कानून एवं संस्कृति की अपेक्षा सत्ता एवं पैसा श्रेष्ठ है यह पुन: एक बार सिद्ध हुआ !
पुणे : स्थानीय ग्रामवासी तथा हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा किए गए तीव्र विरोध को ठुकरा कर २८ दिसंबर को अंततः लवळे के ऑक्सफोर्ड गोल्फ रिसॉर्ट में सनबर्न फेस्टिवल के ११वें पर्व का प्रारंभ हुआ !
इसके पहले हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों ने सनबर्न फेस्टिवल के आयोजकोंद्वारा करचोरी कर शासन के साथ की गई धोखाधडी, पेडों की कटाई, अवैध खनन, एक टेकडी का समतलता, ध्वनिविषयक नियमों का उल्लंघन, शराब बंदी के प्रस्ताव का उल्लंघन आदि वैधानिक सूत्रों के प्रति शासन-प्रशासन को अवगत कराया था। इसके पहले गोवा में संपन्न कार्यक्रम में मादक पदार्थों का व्यापार तथा पाश्चात्त्य विकृती के उदात्तिकरण के कारण युवापीढी पर हो रहे दुष्परिणामों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया था; परंतु इस विरोध का स्थानीय स्तर पर, साथ ही राज्य शासन के स्तर पर किसी भी प्रकार का संज्ञान नहीं लिया गया !
इस वर्ष भी आयोजकोंद्वारा अपेक्षित ३० प्रशासनिक अनुमति में से कितनी अनुमतियां ली होगी, इसके विषय में संदेह तो है ही; परंतु इसके पश्चात भी इस कार्यक्रम की अनुमति दी जाने से कानून एवं संस्कृति की अपेक्षा सत्ता और पैसा ही श्रेष्ठ सिद्ध हुआ, ऐसी भावना ग्रामवासियोंद्वारा व्यक्त हो रही है !
कार्यक्रमस्थल के आसपास ध्यान में आए सूत्र
कार्यक्रमस्थल पहुंचने हेतु १० से १५ स्थानोंपर जांच के प्रबंध किए गए हैं, साथ ही विविध स्थानों पर सुरक्षाकर्मी (बाऊन्सर्स) नियुक्त किए गए हैं। लवळे गांव के एक रिसॉर्ट में यह कार्यक्रम हो रहा है तथा इस कार्यक्रम की सुरक्षा हेतु गांव में जानेवाले नागरिकों को रोका जा रहा है। उनसे परिचय-पत्र की मांग की जा रही है और ऊंचे स्वर में डीजे लगाए गए हैं। अब ३१ दिसंबर तक इस शोरगुल को सुनना अनिवार्य होने के कारण ग्रामवासियों में अप्रसन्नता का वातावरण है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात