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हिन्दुआें की धार्मिक भावनाआें को कोई मोल नहीं है ! – श्री श्री मुक्तानंद स्वामी, करिंजे, कर्नाटक

मंगलुरू की हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा के नियोजित स्थान में बदलाव कर भी धर्माभिमानियों द्वारा उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर !

दीपप्रज्वलन करती हुईं श्रीमती लक्ष्मी पै, श्री श्री मुक्तानंद स्वामी, अधिवक्ता एन्.पी. अमृतेश तथा श्री. गुरुप्रसाद गौडा

मंगलुरू (कर्नाटक) : पुलिस प्रशासन, सामान्य प्रशासन और हिन्दूविरोधियों के विरोध के कारण २७ जनवरी को हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा के नियोजित स्थान में बदलाव करना पडा; परंतु ऐसा होते हुए भी इस सभा में हिन्दू धर्मप्रेमी बडी संख्या में उपस्थित थे । इस सभा में करिंजे के श्री श्री मुक्तानंद स्वामी, कर्नाटक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता एन्.पी. अमृतेश, सनातन संस्था की श्रीमती लक्ष्मी पै और समिति के कर्नाटक राज्य समन्वयक श्री. गुरुप्रसाद गौडा ने उपस्थित धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन किया । मंगलुरू दक्षिण क्षेत्र के भाजपा विधायक श्री. वेदव्यास कामत इस सभा में उपस्थित थे । इस सभा में सनातन के संत पू. रमानंद गौडाजी की वंदनीय उपस्थिति थी ।

कर्नाटक के करिंजे के श्री श्री मुक्तानंद स्वामीजी ने हाल ही में यहां हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित हिन्दू राष्ट्र-जागृति में सभी को मार्गदर्शन किया । श्री श्री मुक्तानंद स्वामीजी ने आगे कहा कि हमारा न्यायतंत्र याकूब मेमन को फांसी न हो; इसके लिए रात के १ बजे न्यायालय के द्वार खोलकर न्यायदान करता है; किंतु हिन्दुआें के विषय पर निर्णय करने के लिए उनके पास समय नहीं है । केवल इतना ही नहीं, अपितु न्यायालयों ने अब धर्मविरोधी निर्णय करना भी आरंभ किया है । न्यायालय ने शनीशिंगणापुर तथा शबरीमला मंदिरों में चली आ रही सैकडों वर्ष पहले की परंपराआें के विरुद्ध निर्णय सुनाया । इससे हिन्दुआें की धार्मिक भावनाआें को कोई मोल नहीं है, ऐसा ही कहना पडेगा ।

हिन्दुआें, मंगलुरू की सभा के लिए पुलिस प्रशासन, महापालिका और हिन्दूविरोधी संगठनों द्वारा किया गया विरोध हिन्दुआें, कर्नाटक के कांग्रेस तथा जनता दल (धर्मनिरपेक्ष) के राज्य में हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा को किए जा रहे विरोध को देखते हुए हमें ऐसे विरोध को वैधानिक पद्धति से ही तोड डालकर केवल सभा ही नहीं, अपितु आगे जाकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी है, इसे ध्यान में लें !

पहले मंगलुरू केंद्र प्रांगण में सभा करना सुनिश्‍चि किया गया था और उस दृष्टि से छोटे-बडे कार्यक्रमों में उसका प्रचार भी किया गया । उसके पश्‍चात महापालिका ने ‘इसी प्रांगण में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम होनेवाला है’, यह झूठा कारण देकर इस प्रांगण में सभी की अनुमति अस्वीकार की । उसके पश्‍चात यहां के कद्री प्रांगण में सभा करने का प्रयास किया गया । सभा के एक सप्ताह शेष था, तब पुलिस प्रशासन ने ‘सभा की अनुमति के लिए १ सप्ताह लगेगा और उसके लिए २० सहस्र रुपए का भुगतान करने पडेगा’, ऐसा बताया । इसलिए अंततः शारदा विद्यालय के सभागार में सभा करना सुनिश्‍चित किया गया । तत्पश्‍चात हिन्दूविरोधी संगठनों ने इस सभा का विरोध करना आरंभ किया । उसके कारण सभा के प्रसार में समस्याएं आने लगीं । पुलिस प्रशासन द्वारा ध्वनियंत्र से प्रसार की अनुमति भी नहीं दी गई । इसलिए सामाजिक संकेतस्थलों के माध्यम से प्रसार किया गया; परंतु तभी विद्यालय के व्यवस्थापन ने ‘सभा के हो रहे विरोध के कारण हमें समस्याएं आ सकती हैं’, ऐसा कहते हुए इस सभागार में सभा करने की अनुमति अस्वीकार की । तब सभा के लिए केवल २ ही दिन बचे थे । दूसरा सभागार उपलब्ध होनेतक सभी साधकों ने शरणागत भाव से प्रार्थनाएं करना, मंडल बनाना, नामजप करना जैसी कृतियों में बढोतरी की । उसके पश्‍चात गुरुकृपा से श्रीनिवास कल्याण मंडप का सभागार निःशुल्क उपलब्ध हुआ । सभा के लिए केवल १ ही दिन बचा था, तब साधकों ने पहले संपर्क किए गए लोग और संगठनों को दूरभाष कर सभा के स्थान में किए गए बदलाव की जानकारी दी, साथ ही सामाजिक प्रसारमाध्यमों द्वारा पुनः प्रसार किया । पहले सुनिश्‍चित किए गए स्थानों में बदलाव किए जाने के फलक लगाए गए । इतना होकर भी सभा में ४८५ धर्मप्रेमी उपस्थित थे, तो सभा के पश्‍चात के संवाद कार्यक्रम में ६० धर्मप्रेमी उपस्थित थे ।

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