छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में ऐसा संस्कृतिहीन ‘फेस्टिवल’ होना, शासनकर्ताओं के लिए लज्जास्पद !
पुणे : स्थानीय ग्रामवासी एवं हिन्दुत्वनिष्ठों के विरोध को ठुकरा कर चाहे संस्कृतिहीन ‘सनबर्न फेस्टिवल’ लवळे स्थित ऑक्सफोर्ड रिसॉर्ट में २८ दिसंबर को शुरू हुआ हो; परंतु उसके विरोध में क्षोभ अभी भी बढ रहा है ! इस संदर्भ में जनप्रतिनिधी एवं हिन्दुत्वनिष्ठों की प्रातिनिधिक प्रतिक्रियाएं यहां प्रस्तुत कर रहे हैं . . .
सनबर्न के लिए इतना विरोध होने पर भी शासन उसका समर्थन क्यों करता है ? – श्री. पराग गोखले, हिन्दू जनजागृति समिति, पुणे
ग्रामवासियों ने प्रशासन से सनबर्न के लिए अनुमति न देने की कई बार मांग की। उन्होंने इस संदर्भ में प्रस्ताव भी पारित किया तथा आंदोलन भी चलाया। ग्रामवासियों के साथ ही अनेक संघटन एवं संप्रदायों का भी सनबर्न के लिए विरोध होते हुए भी शासन उसका समर्थन करता है, ये तो लोकतंत्र की असफलता ही है ! सनबर्न के विरोध में भ्रष्टाचार, करचोरी तथा अनेक अपराध प्रविष्ट होना ऐसी बातें होते हुए भी शासन और प्रशासन समाज के विरोध को ठुकरा कर ऐसी प्रवृत्तियों के पीछे दृढता से खडा होता है, क्या यही शासन की पारदर्शकता है ?
सनबर्न का अंततक विरोध करेंगे ! – श्री. किरण दगडे पाटिल, पार्षद, कोथरूड
हमने ग्रामवासियों की ओर से तहसिलदार तथा जिलाधिकारी को ज्ञापन प्रस्तुत कर के भी उसका कुछ उपयोग नही हुआ। शासन एवं प्रशासन ने सनबर्न को कौन सी सूत्रों के आधार पर अनुमति दी है, यह स्पष्ट करना चाहिए। सनबर्न की ओर से दिए गए झूठे कागजातों के संदर्भ में न्यायालय चांज करे। इसके आगे हम सनबर्न के विरोध में प्रमाणों को मुख्यमंत्री तक पहुंचा कर इस कार्यक्रम पर शाश्वत रूप से प्रतिबंध लाने हेतु प्रयास करेंगे। हम अंत तक सनबर्न फेस्टिवल का विरोध करते रहेंगे !
पुणे में सनबर्न होना, हमारी संस्कृति के लिए लज्जास्पद ! – पू. सुनील चिंचोलकरजी, ज्येष्ठ समर्थभक्त, पुणे
भाजपा और शिवसेना ये दोनों भी हिन्दुत्व के समर्थक हैं। उनका हिन्दुत्व यदि सच्चा है, तो वे इस फेस्टिवल को तुरंत रोक कर आयोजकों को अपने नियंत्रण में लें ! पुणे में दिनदहाडे सनबर्न फेस्टिवल हो रहा है। भारतीय संस्कृति के लिए ऐसी घटना लज्जाजनक है ! इतने विरोध के पश्चात, इतनी अनुमतियों को अस्वीकार किए जाने के पश्चात भी सभी की आंखों में धूल झोंककर ये लोग कार्यक्रम कर रहे हैं ! ‘आप चाहे कुछ भी करें, हमें कोई रोक नहीं सकता’, ऐसी इनकी सोच है। इसमें उनकी मग्रुरी दिखती है ! एक तो प्रशासकीय अधिकारी पैसे लेकर उनका काम करते होंगे अथवा किसी नेता के समर्थन के बिना तथा राजनीतिक प्रभाव के बिना ये लोग ऐसा साहस नहीं दिखा सकते ! हमने यदि ऐसा कार्यक्रम करने का प्रयास किया, तो ये लोग हमें तुरंत बंदी बनाएंगे। उनको केवल शराब से प्राप्त होनेवाला राजस्व चाहिए !
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीद्वारा बताए जाने के अनुसार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही इसका एकमात्र उपाय है ! हिन्दू राष्ट्र में ऐसे कार्यक्रम के लिए अनुमति का कोई प्रश्न ही नहीं उपस्थित होगा; क्योंकि हिन्दू राष्ट्र में इन लोगों की जगह कारागृह में होगी !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात