पेडणे (गोवा) में प्रस्तावित कार्निवल का विरोध
म्हापसा : पेडणे का कार्निवल निरस्त किया जाए, समानता के स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण एवं संतुलन के लिए तत्काल कानून बनाया जाए, विगत २७ वर्षों से विस्थापितों का जीवन व्यतीत कर रहे कश्मीरी हिन्दुओं का सम्मानपूर्वक पुनर्वसन किया जाए तथा उनको उनके अधिकारवाला स्वतंत्र होमलैंड प्रदान किया जाए, माघ मेले के उपलक्ष्य में देश के विविध राज्यों में होनेवाले हिन्दुओं के त्योहार तथा धार्मिक उत्सवों के समय की जानेवाली रेल तथा बस यात्रा के किराए में की जानेवाली बढोतरी को तत्काल निरस्त किया जाए । इन मांगों को लेकर यहां के समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों ने राष्ट्रीय आंदोलन के अंतर्गत २८ जनवरी की सुबह ११ बजे म्हापसा नगरपालिका बाजार, मुख्यद्वार (गणपतिपूजन के स्थान पर) निदर्शनें की । देशव्यापी राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन का यह एक भाग था । शंखनाद के पश्चात आंदोलन का प्रारंभ हुआ ।
इस आंदोलन में हिन्दू जनजागृति समिति; सनातन संस्था; रणरागिणी शाखा; गोमंतक मंदिर तथा धार्मिक संस्था महासंघ, पेडणे; डिचोली, म्हापसा, संभाजीनगर (वास्को) और साखळी के धर्मप्रेमी तथा राष्ट्रप्रेमियों ने सहभाग लिया ।
राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन की ओर से रणरागिणी शाखा की श्रीमती राजश्री गडेकर ने आंदोलन का विषय स्पष्ट किया । उसके पश्चात श्री. तुळशीदास गांजेकर ने उपस्थित धर्मप्रेमियों के सामने ‘कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वसन’ यह विषय प्रस्तुत किया । श्री. गोविंद चोडणकर ने ‘जनसंख्या नियंत्रण तथा संतुलन’ यह विषय प्रस्तुत किया । गोमंतक मंदिर महासंघ के श्री. जयेश थळी, शिरसई के धर्माभिमानी श्री. सत्यवान म्हामल, संभाजीनगर (वास्को) के धर्मप्रेमी श्री. हरेश कोरगावकर, म्हापसा के धर्माभिमानी श्री. उदय मुंज ने उपस्थित पेडणे में नियोजित कार्निवल की शोभायात्रा के विरोध में उपस्थित धर्मप्रेमियों को संबोधित किया ।
इस आंदोलन में गोमंतक मंदिर महासंघ के श्री. चंद्रकांत (भाई) पंडित उपस्थित थे । श्री. सत्यवान म्हामल ने कहा, ‘‘महाशिवरात्रि के ही दिन ही पेडणे में कार्निवल का आयोजन करनेवाली कार्निवल समिति का मैं तीव्र निषेध करता हूं !’’ श्री. हरेश कोरगावकर ने कहा, ‘‘हम सभी को १३ फरवरी को मांद्रे जाकर कार्निवल का विरोध करना चाहिए । वास्तव में सरकार को ही यह संस्कृतिरक्षा का कार्य करना चाहिए; परंतु यह सरकार संस्कृति पर आघात करनेवाले कृत्य कर रही है । इसके कारण हमारी युवा पीढी कुसंस्कारित होकर वह भोगवाद की ओर झुक रही है !’’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात