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केंद्र सरकार धर्म पर आधारित

हलाल’ सर्टिफिकेशन

पर तत्काल प्रतिबंध लगाए

Goal – 10,000 signatures

हलाल अब केवल मांस तक ही सीमित नहीं है, अपितु हमारे दैनिक जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है । मांस से लेकर पैकेज्ड फूड, हाउसिंग प्रोजेक्ट्स से लेकर हॉस्पिटल तक, औषधियों से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक; यहां तक की मॉल भी छूटा नहीं है। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जो एक विशिष्ट धर्म की मान्यताओं से तय होती है । जो भारत की धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था में पांव पसार रही है। यह एक समानांतर अर्थव्यवस्था है, जिसने कई देशों की जीडीपी को चुनौती देने की एक बडी छलांग लगाई है। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जो आतंकी फंडिंग में संलिप्त है। हलाल सर्टिफिकेशन पर आधारित हलाल अर्थव्यवस्था को भारत और भारत के नागरिकों की सुरक्षा के लिए समाप्त करने की आवश्यकता है।

हलाल – भारत के इस्लामीकरण का प्रवेश द्वार

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गैर-मुसलमानों से उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनकर, हलाल उत्पादों का उपयोग करने के लिए विवश किया जाता है !

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केवल मुसलमानों को ही रोजगार मिलता है, जिसके परिणामस्वरूप अल्पसंख्यक समुदाय व्यापार पर कब्जा कर लेता है। हिंदुओं पर तेजी से शरिया कानून थोपा जा रहा है ।

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वस्तुओं को हलाल प्रमाणित कराने के लिए व्यापारियों को संदिग्ध प्रमाणन बोर्ड को हजारों रुपयो का भुगतान करना पडता है ।

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हलाल सर्टिफिकेशन से मिले धन का उपयोग भारत और विदेशों में आतंकवाद तथा इस्लाम के विस्तार के लिए किया जाता है ।

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हिंदुओं को तेजी से शरिया कानून अधिकार में लाया जा रहा है

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हलाल अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से बढती अर्थव्यवस्था है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को उखाड फेंकने के मार्ग पर है।

सावधान !

हलाल आपके जीवन को पूर्ण रूप से नियंत्रित करता है !

हलाल मांस

हलाल श्रृंगार सामग्री

हलाल औषधियां

हलाल हॉटेल

हलाल संपत्ति

हलाल खाद्य

हलाल-सख्ती विरोधी अभियान

हिन्दू जनजागृति समिति के प्रयास

हिन्दू जनजागृति समिति ने 2019 से ‘हलाल जिहाद’ के विरूद्ध आंदोलन शुरु किया।

समिति ने सर्वप्रथम हलाल जिहाद पर व्यापक शोध और आंकडों को लेकर एक ग्रंथ प्रकाशित किया ।

समिति ने हलाल प्रमाणीकरण पर व्यापारियों और कानूनी विशेषज्ञों के साथ ऑनलाइन चर्चा भी आयोजित की।

समिति के प्रतिनिधिमंडल ने धर्म आधारित ‘हलाल प्रमाणपत्र’ पर प्रतिबंध लगाने और ऐसे प्रमाणपत्र जारी करने वाले सभी संस्थानों की जांच की मांग की है।

समिति ने हलाल प्रमाणीकरण पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए समविचारी संगठनों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर हिंदू राष्ट्र जागृति आंदोलन का आयोजन किया।

समिति हलाल जिहाद पर व्यापारियों और उद्यमियों के लिए व्याख्यान आयोजित करती है। इससे प्रेरित होकर वे भी आर्थिक जिहाद के विरुद्ध हिन्दू जनजागृति समिति के अभियान में सम्मिलित हो रहे हैं।

समिति दिवाली और अन्य त्योहारों के समय विशेष जागृति अभियान के माध्यम से लोगों को गैर-हलाल प्रमाणित वस्तुओं को खरीदने पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

समाज के सभीं वर्गों से हुए संगठित विरोध के कारण ‘हलाल शो इंडिया’ के आयोजकों को इसे रद्द करने के लिए विवश किया गया, यह समिति को हलाल अर्थव्यवस्था के विरूद्ध मिली एक बडी सफलता है।

इन सभीं के परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार ने सभीं निर्यात वाले मांस को हलाल प्रमाणित करने की आवश्यकता को रद्द किया। हिंदू एकता की यह सबसे बडी जीत है ।

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Tag Halal products photos to @HindujagrutiOrg

आप क्या कर सकते हैं ?

