• संस्कृति की रक्षा हेतु ग्रामवासी एवं हिन्दुत्वनिष्ठों को बार-बार आंदोलन चलाना पड़ें यह शासन के लिए लज्जास्पद !
• इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु अब हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बिना अन्य कोई विकल्प नहीं !
मोशी (चिंचवड) : संत ज्ञानेश्वर महाराज एवं संत तुकाराम महाराज ने अध्यात्मप्रसार, संस्कृति के पुनरुत्थान का, साथ ही समाज को बनाने का दिव्य कार्य किया। इस संतद्वयी के वास्तव्य से पावन बने तीर्थस्थान देहू एवं आळंदी लाखों श्रद्धालुओं के आस्था के केंद्र हैं ! ऐसी संतभूमियों के निकट पिंपरी-चिंचवड नवनगर प्राधिकरण के अंतर्गत मोशी गांव के पुणे इंटरनॅशनल एक्झिबिशन अॅण्ड कन्व्हेन्शन सेंटर में इस वर्ष का सनबर्न फेस्टिवल होने की संभावना है। किसी भी प्रकार की अनुमति न लेते हुए भी इस फेस्टिवल की ऑनलाईन टिकटों का विक्रय आरंभ किया गया है। मादक पदार्थों का मुक्तरूप से सेवन, बुरी आदतों और उच्छृंखलता को प्रोत्साहित करनेवाले इस सनबर्न फेस्टिवल के विरोध में ‘संतभूमि एवं संस्कृतिरक्षा अभियान’ के अंतर्गत ८ अक्तूबर को मोशीचौक पर निषेध आंदोलन किया गया।
सनबर्न फेस्टिवल के विरोध में विराट आंदोलन खडा करेंगे ! – श्री. धनंजय आल्हाट, पूर्व पार्षद, शिवसेना
केवल मोशी गांव से ही नहीं, अपितु पूरे भारत से सनबर्न फेस्टिवल को सीमापार लगाने का हिन्दुत्वनिष्ठों का निश्चय !
वारकरी संप्रदाय तीर्थस्थान आळंदी-देहू के निकट स्थित मोशी में विकृत सनबर्न फेस्टिवल के प्रस्ताव का तीव्रता के साथ विरोध करेगा ! इस माध्यम से पाश्चात्त्य देशों की भोगवादी संस्कृति को भारत में लाने का यह षडयंत्र है ! संतभूमि में होनेवाले इस फेस्टिवल का विरोध करने हेतु सर्वदलीय कार्यकर्ता राजनीति को बाजू में रख कर संघटित हों। अपनी संस्कृतिरक्षा का दायित्व युवकों का है। शासन ने यदि इस फेस्टिवल को निरस्त नहीं किया, तो हम सनबर्न फेस्टिवल के विरोध में व्यापक जनआंदोलन खडा करेंगे !
पिंपरी – चिंचवड महापालिका की सर्वसाधारण सभा में प्रस्ताव पारित किया जाए ! – श्रीमती सुलभा उबाळे, शिवसेना
हम किसी राजनीतिक दल के रूप में नहीं, अपितु एक ‘हिन्दू’ के रूप में आंदोलन में सम्मिलित हुए हैं। अब हमारा एक ही दल, ‘सनबर्न का विरोध’ ! हम इस फेस्टिवल को मोशी में कदापि नहीं होने देंगे। इस संदर्भ में महापालिका की सर्वसाधारण सभा में सनबर्न फेस्टिवल के विरोध में प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए। उसके पश्चात हम देखेंगे कि इस फेस्टिवल को करने का किसमें साहस है !
इस फेस्टिवल के लिए यदि अनुमति मिल गई, तो इस फेस्टिवल के चारों ओर हिन्दुत्वनिष्ठों का घेरा होगा। किसी भी व्यक्ति को हम अंदर जाने नहीं देंगे। हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु आवश्यकता पडी, तो हम प्राणपूर्वक प्रयास करने हेतु भी सिद्ध हैं। इस सनबर्न फेस्टिवल को इस संतभूमि में कार्यक्रम करने की अनुमति दी किसने ? और उनके पीछे किन किन लोगों के हाथ हैं ?, यह सामने आना चाहिए। गली से देहली तक हमारा शासन होते हुए भी ‘सनबर्न’ जैसे फेस्टिवलों के लिए ज्ञात-अज्ञात रूप से यदि सहायता मिलती हो, तो हमें इस पर लज्जा प्रतीत होती है ! यह देखने पर कहीं हम अयोग्य प्रवाह से तो नहीं चल रहे हैं न !, ऐसा लगता है। (इस प्रकार से कितने जनप्रतिनिधी धर्मरक्षा हेतु सिद्ध होते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
शासन की भूमिका संदेहजनक ! – श्री. मारुति भापकर, पूर्व पार्षद
साधु-संतों की भूमि में पाश्चात्त्य विकृति को प्रचालित करनेवाले ‘सनबर्न’ जैसे फेस्टिवल हो तो कैसे सकते हैं ? युवाशक्ति ही वास्तविक शक्ति है और इस युवाशक्ति के बल पर ही भारत महासत्ता बन सकता है !, ऐसी वल्गनाएं करनेवालों की ओर से ही युवा पीढी को ध्वस्त करनेवाला फेस्टिवल करने दिया जा रहा है ! इस प्रकरण में शासन की भूमिका संदेहजनक है। हम किसी भी स्थिति में इस फेस्टिवल को नहीं होने देंगे ! उसके पश्चात भी यदि फेस्टिवल को होने दिया गया और उससे यदि कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित कोई प्रश्न उत्पन्न हो गया, तो उसका पूरा दायित्व प्रशासन एवं पुलिस यंत्रणा पर होगा !
हिन्दुत्व की रक्षा हेतु सभी संघटित हों ! – ह.भ.प. मंगलाताई कांबळे
भारत दिव्य प्रकाश देनेवाला एकमात्र देश है ! अन्य सभी देश विशाल हैं; परंतु वो भोगवादी हैं। सनबर्न फेस्टिव भारतमाता का अनादर करने का काम कर रहा है। इस माध्यम से हिन्दू धर्म एवं संस्कृति पर आघात हो रहे हैं। सभी को हिन्दुत्व की रक्षा हेतु संघटित होना चाहिए !
संस्कृति रक्षा हेतु फांसी पर चढने की सिद्धता ! – श्री. अर्जुन बोराटे, बजरंग दल
सनबर्न फेस्टिवल तो हिन्दू धर्म पर हो रहा आघात है ! संस्कृति की रक्षा हेतु आवश्यकता पडने पर फांसी पर भी चढने की हमारी सिद्धता है। हिन्दू धर्म रहा, तो ही समाज रह पाएगा। घर-घर से बच्चों को दिए जानेवाले आवश्यक संस्कार अल्प होने से ही सनबर्न जैसे फेस्टिवल होते हैं ! हम हिन्दू संस्कृति को दूषित करनेवाले ऐसे फेस्टिवलों को होने नहीं देंगे !
सनबर्न फेस्टिवल को बिखेर कर रख देंगे ! – श्री. वसंत बोराटे, पार्षद, भाजपा
सनबर्न फेस्टिवल का बडी मात्रा में विरोध किया जा रहा है, यह अच्छी बात है ! हम इस संतों की भूमि में इस फेस्टिवल को नहीं होने देंगे। आवश्यकता पडने पर हम इस फेस्टिवल को बिखेर कर रख देने से भी पीछे नहीं हटेंगे !
हिन्दुत्वनिष्ठ शासन के कार्यकाल में सनबर्न फेस्टिवल जैसे फेस्टिवल होते हैं, इस पर लज्जा प्रतीत होती है ! – श्री. चंद्रकांत वारघडे, संस्थापक, माहिती सेवा समिति
आरक्षण हेतु लाखों की संख्या में फेरियां निकालनेवाले सनबर्न फेस्टिवल के माध्यम से संस्कृति पर हो रहे आघातों के समय में सडक पर क्यों नहीं उतरते ? धन के बल पर सनबर्न फेस्टिवल संपन्न किया जाता है। पिछले वर्ष केसनंद गांव में जो सनबर्न फेस्टिवल हुआ, उसके एक दिन पहले तक प्रशासनद्वारा निर्देशित ३० शर्तों में से आधे से भी अधिक शर्तों की आपूर्ति न कर भी सनबर्न फेस्टिवल संपन्न हो गया ! इस फेस्टिवल के लिए बिना किसी शुल्क के ५०० पुलिसकर्मियों का संरक्षण उपलब्ध करा दिया गया। स्वयं को हिन्दुत्वनिष्ठ कहलानेवाले शासन के कार्यककाल में ऐसे फेस्टिवल होने दिए जाते हैं, इसपर लज्जा प्रतीत होती है !
मोशी में सनबर्न फेस्टिवल हेतु एक बांस भी खडा नहीं करने देंगे ! – हिन्दूभूषण ह.भ.प. श्याम महाराज राठोड
जब धर्म एवं संस्कृति पर आघात होता है, तब वारकरी संप्रदाय सडक पर उतर आता है ! वारकरी संप्रदाय ने इसके पहले डाऊ प्रतिष्ठान को जलाने का भी काम किया है। इस समय भी हम सनबर्न फेस्टिवल के समय मोशी गांव में एक बांस भी खडा नहीं करने देंगे !
