‘राममंदिर’ शब्द का उच्चार करते ही हिन्दुआें में चेतना और उत्साह का संचार होने लगता है । ‘राममंदिर’ हिन्दुआें की अस्मिता से जुडा विषय है । १६ वीं शताब्दी में मुसलमान आक्रांता बाबर के सेनापति मीर बांकी ने अयोध्या में राममंदिर तोडकर वहां मसजिद बनवाई । पश्चात, हिन्दुआें ने रामजन्मभूमि को मुगलों से मुक्त करने के लिए बहुत लंबी लडाई लडी ! रामजन्मभूमि मुसलमानों से मुक्त हो और वहां भव्य राममंदिर बने’, इसके लिए हिन्दू सैकडों वर्ष से लड रहे हैं । भाजपा के सत्ता में आने पर हिन्दुआें की आशा जगी कि अब राममंदिर अवश्य बनेगा । परंतु, इस विषय में भाजपा सरकार की नकारात्मक भूमिका से हिन्दू निराश हुए हैं । किंतु, संत-महंतों की हुंकार से हिन्दुआें में पुनः आशा का संचार हुआ है । रामजन्मभूमि हिन्दुआें की है, इस ऐतिहासिक सत्य को कोई नकार नहीं सकता । अब हिन्दू समय की पदचाप सुनें और किसी राजनीतिक दल पर आश्रित न रहकर, प्रभावी संगठन बनाएं, तभी राममंदिर बन पाएगा !
राममंदिर निर्माण के नाम पर सत्ता में आनेवाली भाजपा इस विषय को सदैव टाल रही है, जो बहुत दुखदजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है !
सामाजिक प्रचारमाध्यमों में प्रचारित होनेवाले कुछ लक्ष्यवेधी मार्मिक छायाचित्र !
आजकल समाजिक प्रचारमाध्यमों में एक पोस्ट का प्रचार बहुत हो रहा है । उसके एक छायाचित्र में, हमारे शासकों के राममंदिर निर्माण के विषय में नकारापन का मार्मिक चित्रण है ।
भाजपा मुख्यालय का कायापलट !
१. पहले छायाचित्र में वर्ष २००९ के भाजपा मुख्यालय का छायाचित्र है । दूसरे छायाचित्र में भाजपा का वर्ष २०१९ में बना नया और भव्य मुख्यालय दिखाई दे रहा है । इस चित्र से प्रतीत हो रहा है कि इन १० वर्षों में भाजपा का कायापलट हुआ है ।
राममंदिर के लिए बनाई गई ईंटें ज्यों-कि-त्यों पडी हैं !
२. उन्हीं के नीचे प्रस्तावित राममंदिर निर्माण के लिए रखी गई ईंटों के चट्टों का छायाचित्र है । ये ईंटें वर्ष २००९ में वहां रखी गई थीं । तब से आजतक, अर्थात वर्ष २०१९ में भी ज्यों-कि-त्यों पडी हुई हैं ।
राममंदिर निर्माण पर हिन्दुआें को केवल आश्वासन देनेवाली भाजपा को हिन्दुआें के रोष का सामना करना पडे, तो आश्चर्य न होगा ।
राममंदिर के विषय में ढेरों प्रमाण उपलब्ध होने पर भी, हिन्दूबहुल भारत में हिन्दुआें को रामजन्मभूमि पर अपना अधिकार नहीं मिल रहा है ! यह अधिकार पाने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी पडेगी !
वर्ष २००३ में पुरातत्व विभाग ने रामजन्मभूमि परिसर में खुदाई की तो वहां भव्य हिन्दू भवन के कुछ अवशेष मिले ! ये अवशेष इस बात के प्रमाण हैं कि हिन्दुआें का मंदिर तोडकर वहां बाबरी मसजिद बनाई गई थी !
विवादित बाबरी मसजिद के परिसर में खुदाई के समय वहां मिले एक टूटे खंभे पर अंकित हिन्दू पद्धति की सुंदर कलाकृति स्पष्ट दिखाई दे रही है !