कोई भी हलाल प्रमाणित उत्पाद न खरीदें और न ही बेचें !

हलाल मांस बेचनेवाले प्रतिष्ठानों (कंपनियां) को सहायता देना बंद करें !

हलाल प्रमाणित उत्पादों को बिक्री के लिए रखने से बचें !

हलाल जिहाद संकट के विषय में जागृति निर्माण करने के लिए अपने सोशल मीडिया नेटवर्क का उपयोग करें !

अपने क्षेत्र में हलाल जिहाद के विषय में जागरूकता निर्माण करनेवाले पुस्तक, पर्चे, पोस्टर वितरित करें !

केवल हलाल मांस या हलाल खाद्य पदार्थ देनेवाले भोजनालयों का विरोध करें !

क्या हलाल सर्टिफिकेशन से मिले धन का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए हो रहा है, इसकी जांच करने की गृहमंत्री से मांग करें !

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, प्रधानमंत्री और जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर समानांतर हलाल अर्थव्यवस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग करें !

क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 का उपयोग करें, जानवरों के साथ मानवीय व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए हलाल वध का मुख्य भाग अन्यायपूर्ण रीति-रिवाजों पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास करें!

 

Organise lectures and seminars on Halal economy to raise awareness among Hindus in your respective areas.

 

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FAQs

अरबी शब्‍द ‘हलाल’ का अर्थ है इस्‍लाम के अनुसार वैध और स्‍वीकार्य; तो उसका प्रतिवाचक शब्‍द है ‘हराम’ अर्थात इस्‍लाम के अनुसार अवैध/निषिद्ध/वर्जित । ‘हलाल’ शब्‍द मुख्‍यत: खाद्यान्‍न एवं तरल पदार्थों के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है ।

इस्‍लामी विधियों के अनुसार ५ ‘अहकाम’ (निर्णय अथवा आज्ञाएं) मानी गई हैं । उनमें फर्ज फर्ज (अनिवार्य), मुस्‍तहब (अनुशंसित), मुबाह (तटस्‍थ), मकरूह (निंदनीय) और हराम (निषिद्ध) अंतर्भूत हैं । इनमें से ‘हलाल’ की संकल्‍पना में पहले ३ अथवा ४ आज्ञाएं अंतर्भूत होने के संदर्भ में इस्‍लामी जानकारों में मतभेद हैं । अधिक पढें..

विश्‍वस्‍तर पर इस्‍लामी देशों का संगठन (ऑर्गनाईजेशन ऑफ इस्‍लामिक कंट्रीज – OIC) ‘उम्‍माह’ अर्थात इस्‍लाम के अनुसार देश और सीमा रहित धार्मिक भाईचारे की संकल्‍पना पर चलता है । इसलिए भारत-नेपाल-चीन जैसे गैरइस्‍लामी देशों के उत्‍पादों का मुसलमान देशों में निर्यात करना हो, तो पहले उन्‍हें अपने देश में स्‍थित वैध इस्‍लामिक संगठन से हलाल प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है । अतः प्रत्‍येक निर्यातक को यह प्रमाणपत्र प्राप्‍त करने के लिए खर्चा तो करना ही पडता है ।

