१४ जून को अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के सुबह के सत्र में मान्यवरों द्वारा किया हुआ मार्गदर्शन
रामनाथी : उद्घाटन सत्र में मार्गदर्शन करते हुए छिंदवाडा, मध्यप्रदेश की प.पू. साध्वी सरस्वतीजी ने राष्ट्र आणि धर्म पर हो रहे आघातों के संबंध में संक्षेप में बताया । उन्होंने कहा,
१. प्रभु श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण तथा छत्रपती शिवाजी महाराज इनके भूमी में हमें हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए लढना पड रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है ।
२. आज हिन्दुआेंको ही धर्म बताकर हिन्दू बनाने की आवश्यकता उत्पन्न हुर्इ है ।
३. निधर्मीवादीयों के नामपर अन्य पंथियोंद्वारा आतंकवाद फैलाया जा रहा है ।
४. अभी हिंदुत्वनिष्ठ सरकार होते हुए भी राममंदिर के निर्माण हेतु उनके आगे हाथ जोडना पड रहा है । जिस दिन हिन्दुआेंका आवाज बुलंद हो जाएगा, उस दिन मंदिर का निर्माण होगा ।
५. गोमाता की हत्या तथा उसके विषयमें असभ्य बाते बोली जाती है । एेसा करनेवालोंपर साम, दाम, दंड आैर भेद की नीती अपनानी चाहिए । गोमाता की हत्या करनेवालों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए ।
६. कश्मीर को भारत से अलग करने का षड्यंत्र चल रहा है तथा उसी के एक भाग स्वरूप अमरनाथ यात्रा बंद करने के प्रयत्न चल रहे हैं ।
७. हिन्दू राष्ट्र ही सर्व समस्याआें का उत्तर है । जिन्हें इस देश में हिन्दू राष्ट्र नहीं चाहिए, वे पाकिस्तान जा सकते हैं ।
८. केवल हिन्दू राष्ट्र के विषय में न बोलते हुए सबको स्वरक्षणार्थ तैयार रहना चाहिए । देश के सर्व हिन्दुआें को एकत्रित कर देशरक्षा और हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए एकत्र करना होगा ।
९. देश में भगवा आतंकवाद नहीं है । हिन्दुआें ने देवता, देश और धर्म की रक्षा की अग्नि में स्वयं को समर्पित किया है, इसलिए उसका रंग भगवा है ।
१०. मुलायमसिंह यादव ने अखिलेश यादव को औरंगजेब का इतिहास सिखाया, इसलिए उनकी स्वयं की स्थिति विकट हो गई है । उन्होंने अखिलेश यादव को रामायण सिखाई होती, तो उन पर यह समय न आता ।