१. वर्ष १९८६ के ब्रिटानिका इन्सासक्लोपिडिया’में स्पष्ट लिखा है कि अयोध्या में राममंदिर ही था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने वर्ष १५२८ में तोडवाकर वहां बाबरी मसजिद बनवाई थी ।
२. पुरातत्व विभाग ने एक बार नहीं, तीन-तीन बार – वर्ष १९७०, १९९२ और २००३ में खुदाई कर सरकार को प्रतिवेदन सौंपा जिसमें बाबरी मसजिद के स्थान पर मंदिर होने की बात कही गई थी ।
३. इस घटनास्थल का ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों ने जब अध्ययन किया, तब उन्होंने भी पाया कि मंदिर के स्थान पर मसजिद बनाई गई थी ।
४. इस स्थान के समीप ही हनुमानगढी मंदिर है । यह मंदिर बनाने के लिए जिन्होंने अगुआई की थी, उनमें एक मुसलमान मिर्जा जान भी थे । वे वर्ष १८५६ में अपनी पुस्तक ‘हादिक-ए-शहादा’ में लिखते हैं, ‘यह बाबरी मसजिद बाबर ने ही बनवाई थी और रामजन्मभूमि पर ही बनवाई थी । जिस स्थान पर विशाल मंदिर था, उसपर बडी मसजिद बनवाई गई । जहां छोटे मंदिर थे, वहां छोटी मसजिदें बनवाई गईं ।’
५. मिर्जा जान ने अपनी इसी पुस्तक के पृष्ठ २४७ पर औरंगजेब के एक संबंधी से मिली जानकारी के आधार पर स्पष्ट लिखा है कि उन्होंने केवल इस्लाम का प्रचार करने के लिए राम, कृष्ण और शिव के मंदिर तोडे थे ।’
(संदर्भ : दैनिक तरुण भारत, २२.९.२०१०)
हिन्दूबहुल भारत में प्रभु श्रीराम का निवास फटी रावटी में होना, हिन्दुआें के लिए इससे अधिक लज्जाजनक और क्या होगा ?
‘हमने प्रभु श्रीराम को फटी-पुरानी रावटी में रखा है और कहते हैं कि हम स्वतंत्र भारत में रहते हैं !’ इस वक्तव्य पर शंकराचार्य (पूर्वाम्नाय श्री गोवर्द्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमत् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदसरस्वती महाराज) ने कहा, ‘‘हम तो परतंत्रता में रहते हैं; क्योंकि संपूर्ण विश्व के आराध्य देवता श्रीराम को हमने फटी रावटी में रखा है । हम उनकी कथाआें के पारायण तो करते हैं, पर उनकी अवस्था ऐसी ! हमें वातानुकूति घर, कार्यालय लगते हैं और हमारे देवता धूप-वायु-वर्षा की मार झेलते हुए खडे हैं ! श्रीराम भी हमें देखकर कहते होंगे, मेरे ऐसे भक्त कैसे !’’
‘‘श्रीराम के आगे भूमि पर मस्तक रखकर हम उनसे प्रार्थना करते हैं कि मुझे गाडी, बंगला मिले, मेरे सब काम पूरे हों । निजी स्वार्थ के लिए हम मठ, मंदिर का उपयोग करते हैं । भारत के अरबों हिन्दू इतने दुर्बल क्यों हो गए ? सबलोग अपने स्वार्थ में डूबे हैं । हमें रामजन्मभूमि पर प्रभु श्रीरामचंद्र का भव्य-दिव्य मंदिर बनाना है, यह बात कर्महिन्दुआें को तो कहनी चाहिए ।’’ – पूज्य झम्मन शास्त्री, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पीठ परिषद, गोवर्धनपीठ, पुरी, ओडिशा । (६ ते १० जून २०१३)
अपने को हिन्दुत्वनिष्ठ समझनेवाली भाजपा के सत्ता में रहते राममंदिर का वनवास समाप्त नहीं हुआ !