केवल खाना ही नहीं, औषधि से लेकर लिपस्टिक तक सभी है हलाल

ग्लोबल हलाल सर्टिफिकेशन मार्केट अब मांस तक ही सीमित नहीं है, अपितु हमारे दैनंदिन जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है । – मांस से लेकर पैकेज फूड, हाउसिंग प्रोजेक्ट्स से लेकर हॉस्पिटल्स तक, औषधियों से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक; यहां तक की मॉल भी छूटा नहीं है।
 
आज की तारीख में हलाल फ्रेंडली टूरिज्म भी अस्तित्व में है तथा गोदाम को भी हलाल सर्टिफिकेट मिले है। लॉजिस्टिक्स, मीडिया, ब्रांडिंग और मार्केटिंग में भी हलाल सम्मिलित है। हलाल प्रमाणित डेटिंग वेबसाइट हैं जो शरीया के अनुरूप कार्य करती है। कोच्चि के एक बिल्डर ने हाल ही में हलाल प्रमाणित अपार्टमेंट बेचने की पेशकश भी की थी। जो कोई भी अपने उत्पादों को इस्लामिक देशों में निर्यात करना चाहता है, उसे हलाल प्रमाणित होना चाहिए।

आज किसी प्रतिष्‍ठान को गुणवत्ता का ISO (इंटरनैशनल ऑर्गनाईजेशन फॉर स्‍टैंडर्डाईजेशन) प्रमाणपत्र चाहिए, तो उसे अनेक बातों का अचूकता से पालन करना पडता है; परंतु किसी होटल के लिए हलाल प्रमाणपत्र प्राप्‍त करना हो, तो संबंधित इस्‍लामी संगठन द्वारा धर्म पर अधिक बल दिया जा रहा है । वहां मिलनेवाला ‘हलाल मांस अथवा वहां उपयोग किए जानेवाले पदार्थ हलाल प्रमाणित हैं अथवा नहीं ?, इसके परीक्षण पर ही बल दिया गया है । हलाल प्रमाणपत्र के लिए मुसलमान निरीक्षक द्वारा किए जानेवाले परीक्षण निम्‍नानुसार हैं –

अ. हॉटेल की स्‍वच्‍छता, उपयोग किए जानेवाले बरतन, मेन्‍यूकार्ड, फ्रीजर, रसोई में उपयोग किए जानेवाले पदार्थ, पदार्थों का संग्रह आदि का निरीक्षण कर उसका ब्‍यौरा बनाना

आ. सुअर का मांस अथवा उनसे बनाए गए पदार्थ वहां उपलब्‍ध नहीं होने चाहिए, साथ ही अल्‍कोहल का उपयोग अथवा विक्रय नहीं होना चाहिए ।

इ. उपयोग किया जानेवाला मांस वैध हलाल प्रमाणपत्रप्राप्‍त पशुवधगृह से लाए जाने की आश्‍वस्‍तता करना, साथ ही उस पैकेट पर अंकित हलाल चिन्‍ह की आश्‍वस्‍तता करना

ई. पदार्थ बनाने हेतु आवश्‍यक अन्‍य घटक, उदा. तेल, मसाले आदि के हलाल प्रमाणित होने की आश्‍वस्‍तता करना

उ. वर्षभर में नियोजित अथवा औचक निरीक्षण कर उक्‍त सभी सूत्रों की आश्‍वस्‍तता करना

इनमें से उक्‍त सूत्रों में ऐसा कोई भी विशेष कार्य अथवा कुशलता दिखाई नहीं देती । किसी भी होटल में सर्वसामान्‍यरूप से ये बातें हो सकती हैं; परंतु सामान्‍य बातों को एक विशिष्‍ट तांत्रिक लेपन कर उससे हलाल अर्थव्‍यवस्‍था खडी की जा रही है ।

भारत में पांच या छह संस्थाएं हैं जो हलाल प्रमाणपत्र जारी करती हैं। सबसे ज्यादा मांग जमीयत-उलमा-ए-महाराष्ट्र और जमीयत-उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट की है। शरिया समिति कंपनी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट और दस्तावेजों को देखकर तय करती हैं कि हलाल प्रमाणपत्र जारी किया जाए या नहीं। ऐसा नहीं लगता कि उत्पाद का वैज्ञानिक या विश्लेषणात्मक परीक्षण है। इस संपूर्ण प्रक्रिया में सरकार की कोई भूमिका नहीं है।

