतंत्रता संग्राममें विख्यात हुए ।झांसीकी रानी लक्ष्मीबाईके संक्षिप्त चरित्रका अवलोकन !