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तरंदळे (कणकवली, जिला सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र) में हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा संपन्न !

हिन्दू राष्ट्र स्थापना के इस कार्य को हमारा पूरा समर्थन – सभा में उपस्थित धर्मप्रेमियों का निर्धार

व्यासपीठ पर बाईं ओर से डॉ. संजय सामंत एवं मार्गदर्शन करते हुए श्री. भरत राऊळ

कणकवली : तहसिल के तरंदळे की ग्रामदेवता श्री टेवणादेवी मंदिर के प्रांगण में आयोजित हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा को धर्माभिमानी हिन्दुओं द्वारा अच्छा प्रतिसाद मिला ! इस सभा में सनातन के डॉ. संजय सामंत एवं हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. भारत राऊळ ने ‘राष्ट्र एवं धर्म की वर्तमान स्थिति और हिन्दू राष्ट्र स्थापना की आवश्यकता’ इन विषयों पर उपस्थित धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन किया। इन दोनों मान्यवरोंद्वारा ओजस्वी वाणी में किए गए मार्गदर्शन के कारण उपस्थित धर्माभिमानियों ने उत्स्फूर्तता से घोषणाएं देते हुए समिति के हिन्दू राष्ट्र स्थापना कार्य को पूरा समर्थन दिया !

अपनी जाति एवं संप्रदाय को लेकर संगठित होनेवाले हिन्दू ‘धर्म’ के नाम पर कब संगठित होंगे ? – डॉ. संजय सामंत, सनातन संस्था

‘साधना की आवश्यकता’ इस विषय पर मार्गदर्शन करते हुए डॉ. सामंत ने कहा, ‘स्वातंत्र्यपूर्व काल में धर्माचरण ही हिन्दू एकता की नींव थी। मेकॉले ने इसका अध्ययन कर हिन्दुओं को विभाजित करने के लिए धर्मरहित शिक्षाप्रणाली लागू की। भारत के विभाजन से ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान’, यह मुसलमान राष्ट्र बना; परंतु शेष बहुसंख्यक हिन्दुओं का हिन्दू राष्ट्र न बनकर उसे निधर्मी राष्ट्र घोषित किया गया ! तब से सभी स्तरोंपर हिन्दू धर्म का दमन होना आरंभ हुआ। इससे हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देनेवाली व्यवस्था ही नष्ट होकर हिन्दू धर्माचरण से वंचित रह गए और हिन्दुओं में धर्माभिमान ही नहीं बचा ! इसीके कारण प्रतिवर्ष १०.५० लाख हिन्दुओं का धर्मांतरण किया जाता है। आज हिन्दुओं को ही स्वयं को हिन्दू कहलाने में लज्जा प्रतीत होती है और उससे हिन्दू लोग और हिन्दू धर्म पर प्रतिदिन आघात हो रहे हैं। हिन्दू धर्मिय अपनी जाति और संप्रदाय के नाम पर संगठित होते हैं; किंतु हिन्दू धर्म के लिए संगठित नहीं होते ! अपनी ही देवताओं का अनादर करने में हिन्दुओं को कोई खेद नहीं लगता ! उसके लिए हमें हिन्दू धर्म का महत्त्व जान कर उसके अनुसार आचरण करना चाहिए। उसके लिए सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति धर्मशिक्षावर्ग लेते हैं !

सिंधुदुर्ग जिले में ईसाईयों के प्रार्थनास्थलों में जानेवाले हिन्दुओं की संख्या में बढोतरी – श्री. भरत राऊळ

इस अवसर पर ‘निधर्मी लोकतंत्र की निरर्थकता एवं हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ इस विषय पर मार्गदशन करते हुए श्री. भरत राऊळ ने कहा, आज देश में हिन्दुओं की संख्या १०० कोटि से भी अधिक है; परंतु केवल यह संख्या हिन्दुओं का बल नहीं है। हिन्दुओं का बल दृढ संगठन में होता है ! पांडव और छत्रपति शिवाजी महाराज के उदाहरण से यह ध्यान में आता है। दुर्भाग्य की बात यह है कि हम राष्ट्र एवं धर्म के प्रति अपना कर्तव्य ही भूल गए हैं ! इस देश को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किए जाने से हिन्दुओं की बहुत बडी हानि हुई है। हिन्दुओं में धर्माभिमान के अभाव के कारण धर्म पर अनेक आघात होते हुए भी वह उसका संगठित रूप से विरोध करता हुआ दिखाई नहीं देता ! हिन्दुओंद्वारा मंदिर में अर्पित धन अन्य पंथियों की संस्थाओं में बांटा जाता है। आज सिंधुदुर्ग जिले में ईसाईयों के २०० प्रार्थनास्थल हैं। इन प्रार्थनास्थलों में जानेवाले अधिकांश हिन्दू ही हैं ! अन्य पंथीय अपने पंथ पर गर्व कर लाभ उठा रहे हैं। वर्ष १९४७ में एक रुपए का भी ऋण न होनेवाले देश के नागरिक पर आज प्रति व्यक्ति ३३ सहस्र रुपए का ऋण है ! देश में हर १२ घंटे पश्‍चात एक किसान आत्महत्या करता है, तो हर ३२ मिनट पश्‍चात एक बलात्कार होता है। लव जिहाद, गोहत्या आदि संकट हमें अपना भक्ष्य बनाने के लिए खडे हैं ही !

सभा में उपस्थित धर्माभिमानी हिन्दू

सभा आरंभ होने से पहले धर्मप्रेमी एवं श्री टेवणादेवी मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री. जयसिंह नाईक को मान्यवर डॉ. संजय सामंत के हाथों सम्मानित किया गया। श्री. जयसिंह नाईक ने सभा के लिए मंदिर का प्रांगण और ध्वनियंत्रणा की उपलब्धता कराई। श्री. दीपक माळगावकर एवं श्री. प्रवीण घाडीगावकर ने सभा का अच्छा प्रचार-प्रसार किया। इस सभा में गांव की सरपंच श्रीमती नम्रता देऊलकर भी उपस्थित थीं। सभा का सूत्रसंचालन और आभार प्रदर्शन अधिवक्ता कु. स्मिता देसाई ने किया।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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