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अपनी संपत्ति छोडकर विस्थापित हुए कई कश्मीरी पंडितों की भूमि व संपत्ति पर हो रहा है कब्जा . . .

जम्मू : आतंकवाद के चलते लगभग तीन दशक से विस्थापन का दंश झेल रहे कश्मीरी पंडित विस्थापितों में से मात्र एक तिहाई से भी कम ने कश्मीर घाटी में अपनी संपत्ति को बेचा है । अधिकतर कश्मीरी विस्थापितों को उम्मीद है कि घाटी में माहौल ठीक होगा और वे वापस अपने घरों में जाकर बसेंगे, परंतु मौजूदा हालात उन्हें वापसी लायक नहीं लग रहे । वहां संपत्ति छोडकर आए कई कश्मीरी विस्थापितों की जमीनों पर कब्जा भी हो चुका हैं । इनकी मजबूरी यह है कि, कश्मीर में उनकी संपत्ति की देखभाल करने वाला कोई नहीं ।

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हालांकि यह आंकडा किसी के पास नहीं है कि कितनी जमीन हडपी जा चुकी है । कश्मीरी विस्थापितों को सम्मानजनक घाटी वापसी के सरकार के प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं । केंद्र हो या राज्य सरकारें, समय-समय पर इन विस्थापितों को वापस भेजने के दावे तो करती रहीं, परंतु ऐसा संभव नहीं हो पाया । कश्मीरी विस्थापित शुरू से ही मांग करते रहे हैं कि कश्मीर में उनके लिए अलग होमलैंड बनाया जाए ।

विधानमंडल में राहत, पुनर्वास और पुननिर्माण मंत्री ने बताया था कि, कश्मीर संभाग के दस जिलों में कश्मीरी विस्थापितों की १९९० से १९९६ के बीच ८५७४९ कनाल (भूमि पैमाइश की स्थानीय ईकाई) भूमि पर संपत्ति थी । जम्मू कश्मीर माइग्रेंट इममूवएबल प्रापर्टी प्रीरेजेवेशन, प्रोटेक्शन एंड रिस्टेन ऑफ डिस्ट्रेस सेल एक्ट १९९७ के तहत डिवीजनल कमिश्नर कश्मीर ने ६१७९ आवेदन में बिक्री की अनुमति दी । इसमें विस्थापितों ने २४६९२ कनाल भूमि पर बनी संपति को बेच दिया ।

पुनर्वास के लिए दिया गया रोजगार

कश्मीरी विस्थापितों के पुनर्वास के लिए २००९ में घाटी में तीन हजार पदों को भरने के लिए मनमोहन सरकार ने प्रधानमंत्री पैकेज घोषित किया गया था । इसमें शिक्षा में १७६०, समाज कल्याण विभाग में २३४, राहत आर्गेनाइजेशन में १५२, वित्त में १५१, इंजीनियरिंग में ५१२, पर्यटन में १५, स्वास्थ्य में ८६ और राजस्व में ९० पद शामिल थे । इन तीन हजार पदों में से २९०० चयनित सूचियां जारी की गईं । इसके बाद मोदी सरकार ने २९ जुलाई २०१७ को अतिरिक्त तीन हजार पद सृजित किए गए । इन तीन हजार पदों में से २८३५ स्टेट सर्विस सलेक्शन बोर्ड को रेफर किए गए । पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है ।

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खेतों पर भी हो चुके हैं कब्जे : डॉ. अग्निशेखर

कश्मीरी विस्थापितों के प्रमुख संगठन पनुन कश्मीर के कनवीनर डॉ. अग्निशेखर ने कहा कि जब कश्मीरी विस्थापित हुए तो उनको अपने बच्चों की शादियों व अन्य कार्यों के लिए पैसा चाहिए था । इसलिए कुछ कश्मीरी विस्थापितों ने मजबूरी व बेबसी में जमीन बेची । जो जमीन नहीं बेची गई उस भूमि व संपत्ति में से कई पर कब्जे हो चुके हैं । खेतों पर भी कब्जे हुए हैं । तीन दशक से कश्मीर में माहौल ठीक नहीं हुआ है । कई सरकारें आ चुकी हैं, परंतु कश्मीर के प्रति किसी के रवैये में कोई फर्क नहीं आया । कश्मीर में माहौल ठीक करने के लिए हिम्मत वाला निर्णय लेना होगा ।

स्त्रोत : जागरण

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