राममंदिर के लिए अध्यादेश लाने की मांग को रद्दी की टोकरी दिखानेवाली भाजपा सरकार !
‘आशा थी कि राममंदिर के विषय में प्रधानमंत्री मोदी कोई महत्त्वपूर्ण घोषणा कर, अयोध्या के राममंदिर का वनवास समाप्त करेंगे । परंतु, उनका आचरण इसके ठीक विरुद्ध रहा । राममंदिर पर अध्यादेश लाने की मांग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद सहित शिवसेना ने भी की थी, पर इस मांग को ठुकरा दिया गया ।’
राममंदिर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की भांति साहस नहीं दिखाया !
मोदी ने गुजरात में सरदार पटेल की भव्य और विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति स्थापित की । परंतु, मंदिर के प्रश्न पर उन्होंने सरदार की भांति साहस (सोमनाथ मंदिर बनाने का साहस) नहीं दिखाया । यह घटना इतिहास में लिखी जाएगी ।’
नरेंद्र मोदी के बहुमतवाले राज्य में राममंदिर नहीं होगा, तो कब होगा ?
राममंदिर निर्माण का विषय प्रधानमंत्री के लिए महत्त्व का नहीं है । अन्य अनेक विषयों को वे आगे ले जाएंगे । राम के नाम पर उन्हें सत्ता मिली और कानून का राज्य उनके हाथ में आया । फिर भी, श्रीराम उनके लिए कानून से बडे नहीं हैं, यह उन्होंने अपने आचरण से बता दिया है । मोदी के बहुमतवाले राज्य में राममंदिर नहीं बनेगा, तो कब बनेगा ?
– श्री. उद्धव ठाकरे, शिवसेना पक्षप्रमुख
रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए हिन्दुआें ने ७७ बार युद्ध किया था; फिर भी वह अभी तक मुक्ति की प्रतीक्षा कर ही रही है !
वर्ष १९९२ में ६ दिसंबर को बाबरी मसजिद का जो कुछ हुआ, उस विषय में सब लोग जानते हैं । रामजन्मभूमि को मुक्त कराने के उद्देश्य से आजतक हिन्दुआें ने ७७ बार लडाई लडी है । बाबर के शासनकाल में ४ बार, हुमायूं के शासनकाल में १० बार, औरंगजेब के शासनकाल में ३० बार, शहादत अली के काल नें ५ बार, नसिरुद्दीन हैदर के काल में ३ बार, वाजिद अली शाह के काल में २ बार, अंग्रेजों के शासनकाल में २ बार और भूतपूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव के काल में १ बार तथा अन्य समय भी बडी लडाइयां लडी गई हैं ।
भारतीय जनता को संतोष उसी दिन होगा, जब काशी, मथुरा, अयोध्या आदि सहस्त्रों स्थानों के मुगल आक्रमणकारियों के चिन्ह पूर्णतः मिटा दिए जाएंगे । जो इन मंदिरों के मूल स्वामी हैं, उन्हें ये मंदिर पुनः मिलने ही चाहिए । जब कोई चोर अथवा डाकू किसी की वस्तु चुरा लेता है, तब राजा का कर्तव्य होता है कि वह उस व्यक्ति को उसकी वस्तु पुनः दिलाए और चोरी करनेवाले चोर अथवा डाकू को दंडित करे । यह दंड-व्यवस्था ही प्रजा को सुरक्षित कर शांति से जीने की सुविधा प्रदान कर सकती है ।
– श्री. गुरुकुल झज्जर, हरियाणा
अयोध्या, मथुरा और काशी इन तीर्थक्षेत्रों की मुक्ति ही श्रद्धावान हिन्दुआें के जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य और पवित्र ध्येय !
कुछ नेताआें के लिए राममंदिर एक लाभदायक विषय हो सकता है; परंतु प्रतिदिन देश के कोने-कोने से, विश्व के सुदूर देशों से श्रद्धापूर्वक अयोध्या, मथुरा और काशी में आनेवाले हिन्दुआें, अयोध्या के लिए बलिदान देनेवाले हुतात्माआें तथा अपने प्राणों की आहुति देकर बाबरी मसजिद ध्वस्त करनेवाले दृढ निश्चयी कारसेवकों के लिए अयोध्या, काशी और मथुरा कोई विषय नहीं, अपितु उनके लिए इन तीर्थक्षेत्रों की मुक्ति ही उनके जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य और परम पवित्र ध्येय है !’ – आचार्य स्वामी श्री धर्मेंद्र महाराज, (पाक्षिक पावन परिवार’, जनवरी २०११)
कहां हिन्दू देवताआें की विश्व की सबसे विशाल मूर्ति खडी करनेवाला इस्लामी देश मलेशिया, तो कहां रामजन्मभूमि पर राममंदिर बनाने के विषय में नीतिगत निर्णय भी न कर सकनेवाले हिन्दूबहुल भारत के सब दलों के शासक !
मलेशिया के ‘बाटू केव’ में हिन्दू देवता कार्तिकस्वामी (मुरुगन) की १४० फुट ऊंची मूर्ति है । कहा जाता है कि हिन्दू देवता की विश्व में इतनी ऊंची मूर्ति अन्यत्र नहीं है । यह मूर्ति बनाने में २५० टन स्टील और ३०० टन सोना तथा अन्य धातु लगे हैं । इस मूर्ति के समीप ही एक गुफा है, वहां इस देवता का मंदिर है । इस मंदिर की २७२ सीढियां हैं । प्राचीन काल में यह गुफा जैसी थी, उसी प्रकार से उसे संभाल कर रखा गया है । आधुनिक के नाम पर उससे किसी प्रकार की छेडछाड न कर, उसमें मंदिर बनाया गया है ।’ (तरुण भारत, १७.१.२०११)
हिन्दुत्वनिष्ठो, श्रीराम का नाम जपे बिना राममंदिर की स्थापना नहीं हो सकती !
कुछ वर्ष पहले एक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन ने अनेक स्थानों पर ‘कोटि रामनाम जपयज्ञ’ आयोजित किया था । एक स्थान पर जाकर मैंने इस यज्ञ के आयोजक और उनके कार्यकर्ताआें से पूछा कि अबतक आपने कितना नामजप किया है ?’’ इस पर उन्होंने कहा, हमारे पास नाम जपने का समय ही कहां है ?’’ इससे एक बात ध्यान में आई कि जबतक राममंदिर के लिए प्रयत्नशील कार्यकर्ता श्रीराम का जप नहीं करेंगे, तबतक राममंदिर की स्थापना नहीं होगी । अतः, हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन के कार्यकर्ताआें और प्रवचनकारों के लिए नामजप करना आवश्यक है ।’
– पूज्य अरुण शिवकामत, बेलगांव
सागर पर सेतु बांधनेवाले वानरों के समान भावभक्ति होने पर ही हिन्दुआें को राममंदिर निर्माण के लिए बल मिलेगा !
किसी भी कार्य की सफलता के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा आवश्यक होती है । बडे हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने अबतक अध्यात्म, साधना की उपेक्षा ही की है । इसलिए, आज केवल राममंदिर निर्माण के लिए नहीं, अपितु अन्य अनेक आघातों से भी हिन्दुआें को जूझना पड रहा है ! राममंदिर के लिए वर्षों लडने पर भी यह आंदोलन सफल क्यों नहीं हुआ ?’ इस विषय पर चिंतन करने का समय हिन्दुआें को मिला है । राममंदिर निर्माण का स्वप्न पूरा होने के लिए हिन्दुआें को प्रभु श्रीरामचंद्र की शरण में जाकर उनसे राममंदिर निर्माण के लिए बल मांगना आवश्यक है ! राममंदिर निर्माण के लिए श्रीराम हमें शक्ति और भक्ति प्रदान करें, यह उनसे प्रार्थना है !