आखिर हलाल सर्टिफिकेट का पैसा कहां जाता है ?
हलाल प्रमाणित उत्पाद खरीदने के लिए गैर-मुस्लिमों को क्यों बाध्य किया जाता है ?
इतनी बड़ी रकम का उपयोग हलाल सर्टिफिकेट देने वाली एजेंसियां ​​कहां करती हैं ?

ये कुछ महत्त्‍वपूर्ण प्रश्न हैं जो भारत में हलाल पर बार-बार पूछे जाते हैं। हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने एक लेख में लिखा है कि, 2 खरब डॉलर होनेवाली हलाल अर्थव्यवस्था भारत की जीडीपी को टक्कर दे रही है ! धर्म में आधार एक समानांतर आर्थिक व्यवस्था धीरे-धीरे ‍विशाल रूप धारण कर रही है; जिसका निश्चित रूप से भारत के ‘धर्मनिरपेक्षता’ पर प्रभाव पड़ेगा। हिंदुओं को ‘हलाल’ प्रमाणित उत्पादों और ऐसी कंपनियों के उत्पादों को खरीदने से बचना चाहिए, जो हिंदू परंपराओं का ‘इस्लामीकरण’ कर रही हैं।

भारतीय सेना में 23 ‍वर्ष सेवारत रह चुके सरोज चड्ढा ने टाइम्स ऑफ इंडिया पर अपने ब्लॉग में लिखा है कि, सरकार के हस्तक्षेप से न केवल भारतीय मुसलमान, अपितु इस्लामी देश भी क्रोधित होगे। इसे मुसलमानों के मौलिक अधिकारों के हनन के रूप में भी उपस्थित किया जा सकता है। उपभोक्ताओं को इसका निर्णय लेने देना अधिक योग्य होगा। यदि गैर-मुसलमानों को लगता है कि, हलाल सर्टिफिकेशन उनके साथ ठगी कर रहा है या इससे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो उन्हें ऐसे उत्पाद नहीं खरीदने चाहिए।

वैश्‍विक स्‍थिति का विचार करने पर हलाल अर्थव्‍यवस्‍था आज विश्‍व की सबसे तीव्र गति से बढ रही अर्थव्‍यवस्‍था मानी जा रही है । हलाल मार्केट का मूल्य 3 ट्रिलियन डॉलर्स से अधिक है । (रू. 24,71,38,50,00,00,000)  इसमें तीव्र गति से बढ रही मुसलमान जनसंख्‍या का भी बडा हाथ है । इसका बाजार हर साल 15-20% की दर से बढ रहा है। इनमें से खाद्य पदार्थों का हिस्सा केवल 6-8% है। दुनिया की लगभग 32% जनसंख्या मुस्लिम है। उनके पास एक विशाल उपभोक्ताओं का आधार है और यह भाग निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। कोई भी उद्योग एक ही उत्पाद को दो तरह से नहीं बनाना चाहेगा, एक जो हलाल प्रमाणित हो और दूसरा गैर-इस्लामी देशों के लिए। इससे लागत भी बढ़ेगी और उत्पादन भी जटिल होगा। इस कारण से ही कंपनियों को हलाल सर्टिफिकेट लेकर सभी को एक जैसा उत्पाद बेचने में आसानी होती है।

भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के अंतर्गत ‘अन्‍न सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण’ (Food Safety and Standards Authority of India – FSSAI), साथ ही महाराष्‍ट्र में अन्‍न एवं औषधि प्रशासन (Food and Drugs Administration – FDA) विभाग का गठन किया गया है । खाद्यपदार्थों से संबंधित सभी प्रकार की अनुमति देने के अधिकार इस विभाग को हैं । उसके लिए विविध प्रकार की शर्तें पूर्ण करनी पडती हैं । उसमें भूमि की रचना से लेकर अग्‍नि प्रतिबंधक व्‍यवस्‍था और कचरा व्‍यवस्‍थापन आदि सभी बातों की आपूर्ति करनी पडती है । उसके लिए शुल्‍क का भी भुगतान करना पडता है । एक ओर खाद्यपदार्थों से संबंधित प्रमाणपत्र देनेवाली सेक्‍युलर शासन की व्‍यवस्‍था होते हुए भी हलाल प्रमाणपत्र देने की अनुमति निजी धार्मिक संस्‍थाओं को क्‍यों दी गई है ? ये निजी संस्‍थाओं द्वारा सरकार के किसी बंधनों का पालन न कर केवल धार्मिक आधार पर दिए जा रहे हलाल प्रमाणपत्र के नाम पर वसूले जानेवाले शुल्‍क को अवैध क्‍यों प्रमाणित नहीं किया जाता ?

हलाल अर्थव्‍यवस्‍था बहुत ही वेग से बढ रही है और वह संपूर्णरूप से निजी इस्‍लामी संस्‍थाओं द्वारा संचालित की जा रही है । सरकार का उस पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है । 

भारत में हलाल प्रमाणपत्र देनेवाले ‘जमियत उलेमा-ए-हिन्‍द’ एक प्रमुख संगठन है । भारत में ब्रिटिश राजसत्ता का विरोध करने हेतु वर्ष १९१९ में इस संगठन की स्‍थापना की गई थी । यह संगठन कांग्रेस के साथ कार्यरत था और उसने विभाजन का भी विरोध किया था । विभाजन के समय इस संगठन के २ टुकडे होकर उसमें से ‘जमियत उलेमा-ए-इस्‍लाम’ संगठन ने पाकिस्‍तान का समर्थन किया था । आज यह संगठन एक शक्‍तिशाली मुस्‍लिम संगठन के रूप में जाना जाता है । हाल ही में इस संगठन के बंगाल प्रदेशाध्‍यक्ष सिद्दीकुल्ला चौधरी ने CAA विधि के विरोध में, ‘केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को हवाई अड्डे से बाहर ही नहीं आने देंगे’, यह धमकी भी दी थी । इसी संगठन के उत्तर प्रदेश के हिन्‍दू नेता कमलेश तिवारी के हत्‍या प्रकरण के आरोपियों का अभियोग लडने की घोषणा की थी । इस संगठन ने ७/११ का मुंबई रेल बमविस्‍फोट, वर्ष २००६ का मालेगांव बमविस्‍फोट, पुणे में जर्मन बेकरी बमविस्‍फोट, २६/११ का मुंबई आक्रमण, मुंबई के जवेरी बजार में बमविस्‍फोटों की शृंखला, देहली का जामा मस्‍जिद विस्‍फोट, कर्णावती (अहमदाबाद) बमविस्‍फोट आदि अनेक आतंकी घटनाओं के आरोपी मुसलमानों के लिए कानूनी सहायता उपलब्‍ध कराई है । जामिया ऐसे कुल ७०० संदिग्‍ध आरोपियों के अभियोग लड रहा है । एक प्रकार से हिन्‍दू ही इसके लिए उन्‍हें हलाल प्रमाणपत्रों के शुल्‍क द्वारा आवश्‍यक धन की आपूर्ति उपलब्‍ध करा रहे हैं ।

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प्रशांत सांबरगी, फिल्म वितरक, उद्योगपति एवं हिन्दू नेता, बेंगलुरु
विनोद बंसल, राष्ट्रीय प्रवक्ता, विश्व हिन्दू परिषद
रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
रवि रंजन सिंह, अध्यक्ष, झटका सर्टिफिकेशन प्राधिकरण
नीरज अत्री, अध्यक्ष, विवेकानंद कार्य समिति
गिरीश भारद्वाज, संस्थापक अध्यक्ष, भारत पुनरुत्थान ट्रस्ट