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देश में गोवंशहत्या बंदी कानून बनना ही चाहिए – प.पू. साध्वी सरस्वतीजी, राष्ट्रीय अध्यक्षा, सनातन धर्म प्रचार सेवा समिति

१४ जून को अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के सायंकाल के सत्र में मान्यवरों द्वारा किया हुआ मार्गदर्शन

प.पू. साध्वी सरस्वतीजी, राष्ट्रीय अध्यक्षा, सनातन धर्म प्रचार सेवा समिति

राजस्थान शासन ने गोहत्या करनेवालों को आजीवन कारावास का प्रशंसनीय निर्णय लिया है । ऐसा निर्णय राष्ट्रव्यापी होना आवश्यक है । गाय हिन्दुआें की आस्था का विषय है, इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर केवल गोहत्याबंदी नहीं, संपूर्ण गोवंश हत्याबंदी कानून लागू होना चाहिए, ऐसी मांग छिंदवाडा, मध्यप्रदेश की सनातन धर्म प्रचार सेवा समिति की राष्ट्रीय अध्यक्षा प.पू. साध्वी सरस्वतीजी ने की ।

प.पू. साध्वी सरस्वतीजी ने आगे कहा…

१. गाय को बचाना है, तो हिन्दुआें को गायों के उत्पाद का अधिक मात्रा में उपयोग करना होगा, तथा प्रत्येक हिन्दू गाय पाले । वृद्ध गोमाता को पालने की व्यवस्था निर्माण करनी होगी । गोशालाआें की सहायता करनी होगी ।

२. केवल भाजपा शासन की ‘गाय बचाओ’ नीति का विरोध करने के लिए केरल राज्य में गाय की हत्या कर ‘बीफ’ खाया गया । यह अत्यंत निषेधजनक है, ऐसे लोगों को निश्‍चित रूप से कठोर दंड मिलना ही चाहिए ।

३. एक चलचित्र में गाय की पूजा करने पर भी विशेष कुछ नहीं होता, ऐसा अनुचित चित्रीकरण दिखाया गया था । ऐसे चलचित्र बनानेवालों का मैं निषेध करती हूं ।

४. जिस देश में गाय को माता समान स्थान है, उस देश से सर्वाधिक गोमांस निर्यात होता है, यह अत्यंत वेदनाजनक है ।

५. हिन्दुआें को एकत्र होकर गोरक्षा का कार्य करना होगा । इस कार्य में पुलिस की सहायता लें !


स्वरक्षा एवं संस्कृति रक्षा हेतु हिन्दुआें से शस्त्र रखने का आवाहन ! – प.पू. साध्वी सरस्वतीजी

मैं आवाहन करती हूं कि, ‘हिन्दू शस्त्र रखें ।’ परंतु उसका निश्‍चित मतितार्थ समझना आवश्यक है । इसका उपयोग अन्य लोगों को मारने के लिए नहीं, अपितु ‘हिन्दुआें पर आक्रमण होने पर उन्हें स्वरक्षा एवं संस्कृति रक्षा हेतु उसका उपयोग करना होगा’, ऐसा उसका मतीतार्थ है, ऐसा मत प.पू. साध्वी सरस्वतीजी ने व्यक्त किया ।

प.पू. साध्वी सरस्वतीजी ने आगे कहा, ‘‘इस देश के जो लोग गाय को माता मानते हैं, इस देश को अपनी माता मानते हैं उन्हें हम हिन्दू ही समझते हैं । इस देश में कुछ राष्ट्रप्रेमी मुसलमानों ने भी योगदान दिया है, ऐसे लोगों को हमारा विरोध नहीं है ! जो व्यक्ति इस देश, संस्कृति, धर्म को अपना मानता है, उन्हें हम अपना ही मानते हैं; परंतु जो इसका विरोध करेंगे, उनका हम विरोध करते रहेंगे ।’’

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