हिन्दू राष्ट्र के कार्य के लिए ५ सहस्र अधिवक्ताआें का संगठन आवश्यक ! – श्री. मनोज खाडये
सांगली : वर्तमान में विविध घटनाआें को देखते हुए पुलिस प्रशासन हिन्दुत्व का कार्य करनेवाले कार्यकर्ताआें का मनोबल गिराने का ही कार्य कर रहा है, ऐसा दिखाई दे रहा है ! ऐसे पीडित हिन्दुत्वनिष्ठों के लिए अधिवक्ताआें ने उनके ‘संरक्षण कवच’ के रूप में कार्य करना आवश्यक है ! हिन्दू राष्ट्र के कार्य हेतु हमें ५ सहस्र अधिवक्ताआें का संगठन खडा करना आवश्यक है। हिन्दू जनजागृति समिति के पश्चिम महाराष्ट्र एवं गुुजरात राज्य के समन्वयक श्री. मनोज खाडये ने ऐसा आवाहन किया। विश्रामबाग के खरे मंगल कार्यालय में २ अक्टूबर को संपन्न एकदिवसीय अधिवक्ता अधिवेशन में वे बोल रहे थे। इस अवसर पर हिन्दू विधिज्ञ परिषद के महाराष्ट्र अधिवक्ता संगठक एवं हिन्दू जनजागृति समितिप्रणीत सुराज्य अभियान के समन्वयक अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर ने भी मार्गदर्शन किया। हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. प्रशांत चव्हाण ने इस अधिवेशन का सूत्रसंचालन किया। हिन्दू जनजागृति समिति एवं हिन्दू विधिज्ञ परिषद की ओर से इस अधिवेशन का आयोजन किया गया। इस अधिवेशन में २२ अधिवक्ता उपस्थित थे।
प्रारंभ में हिन्दू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अधिवक्ता श्री. गोविंद गांधी, अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर एवं श्री. मनोज खाडये के हाथों दीपप्रज्वलन किया गया। श्रीमती स्मिता कानडे ने परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के संदेश का वाचन किया। अधिवेशन के दोपहर के सत्र में सनातन संस्था की आधुनिक वैद्या (श्रीमती) शिल्पा कोठावळे ने ‘तनावमुक्ति के लिए अध्यात्मशास्त्र’ इस विषय पर पॉवर पॉईंट के माध्यम से मार्गदर्शन किया।
श्री. मनोज खाडये ने आगे कहा कि,
१. आज के सभी कानून स्वातंत्र्यपूर्व काल में बनाए गए हैं एवं उनमें से अधिकांश कानूनों का उपयोग भारतीय क्रांतिकारकों के दमन के लिए किया जाता था। आज उन्हीं कानूनों का उपयोग हिन्दुआें के दमन के लिए किया जा रहा है ! स्वतंत्र भारत के लिए भारत का ‘स्व’ (स्वयं) का तंत्र क्यों नहीं है ?
२. कहीं भी दंगा हुआ, तो धर्मांधों के लिए अलग और हिन्दुआें के लिए अलग कानून, ऐसी आज की स्थिति है !
३. सरदार वल्लभभाई पटेलद्वारा किए गए ५६५ संस्थानों के विलीनीकरण से पहले एवं ४२वां संवैधानिक संशोधन करने से पहले हिन्दुआें के जो भी अधिकार थे, वो उन्हें पुनः मिलने ही चाहिए एवं उसीके लिए हमारे प्रयास हैं !
अधिवक्ताआें ने मंदिर सरकारीकरण, साथ ही सामाजिक क्षेत्र में चल रहे भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज उठानी चाहिए ! – अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर
सरकारीकरण किए गए हिन्दुआें के अनेक मंदिरों में आज भ्रष्टाचार और अनियमितताएं हो रही हैं। इनमें से अनेक भ्रष्टाचारों के प्रकरण हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने विधिजन्य संघर्ष कर उजागर किए हैं ! आज के दिन हिन्दू विधिज्ञ परिषद सामाजिक क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार के विरोध में भी संघर्ष कर रही है। धर्मादाय चिकित्सालयों में रुग्णों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं दी जाती, साथ ही अन्य सुविधाएं भी नहीं दी जातीं। अतः अधिवक्ताआें ने मंदिर सरकारीकरण, साथ ही सामाजिक क्षेत्र में चल रहे भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज उठानी चाहिए ! हम सभी एक अधिवक्ता होने के साथ-साथ राष्ट्र एवं धर्म के प्रति एक दायित्वशील नागरिक भी हैं ! इसलिए राष्ट्र एवं धर्म कार्य के लिए भी अधिवक्ताआें ने प्रधानता लेनी चाहिए !
गटचर्चा में उपस्थित अधिवक्ताआेंद्वारा व्यक्त की गई प्रतिक्रियाएं
मार्गदर्शन के पश्चात उपस्थित अधिवक्ताआें के लिए गटचर्चा ली गई। इस गटचर्चा में अधिवेशन में सीखने मिले सूत्र बता कर आनेवाले समय में वे कृति के स्तर पर क्या करेंगे, इस संदर्भ में कुछ अधिवक्ताओं ने अपना मनोगत व्यक्त किया।
१. अधिवक्ता श्री. प्रकाश खोंद्रे, कोल्हापुर : कानूनी सेवाआें के लिए आप मुझे कभी भी दूरभाष करें। मैं एक अधिवक्ता के रूप में जो भी सहायता आवश्यक है, वह मैं करूंगा !
२. अधिवक्ता श्री. मोहन कुंभार : सूचना अधिकार के लिए कार्यरत कार्यकर्ताआें के लिए निःशुल्क मार्गदर्शन करूंगा ! उपप्रादेशिक परिवहन विभाग, साथ ही अन्य सरकारी विभागों में नागरिकों का होनेवाला उत्पीडन रुकना चाहिए !
३. अधिवक्ता श्री. अण्णा जाधव : जब-जब हिन्दुआें के साथ अन्याय होता है, तब-तब आवश्यकता पडने पर मध्यरात में भी मैं उनकी सहायता हेतु सिद्ध रहता हूं और आनेवाले समय में भी जब-जब हिन्दुआें के साथ अन्याय होगा, मैं उनकी सहायता के लिए आगे रहूंगा !
४. अधिवक्ता श्री. श्रीपाद होमकर : हिन्दुत्वनिष्ठों को बंदी बनाए जाने पर उन्हें तुरंत कानूनी सहायता मिलना अपेक्षित है। उसके लिए हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ताआें का प्रभावशाली संगठन खडा होना चाहिए !
५. अधिवक्ता (श्रीमती) मनीषा माने : हर मास में सूचना अधिकार के अंतगर्त न्यूनतम २ आवेदन देने का लक्ष्य रखूंगी, साथ ही संपूर्ण वर्ष में सूचना अधिकार अंतर्गत अधिकाधिक आवेदन प्रस्तुत करने के लिए प्रयास करूंगी !
६. अधिवक्ता पाटिल-पुजारी : आज जिस प्रकार से हम संगठित हुए हैं, उसी प्रकार से हमें निरंतर के लिए संगठित होना आवश्यक है ! लोगों में कुछ करने की इच्छा है और उसके लिए हमें उनका दिशादर्शन करना चाहिए। संगठित हुए लोगों के लिए सभाओं का आयोजन करने पर भी विचार किया जाना चाहिए और ‘लव जिहाद’ के संदर्भ में समाज में जागृति लाना आवश्यक है !
वसंतदादा शेतकरी सहकारी चीनी कारखाने को राख प्रतिरोधी संयंत्र की व्यवस्था करने पर बाध्य किया ! – अधिवक्ता श्री. राजाराम यमगर
वसंतदादा शेतकरी सहकारी चीनी कारखाने की चिमनियों से निकलनेवाली राख के कारण अनेक वर्षोंतक नागरिकों को बहुत कष्ट का सामना करना पड रहा था और उससे लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा था ! इस संदर्भ में स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग, साथ ही अन्य प्रशासनिक कार्यालयों में बार-बार समीक्षा कर भी इसका संज्ञान नहीं लिया जा रहा था ! इस संदर्भ में मैंने न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करने का नोटिस दिया; परंतु फिर भी उसका संज्ञान नहीं लिया गया। अंततः कोल्हापुर के प्रादेशिक कार्यालय को कानूनी नोटिस देने के पश्चात प्रशासन को चीनी कारखाने को ७२ घंटोंतक सील करना पडा ! उसके पश्चात कारखाने को २२.५ कोटि रुपए का व्यय कर राख प्रतिरोधी संयंत्र का प्रबंध करनेपर बाध्य होना पडा ! इस प्रकार से एक अधिवक्ता संघर्ष कर नागरिकों को उनके नित्य जीवन में आनेवाली समस्याआें के समाधान के लिए सहायक सिद्ध होता है !
विविध विभागों में चल रहे भ्रष्टाचार के विरोध में संघर्ष के लिए भी हम विभागजन्य अधिवक्ताआें की समितियों का गठन कर उसके माध्यम से कृति कर सकते हैं !
क्षणचित्र
- इस अधिवेशन का फेसबुक लाईव के माध्यम से सीधा प्रसारण किया गया, जिससे कि यह विषय २० सहस्र से भी अधिक लोगों तक पहुंचा !
- अधिवेशन स्थल पर फैक्ट प्रदर्शनी, साथ ही सनातननिर्मित ग्रंथ एवं सात्त्विक उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसे अधिवक्ताआेंद्वारा उत्स्फूर्त प्रतिसाद प्राप्त हुआ !
- इस अधिवेशन में हिन्दू विधिज्ञ परिषद के कार्य की ध्वनिचित्रचक्रिका दर्शाई गई !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात