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थेरगाव (महाराष्ट्र) में हिन्दू जनजागृति समिति का उद्बोधन अभियान पुलिसकर्मियों ने किया बंद 

संस्कार प्रतिष्ठान के कार्यकर्ता एवं प्राज प्रतिष्ठान के कार्यकर्ताआें को भी बाहर निकाला

चिंचवड : यहां के थेरगाव घाटपर हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से गौरीविसर्जन के दिन अर्थात ३१ अगस्त को प्रतिवर्ष की भांति उद्बोधन अभियान चलाया जा रहा था; किंतु दोपहर में पुलिसकर्मियों ने वहां आकर समिति के कार्यकर्ताआें को इस अभियान को बंद करने के लिए बाध्य किया । उन्होंने कार्यकर्ताआें से ‘‘आपको यदि यहां कुछ रखना है, तो केवल आपके फलक रखिए; परंतु एक भी व्यक्ति यहां नहीं रूकेगा, अन्यथा आप को धारा १४९ के अनुसार नोटिस दिया जाएगा ।’’, ऐसा कहकर विसर्जन घाटपर रूके समिति के सभी कार्यकर्ताआें को वहां से निकल जाने के लिए कहा । इसपर समिति के कार्यकर्ताआें ने इन पुलिसकर्मियों से कहा, ‘‘समिति की ओर से पुलिस प्रशासन को इस उद्बोधन अभियान के विषय में पहले ही सूचित किया गया था, साथ ही यह एक उद्बोधनजन्य अभियान है और वह एक प्रकार से धर्मसेवा ही है ।’’; परंतु इन पुलिसकर्मियों ने कार्यकर्ताआें का पक्ष न सुनकर उनको इस अभियान को बंद करने के लिए कहा । उसी समय मूर्तिदान एवं निर्माल्यदान का अभियान चलानेवाले संस्कार प्रतिष्ठान एवं प्राज प्रतिष्ठान के कर्मचारियों को भी पुलिसकर्मियों ने अपना अभियान बंद करने के लिए कहा ।

पिंपरी-चिंचवड के सहायक पुलिस आयुक्त ने अन्य पुलिस अधिकारियों को कार्यकर्ताआें का नाम और उनके संपर्क क्रमांक लिखकर लेने के मौखिक आदेश दिए । (सूखे के साथ ही गीला भी जलानेवाला यह पुलिसतंत्र ! वास्तविक रूप से संस्कार प्रतिष्ठान का अभियान श्रद्धालुआें का दिशाभ्रम करनेवाला था; परंतु समिति का यह अभियान धर्म से सुसंगत था । विधि द्वारा सभी को वैधानिक पद्धति से अभियान चलाने का अधिकार प्रदान किया गया है । ऐसा होते हुए भी पुलिसकर्मियों को अयोग्य बातों को बंद कर अच्छे कृत्यों को प्रोत्साहन देना चाहिए था; किंतु समिति की उद्बोधनजन्य तथा वैधानिक पद्धति से चलाए जानेवाले अभियान को भी बंद करना अयोग्य है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

इन पुलिसकर्मियों ने भले ही अभियान चलानेवाले सभी को बाहर जाने के लिए कहा था; परंतु कमिन्स प्रतिष्ठान के कर्मचारी, साथ ही जैन विद्यालय के छात्र श्रद्धालुआें को निर्माल्यदान का आह्वान कर ही रहे थे । तो कुछ श्रद्धालु भी तात्कालीन हौज में रखे गए पानी में मूर्ति का विसर्जन कर मूर्ति का दान दे रहे थे ।(धर्मशिक्षा के अभाव के कारण किया जानेवाला अयोग्य कृत्य ! धर्मशास्त्र के अनुसार श्री गणेशमूर्ति का विसर्जन बहते पानी में किया गया, तो उससे आध्यात्मिक स्तरपर लाभ मिलता है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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