हिन्दू जनजागृति समिति का हिन्दूसंघटन का कार्य प्रशंसनीय है। सनबर्न फेस्टिवल के लिए ग्रामवासियों के तीव्र विरोध के पश्चात भी यदि इस फेस्टिवल को होने दिया गया, तो हम इस फेस्टिवल को बिखेर कर रख देंगे ! – श्री. नीलेश मुटके, शिवसेना
शासन सनबर्न फेस्टिवल पर प्रतिबंध लगाए ! इस फेस्टिवल को हम केवल मोशी गांव से ही नहीं, अपितु इस परिसर से भी सीमापार लगा देंगे ! – श्री. निखिल बोर्हाडे
धर्म एवं राष्ट्रपर हो रहे आघातों के विरोध में सभी संघटित हों ! – श्री. प्रवीण नाईक, सनातन संस्था
पिछले वर्ष केसनंद गांव में सभी नियमों को ठुकरा कर और केवल धन के बल पर सनबर्न फेस्टिवल संपन्न किया गया। इस वर्ष यह फेस्टिवल मोशी गांव में होनेवाला है। अतः राष्ट्र एवं धर्मपर हो रहे आघातों के विरोध में सभी संघटित हों !
हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा राष्ट्र एवं धर्मरक्षा हेतु चलाए गए आंदोलनों को अंत तक ले जाया गया ! – श्रीमती सुलभा उबाळे, शिवसेना
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से सनबर्न फेस्टिवल के विरोध में चलाए गए आंदोलन की प्रशंसा करते हुए शिवसेना के पूर्व पार्षद श्रीमती सुलभा उबाळे ने कहा, ‘‘हिन्दू जनजागृति समिति ने राष्ट्र एवं धर्मरक्षा हेतु सदैव आंदोलन चलाए हैं। यह समितिद्वारा चलाया गया कोई पहला आंदोलन नहीं है। अभीतक जो-जो आंदोलन चलाए गए, उनको हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा अंततक ले जाया गया है !
उपस्थित मान्यवर
श्री. नितीन वटकर, धर्मरक्षा मंच के श्री. योगेश सासवडे, सामाजिक कार्यकर्ता श्री. रवींद्र जाधव, श्री. निखिल बोर्हाडे, चिंबळी गांव के पूर्व सरपंच एवं कृषि आय उत्पाद बजार समिति, खेड के पूर्व संचालक श्री. पांडुरंग बनकर, पिंपरी की भाजपा महिला मोर्चा उपाध्यक्षा श्रीमती सुरेखा बनकर, ह.भ.प. शिवाजी महाराज नवल, हिन्दू एकता आंदोलन के श्री. शैलेंद्र दीक्षित, बजरंग दल के सर्वश्री अभिजित शिंदे, संजय बालघरे, नाना सावंत, अनिकेत सस्ते, मोशी गांव के प्रखंडमंत्री श्री. अर्जुन बोर्हाडे, धर्माभिमानी श्री. संजय शेळके, कुरुळी गांव के सरपंच श्री. चंद्रकांत बधाले, शिवसेना की पूर्व पार्षद श्रीमती सुलभा उबाळे, शिवसेना उपविभागप्रमुख श्री. विश्वनाथ टेमगिरे, नारी शक्ति समिति, चाकण की श्रीमती संध्या बुडे, श्रीशिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के सर्वश्री संभाजी भारगरे एवं गणेश भुजबळ
क्षणचित्र
१. ‘‘मैं सनबर्न के अपवित्र नाम का उच्चारण भी नहीं करूंगी’’, यह भावना व्यक्त कर ह.भ.प. मंगलाताई कांबळे ने अपने भाषण में सनबर्न फेस्टिवल का नामोच्चार भी नहीं किया !
२. मार्ग से आने-जानेवाले अनेक युवक एवं नागरिक आंदोलन में सम्मिलित हो रहे थे !
३. श्री. धनंजय आल्हाट भी नागरिकों को आंदोलन में सम्मिलित होने का आवाहन कर रहे थे !
४. आंदोलन के पहले वर्षा हो रही थी; किंतु आंदोलन के समय वह रुक गई और आंदोलन समाप्त होने के पश्चात पुनः वर्षा प्रारंभ हुई ! इससे हिन्दुत्वनिष्ठों ने ईश्वरीय अधिष्ठान के महत्त्व को अनुभव किया !
विशेष : फेसबुक से भी आंदोलन को अच्छा प्रतिसाद !
इस आंदोलन का फेसबुक लाईव्ह के माध्यम से सीधा प्रसारण किया गया था। इस प्रसारण को १४०० से भी अधिक लोगों ने देखा और इस आंदोलन की पोस्ट ४ सहस्र ८९१ लोगों तक पहुंची !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात