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ईश्वर की कृपा से एवं साधु-संतों के आशीर्वाद से वर्ष २०२३ में भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होकर रहेगी ! – वैद्य उदय धुरी, हिन्दू जनजागृति समिति

अंबरनाथ में ‘हिन्दू राष्ट्र-ज्जागृति सभा’ ! 

अंबरनाथ (मुंबई) : रामायण घटित होने के पूर्व ही उसे लिखा गया था, कंस के वध से पूर्व उसकी आकाशवाणी हुई थी, उसी प्रकार से साधु-संतों ने बताया है कि वर्ष २०२३ में भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी। इसलिए हम सभी को राष्ट्र एवं धर्म की सेवा कर आनेवाले हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में अपना योगदान देना होगा ! हम सभी हिन्दू जनजागृति समिति के विविध उपक्रमों में सहभागी होकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे। हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता वैद्य उदय धुरी ने ऐसा प्रतिपादित किया। वे यहां के विश्वकर्मा सभागार में आयोजित हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा में बोल रहे थे।

इस सभा में १०० से भी अधिक हिन्दू धर्माभिमानी उपस्थित थे। इस सभा में अपराध जांच विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।

श्री. उदय धुरी

श्री. उदय धुरी ने कहा कि,

१. हमारे देश में मेकॉले की शिक्षाप्रणाली लागू की गई और हिन्दुओं को उनके धर्म से दूर रखा गया !

२. सरकारी अनुदान लेकर मदरसों में कुरान सिखाया जाता है, ईसाई विद्यालयों में बाईबल सिखाया जाता है; परंतु जब किसी एक विद्यालय में भगवद्गीता का वितरण किया गया, तब सभी ने ‘शिक्षा का भगवाकरण’ हो रहा है ऐसा आक्रोश किया !

३. हिन्दुओं के असंख्य मंदिरों का सरकारीकरण किया गया; किंतु एक भी मस्जिद अथवा चर्च का सरकारीकरण आज तक नहीं हुआ है !

उपस्थित मान्यवर

पूर्व नगराध्यक्ष शिवसेना के श्री. सुनील चौधरी, भाजपा के महासचिव श्री. आशिष पावसकर, शिवसेना के नगर उपप्रमुख श्री. पुरुषोत्तम एकनाथ उगले, व्यापारी संगठन के अध्यक्ष श्री. खानची दल, भाजपा महिला मोर्चा की श्रीमती मंजू खानची दल, योग वेदांत समिति के साधक श्री. सुभाष भाऊ वडतकर, डेक्कन एज्युकेशन स्कूल के संस्थापक श्री. पुनालूर वसंतन, स्वदेशी जागरण मंच के श्री. राजेश मिश्रा, आर्ट ऑफ लिविंग के श्री. प्रदीप नवार, धर्माभिमानी आधुनिक वैद्य आर.ए. राव, श्री. सतीश गुडेकर, श्री. अनिल भोईर एवं श्री. र.घ. कुलकर्णी

प्रतिक्रियाएं !

१. श्री. श्रीकांत ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि, ‘मैं इससे पहले हिन्दू जनजागृति समिति से परिचित नहीं था, इसका मुझे खेद है; परंतु इसके आगे मैं कार्य करने के लिए इच्छुक हूं !’

२. अधिवक्ता श्री. नारायण करमरकर ने कहा, ‘हिन्दू विधिज्ञ परिषद के माध्यम से समिति के आगे के कार्य में सहभागी होने का मेरा विचार है !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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