यदि टीपू जयंती यूं ही मनाते रहे; तो भविष्य में अकबर, बाबर, अफजलखान की भी जयंतियां मनाई जाने लगेंगी और भारत का इस्लामीकरण आरंभ हो जाएगा !
पिछले कुछ वर्षों से कर्नाटक में मुगल शासक टीपू की जयंती मनाई जा रही है । अब यह टीपू जयंती केवल कर्नाटक में ही नहीं, देश के अनेक राज्यों में मनाई जाने लगी है । जिस टीपू ने मूल हिन्दू गांव का नाम परिवर्तित कर मैसूर को इस्लामी राज्य घोषित किया । जिसने राज्य के सभी काफिरों को (गैर-मुसलमानों को) धर्मांतरित कर मुसलमान बनाने की प्रतिज्ञा की । ‘सभी हिन्दू स्त्री-पुरुषों को मुसलमान धर्म की दीक्षा दो । जो स्वेच्छा से मुसलमान धर्म न अपनाएं, उन्हें बलपूर्वक मुसलमान बनाओ अथवा मार डालो । हिन्दू स्त्रियों को पकडकर लाओ और गुलाम बनाकर सभी मुसलमानों में बांट दो’, ऐसे लिखित आदेश मुसलमान अधिकारियों को भेजे । जिसने सहस्रो गोहत्या; हिन्दू मंदिरों की मूर्तियों का भंजन, मंदिरों का विध्वंस, सैकडों मंदिरों का मस्जिद में रुपांतर, सहस्रो हिन्दुआें का धर्मांतर, लाखो हिन्दू स्त्रियों पर अत्याचार आदि कुकृत्य किए । इन अत्याचारों में सर्वाधिक अत्याचार उसने कर्नाटक के कोडावा समाज पर किए, ऐसा मैसूर के निकट श्रीरंगपट्टण स्थित टीपू की कब्र पर लिखे शीलालेख पर ही स्पष्ट लिखा है । उस धर्मांध शासक की जयंती मनाना, जानबूझकर हिन्दुआें के घाव पर नमक छिडकने की भांति है और यही कर्नाटक की काँग्रेस और जनता दल (धर्मनिरपेक्ष) गठबंधन सरकार कर रही है । यह अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करने और हिन्दुआें को चोट पहुंचाने हेतु जानबूझ कर किया प्रयास है । यदि टीपू जैसे अत्याचारी सुलतान की जयंती इसी प्रकार मनाई जाती रही, तो भविष्य में अकबर, बाबर, अफजलखान की जयंतियां भी भारत में मनाई जाने लगेंगी और भारत का इस्लामीकरण करने की दिशा में प्रयास बढने लगेंगे । ऐसा दृढ प्रतिपादन करते हुए धर्मांध टीपू की जयंती का शासकीय कार्यक्रम तत्काल निरस्त किया जाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति ने की है ।
आज तक हिन्दूविरोध और अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण यही काँग्रेस की राजनीति का केंद्रबिंदु रहा । इसी कारण पिछले चुनाव में हिन्दुआें ने भारत को लगभग काँग्रेसमुक्त कर दिया । तब भी काँग्रेस कुछ समझी नहीं । जो काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमरनाथ से दक्षिण तक सर्वत्र शिव मंदिरों में दर्शन कर रहे हैं और स्वयं को ‘जनेऊधारी’ शिवभक्त हिन्दू बता रहे हैं; उसी कांग्रेस की कर्नाटक सरकार, दक्षिण में सहस्रो शिव मंदिर ध्वस्त करनेवाले क्रूर टीपू का महिमामंडन कर रही है, यह काँग्रेस का ढोंग और दोमुंहापन है । टीपू की जयंती निरस्त न हुई, तो काँग्रेस को हिन्दुआें के क्षोभ का सामना करना पडेगा, ऐसा भी समिति ने कहा है ।