रामनाथी (गोवा) : हमारे देश में संतों को प्राचीन काल से ही कलंकित किया जा रहा है; परंतु संतों की संस्कृति दृढ होने के कारण वह आगे बढ रही है । संतों को कलंकित करने के लिए विदेशी शक्तियां धन के बल पर प्रसारमाध्यमों द्वारा बार बार ‘ब्रेनवॉश’ कर रही हैं । एक ही अनुचित बात बार बार दिखाकर झूठ को सत्य सिद्ध कर फैलाया जा रहा है । पूज्यपाद संतश्री आसारामजी बापू के संबंध में भी ‘मीडिया ट्रायल’ कर उन्हें झूठा और दोषी सिद्ध किया गया । यह संतों पर अत्याचार है । इसके लिए हिन्दुआें को जागृत एवं संगठित होकर, कंधे से कंधा मिलाकर आगे आना चाहिए, ऐसा आवाहन साबरमती (गुजरात) स्थित पूज्यपाद संतश्री आसारामजी आश्रम की धर्मप्रचारक साध्वी रेखा बहनजी ने किया । सप्तम अखिल भारतीय अधिवेशन में ४ जून का सायंकालीन सत्र ‘संप्रदाय और हिन्दू संगठनों का शासन द्वारा हो रहा दमन’, इस विषय पर आयोजित था । इसमें वे ‘संत और संस्कृति पर हो रहे षड्यंत्र के संकट को पहचानें’, इस विषय पर मार्गदर्शन कर रही थीं ।
सत्र के प्रारंभ में साध्वी रेखा बहनजी का सम्मान सनातन संस्था की ६९ प्रतिशत प्राप्त साधिका श्रीमती सुनीता खेमका ने किया, रत्नागिरी के श्री सतनाम वारकरी संप्रदाय के संयोजक ह.भ.प. अभय महाराज सहस्रबुद्धेजी का सम्मान समिति के श्री. हेमंत मणेरीकर तथा हिन्दूभूषण ह.भ.प. श्याम महाराज राठोड का सम्मान समिति के श्री. आनंद जाखोटिया ने किया ।
पूज्यपाद संतश्री आसारामजी बापू का निर्दोषत्व सिद्ध हो सके, ऐसे प्रश्न
१. पीडिता ने पुलिस शिकायत ५ दिन उपरांत क्यों की ? उस प्राथमिकी में अत्याचार करने की प्रविष्टी क्यों नहीं की गई ?
२. कल्पना स्वयंसेवी संस्था ने रात १२ बजे शिकायत क्यों प्रविष्ट की ?
३. लडकी की चिकित्सा जांच का प्रमाणपत्र ‘नॉर्मल’ था । इस संबंध में गुजरात के पूर्व पुलिस महासंचालक डी.जी. वंजारा और पुलिस उपायुक्त लांबा ने स्पष्ट बताया है । तब इसे क्यों छिपाया गया ? पुलिस उपायुक्त लांबा का स्थानांतरण एक ही रात में क्यों किया गया ?
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए विविध संप्रदाय हिन्दू जनजागृति समिति के नेतृत्व में एकत्रित हों ! – ह.भ.प. अभय महाराज सहस्रबुद्धे
प्राचीन काल में भी विविध देवताआें के नाम पर संप्रदाय होते थे । आदि शंकराचार्यजी ने पंचायतन देवताआें की स्थापना की । हिन्दू धर्म में विविध उपासना पद्धतियां हैं; परंतु सभी का ध्येय एक ही है । देव, देश और धर्म इस त्रिसूत्री में धर्म का कार्य चलता है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए विविध संप्रदाय के लोगों को एकत्र आना चाहिए, ऐसा आवाहन ह.भ.प. अभय महाराज सहस्रबुद्धेजी ने किया । वे ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए सर्व संप्रदायों के एकत्रित कार्य की आवश्यकता’ इस विषय पर बोल रहे थे ।
हिन्दू अधिवेशन हिन्दुत्वनिष्ठों के लिए महाकुंभ ! – हिन्दूभूषण ह.भ.प. श्याम महाराज राठोड
‘संप्रदायों को हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए कटिबद्ध होने की आवश्यकता’ विषय पर मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने कहा,
१. हमारे साधु-संतों ने राष्ट्रकार्य किया है । वे ही वास्तविक राष्ट्रीय एकता के जनक हैं ।
२. देश में जनसंख्या संबंधी नीति होनी चाहिए ।
३. अभी तक देश में हमें झूठा इतिहास पढाया गया । सत्य इतिहास हमसे दूर रखा गया ।
४. सर्व संप्रदायों को आत्मरक्षा के लिए संकल्प करना चाहिए । इसके साथ ही सभी संप्रदायों को राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए कटिबद्ध होना आवश्यक है ।
५. मठ, मंदिरों को राष्ट्र रक्षा का कार्य करना चाहिए । मठ, मंदिर और संस्कृति की रक्षा के लिए सर्व हिन्दुआें का संगठित होना आवश्यक है ।
६. वर्तमान में हो रहा अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन, अखिल विश्व हिन्दू अधिवेशन होगा ।
७. समिति द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जानेवाला हिन्दू अधिवेशन हिन्दुत्वनिष्ठों के लिए महाकुंभ ही है ।