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राष्ट्र एवं धर्म कार्य को साधना की जोड देने से आत्मोन्नती के साथ राष्ट्रकार्य भी परिणामकारक होगा – श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल

धर्मभास्कर विनायक मसुरकर महाराज, गोरेगांव के मसुराश्रम में संपन्न हुई हिन्दू धर्मजागृति सभा को हिन्दुओंद्वारा उत्स्फूर्त प्रतिसाद !

दीपप्रज्वलन करते हुए श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल, साथ में श्री. नरेंद्र सुर्वे

मुंबई : गोरेगांव में धर्मभास्कर विनायक मसुरकर महाराज के मसुराश्रम में १४ जनवरी को हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा हिन्दू धर्मजागृति सभा आयोजित की गई थी। उस समय लष्कर-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने ऐसा प्रतिपादित किया कि, ‘ऋषिमुनियोंद्वारा प्रदान की गई आदर्श गुरुकुल पद्धति की ओर स्वातंत्र्य के पश्चात भारतियों ने अनदेखा किया और अंग्रेजों की कुटील ऐसी मेकॉले शिक्षापद्धति अपनाई ! परिणामस्वरूप सुशिक्षित तथा बुद्धिजीवी समाज राष्ट्र एवं धर्म के प्रति उदासीन हुआ। अतः इस देश में धर्म की नित्य हानि होती रही साथ ही अन्य छोटे-छोटे राष्ट्र भी भारत को धमकाने लगे हैं ! इसका सामना करने हेतु ही धर्मसभा का आयोजन किया गया है। राष्ट्र एवं धर्म का कार्य करनेवाले यदि उसे साधना की जोड दें, तो आत्मोन्नति के साथ राष्ट्र-कार्य भी परिणामकारक होगा !’

उस समय व्यासपीठ पर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. नरेंद्र सुर्वे उपस्थित थे। इस सभा के लिए वीरसेना अध्यक्ष श्री. निरंजन पाल, भाजपा के श्री. संदीप सिंग, योग वेदांत सेवा समिति के साधक, शिवसेना के कार्यकर्ताओं के साथ विपुल संख्या में राष्ट्र एवं धर्म प्रेमी उपस्थित थे। मसुराश्रम के श्री नारायण महाराज ने सभा के प्रारंभ में शंखनाद किया। इस सभा के पश्चात उपस्थित धर्मप्रेमियों ने ५ स्थानों पर धर्मशिक्षणवर्ग आरंभ करने की मांग की।

‘हिन्दू राष्ट्र’ यह राजनीतिक घोषणा नहीं, तो ईश्वर का वचन ! – श्री. नरेंद्र सुर्वे, हिन्दू जनजागृति समिति

‘हिन्दू राष्ट्र’ यह राजनीतिक घोषणा नहीं, यह तो ईश्वर का वचन है ! अतः हिन्दू राष्ट्र के लिए कार्य करनेवाले वीरों को इस संदर्भ में अश्वस्त रहना चाहिए। विश्व के सभी राष्ट्रं उस देश के धर्म पर आधारित हैं। वे अपने धर्मबंधुओं की रक्षा करते हैं; किंतु भारत में ‘धर्मनिरपेक्षता’ के प्यारे से नाम पर बहुसंख्यंक रहे हिन्दुओं पर अन्याय कर अन्य धर्मियों की चापलूसी की जाती है ! मूलतः सहिष्णु ऐसे हिन्दुओं के मूल पर ही ये लोग बैठ गएं हैं ! इस समस्या से बाहर आने के लिए हिन्दू राष्ट्र स्थापना यही एकमात्र समाधान है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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