नरकासुर प्रतिमा प्रतियोगिता एवं नरकासुर दहन परंपरा में होनेवाली अप्रिय घटनाआें के संदर्भ में उद्बोधन
सिंधुदुर्ग (महाराष्ट्र) : आजकल गांवों एवं नगरों में नरकासुर प्रतिमा प्रतियोगिताआें का आयोजन एवं नरकासुर दहन की परंपरा में अप्रिय घटनाएं बहुत बढी हैं ! भगवान श्रीकृष्ण ने भक्तों का उत्पीडन करनेवाले नरकासुर का वध कर भक्तों की रक्षा की; परंतु वास्तव में दुष्प्रवृत्तिपर सत्प्रवृत्ति के विजय के रूप में नरकचतुर्दशी मनाई जाती है; परंतु काल प्रवाह में जिसका वध किया गया, उसीका उदात्तीकरण किया जाता हुआ दिखाई देता है ! नरकासुर के सान्निध्य में समय गंवाने से युवकों के मन पर अयोग्य संस्कार अंकित होते हैं। इसे टालने के लिए समाज श्रीकृष्ण का आदर्श ले एवं सभी को दीपावली का अध्यात्मशास्त्रीय लाभ हो, इस उदात्त उद्देश्य से सिंधुदुर्ग जिले के आंदुर्ले एवं कुडाळ में दीपावली के उपलक्ष्य में श्रीकृष्ण प्रतिमा की फेरी निकाली गई। इन फेरीआें में धर्माभिमानी हिन्दुआें ने उत्स्फूर्तता से सहभाग लिया !
कुडाळ
यहां के श्री गवळदेव मंदिर में सदगुरु सत्यवान कदमजी के हाथों भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा का पूजन कर एवं श्रीफल चढ़ाकर फेरी का प्रारंभ किया गया। कुडाळ नगर में भ्रमण कर इस फेरी का कुडाळ डाक कार्यालय के पास सिंधुदुर्ग राजा प्रांगण में आने पर समापन किया गया। इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. दैवेश रेडकर ने उपस्थित धर्मप्रेमियों को फेरी के उद्देश्य से अवगत कराया एवं राष्ट्र एवं धर्म की वर्तमान स्थिति के संदर्भ में मार्गदर्शन किया।
इस फेरी में गांगोराई वारकरी संप्रदाय, श्री देव भोम प्रासादिक भजनी मंडल, आंदुर्ले; श्री साईहनुमान भजन मंडल, वालावल; श्री कुलदेवता प्रासादिक भजनी मंडल, नेरुरपार इन भजन मंडलों के साथ ३०० से भी अधिक धर्माभिमानियों ने सहभाग लिया। श्रीमती शिवानी रेडकर ने सूत्रसंचालन किया।
आंदुर्ले
कापडोसवाडी से प्रारंभ श्रीकृष्ण प्रतिमाफेरी का समापन ग्रामदेवता श्री आंदुर्लाइे देवी मंदिर में किया गया। इस अवसर पर आंदुर्ले गांव की सरपंच श्रीमती पूजा सर्वेकर ने कहा कि, नरकासुर की भांति समाज में विद्यमान विकृतियों के विरोध में समाज का दिशादर्शन करनेवाले ऐसे कार्यक्रम में सभी को जाति, राजनीतिक दल आदि को बाजू में रखकर बडी संख्या में सहभागी होना चाहिए।
पंचायत समिति के पूर्व सभापति श्री. संजय वेंगुर्लेकर ने कहा कि, प्रतिवर्ष नरकचतुर्दशी के पूर्वसंध्या में गांव में फेरी निकाली जाती है। उस समय मार्ग में कुछ स्थानों पर नरकासुर की प्रतिमाएं देखनी पडती थीं; परंतु इस वर्ष एक दिन पहले (४ नवंबर) ही फेरी निकालने से नरकासुर प्रतिमाएं देखना टल गया ! अतः प्रतिवर्ष इसी प्रकार से यदि एक दिन पहले फेरी निकाली गई, तो वह उचित होगा !
इस फेरी में गांव के ग्रामपंचायत सदस्य एवं मान्यवरोंसहित ६५ धर्माभिमानियों ने सहभाग लिया। श्री देवी आंदुर्लाई मंदिर में सदगुरुं का श्लोक गाकर फेरी का समापन किया गया।
क्षणिकाएं
कुडाळ
१. एक पुलिसकर्मी ने कहा कि आपके कार्यक्रम में पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की आवश्यकता नहीं है; क्योंकि आपके कार्यक्रम सदैव ही अनुशासित होते हैं !
२. नगर की मुख्य मंडी से फेरी के भ्रमण के समय लोग फेरी का चित्रीकरण कर रहे थे !
३. कुडाळ के नरकारसुर प्रतिमादहन के एक आयोजक ने कहा कि यह फेरी बहुत अच्छी एवं अनुशासित है ! फेरी देखकर अच्छा लगा !
४. इस फेरी में भगवान श्रीकृष्णद्वारा करांगुलीपर उठा लिए हुए गोवर्धन पर्वत को लाठियां लगाए हुए गोप-गोपी के वेशभूषा में सहभागी बालसाधकों का चित्ररथ सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा था !
आंदुर्ले
१. फेरी के समय आकाश में बादल जम गए थे। निकट के परिसर में बहुत वर्षा हुई; परंतु जहां भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा लगाया हुआ वाहन था, वहां केवल हल्की चुटपुट वर्षा हुई !
२. फेरी के मार्ग में अनेक ग्रामवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा का पूजन किया और वे फेरी में सहभागी भी हुए !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात