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श्री तुलजाभवानी मंदिर में रूढी, प्रथा तथा परंपराओं का हो रहा अनादर त्वरित रोके ! – देवस्थान संरक्षक कृती समिति

श्री तुलजाभवानी देवस्थान संरक्षक कृती समिति की शासन की ओर मांग

श्रीक्षेत्र तुलजापुर (जिला धाराशिव) : श्री तुलजाभवानी देवस्थान संरक्षक कृती समिति की ओर से ११ मई को मुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस के नाम, स्थानीय प्रशासन को विविध मांगों का ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। प्रशासन की ओर से नायब तहसिलदार श्री. नरसिंह जाधव ने इस ज्ञापन का स्वीकार किया। इस ज्ञापन में यह मांगे की गई है कि, ‘श्री तुलजाभवानी मंदिर में रूढी, प्रथा तथा परंपराओं को पैरोंतले कुचला जा रहा है, उन्हें त्वरित प्रतिबंधित करें ! साथ ही उन्हें पुनः एक बार धर्मशास्त्रानुसार आरंभ करें !’

नायब तहसिलदार श्री. नरसिंह जाधव को ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए श्री तुलजाभवानी देवस्थान संरक्षक कृती समिति के हिन्दुत्वनिष्ठ

इस समय गरीबनाथ मठ के मठाधिपती तथा श्री तुलजाभवानी संरक्षक कृती समिति के महंत मावजीनाथ महाराज के साथ कृती समिति के सदस्य श्री. अर्जुन साळुंके, पुजारी मंडल के अध्यक्ष श्री. विपीन शिंदे, जनहित संघटन के संस्थापक अध्यक्ष श्री. अजयभैय्या साळुंके, जिलाध्यक्ष श्री. प्रशांत कदम, शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के श्री. सचिन सूर्यवंशी, बजरंग दल के सर्वश्री अलोक शिंदे, विद्याधर सोनवणे, धनंजय बगडी, विनायक माळी, रोहन भांगी, हिन्दु जनजागृति समिति के सर्वश्री विनोद रसाळ, अमित कदम, सर्वोत्तम जेवळीकर, संदीप बगडी तथा सुरेश नाईकवाडी आदि उपस्थित थे।

श्री तुलजाभवानी देवस्थान संरक्षक कृती समिति ने ज्ञापनद्वारा अन्य कुछ मांगे की हैं, वो इस प्रकार है …..

१. सभी यात्राओं की कालावधी में श्रद्धालुओं को धर्मशास्त्र, रूढी, परंपरा अनुसार श्री शहाजी राजे महाद्वार से प्रवेश प्राप्त हो तथा सभी श्रद्धालुओं को कल्लोळ तीर्थ, श्रीगणेश के दर्शन का पूरीतरह से लाभ प्राप्त हो !

२. कल्लोळ तीर्थ के पास जूते पहनकर जानेवाले अधिकारी तथा पुलिस पर कार्रवाई करें तथा निर्बंध डालें !

३. सुरक्षितता के कारण से सुरक्षा कर्मचारियोंद्वारा श्रद्धालु तथा पुजारी के पास की जानेवाली दडपशाही बंद हो तथा ऐसे सुरक्षा कर्मचारियों पर कार्रवाई हो !

४. मंदिर में सुरक्षा हेतु आनेवाले कर्मचारी तथा पुलिस को मंदिर से संबंधित धर्मशिक्षण देकर ही उनकी वहां नियुक्त करें। जिससे उनकी ओर से मंदिर, पूजा, प्रसाद तथा नैवेद्य की पवित्रता भंग नहीं होगी !

५. मातंगी द्वार से श्रद्धालु बाहर निकलने के पश्चात आगे का मार्ग, अतिक्रमण के कारण कष्टप्रद हुआ है। अतः यह अतिक्रमण हटाकर मार्ग चौडा करें !

प्रशासन को प्रस्तुत किए गए ज्ञापन में कहा गया है कि,

१. श्री तुलजाभवानी मंदिर साढेतीन पिठों में से एक शक्तिस्थान के रूप में प्रसिद्ध है। यहां श्री आदिमाता, आदिशक्ति का चैतन्य आता है, उसे निभाए रखना तथा उसका श्रद्धालुओ को लाभ प्राप्त करवाने हेतु इस तीर्थक्षेत्र पर आरंभ धर्मशास्त्र पर आधारित रूढी, परंपरा तथा प्रथाओं का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। तथापि शासननियुत प्रशासकीय अधिकारियों की ओर से प्रथा, परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा है। वे अपनी मनमानी वृत्ति से श्रद्धालुओं के दर्शन का तथा पूजा का व्यवस्थापन कर रहें !

२. वास्तव में धर्मशास्त्रानुसार यह प्रथा रूढ है कि, यात्रा की कालावधी में प्रमुख प्रवेश द्वार से आगे जाकर कल्लोळ तीर्थ प्राशन कर श्री गणेशजी का दर्शन तत्पश्चात श्री तुलजाभवानी का दर्शन करना। उससे देह तथा मन की शुद्धि होकर देवताओंद्वारा आनेवाली शक्ति श्रद्धालुओं को प्राप्त होती है; किंतु, दर्शन मार्ग में परिवर्तन करने के कारण श्रद्धालु कल्लोळ तीर्थ तथा श्री गणेश के दर्शन से वंचित रह जाते हैं। कल्लोळ तीर्थ स्वयंभू तथा ईश्वर संकल्पित है। वर्तमान में श्रद्धालुओं को उसका दर्शन लेने की अनुमती नहीं है। अतः वर्तमान में श्रद्धालु श्री गणेश दर्शन से तथा कल्लोळ तीर्थ से वंचित रह गए हैं !

३. ११ अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा उत्सव के समय ५ से ६ लक्ष भक्तों ने महाद्वार से तथा कल्लोळ तीर्थ के दर्शन का लाभ ऊठाया। उस समय ४० होमगार्ड तथा कुछ मंदिर समिति के कर्मचारियों ने श्रद्धालुओं का महाद्वार से बाहर जाने का नियोजन किया था। किंतु नवरात्रि के समय महाद्वार से जानेवाला दर्शन मार्ग बंद कर अनुचित सुविधा तथा धर्मपरंपरा तोडनेवाले मार्ग से प्रवेश दिया जाता है। उस समय केवल २ से ३ लक्ष श्रद्धालु उपस्थित रहते हैं। अतः यदि चैत्र पूर्णिमा के दिन महाद्वार से दर्शन प्राप्त करने का नियोजन किया जा सकता है, तो नवरात्रि के समय क्यों नहीं किया जा सकता ?

४. मंदिर समिति के अधिकारी तथा पुलिस अधिकारी जूते पहनकर कल्लोळ तीर्थ के आसपास के परिसर में प्रवेश कर घूमते रहते हैं, मंदिर की पवित्रता भंग करते हैं। उससे धार्मिक भावना आहत होती है। ऐसे कृत्य अत्यंत अशोभनीय तथा कालिख पोछनेवाले हैं !

५. मातंगी द्वार से बाहर निकलनेवाला मार्ग अतिक्रमण के कारण अत्यंत अरूंद होता है परिणामस्वरूप श्रद्धालुओं को कष्ट का सामना करना पडता है। यह अतिक्रमण हटाकर यदि यह मार्ग चौडा किया जाएगा, तो श्रद्धालु सहजता से बाहर जा सकेंगे !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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