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क्या वास्तव में, धर्मविरोधी विकल्प अपनाने से अबतक नदियों का प्रदूषण रुका है ?

पुणे की पत्रकार परिषद में हिन्दुत्वनिष्ठों का पालिका प्रशासन से प्रश्न

धर्मविरोधी विकल्प !

पुणे : विगत कुछ वर्षाें से पुणे महापालिका प्रशासन ने श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन हेतु ‘गणेशमूर्तियों का कृत्रिम कुंडों में विसर्जन करें’, ‘मूर्तिदान दें’ एवं ‘कागज के लुगदे से बनी गणेशमूर्तियों की प्रतिष्ठापना करें’ जैसे धर्मविरोधी आवाहन और अब मूर्ति (विसर्जन हेतु नहीं) विघटन हेतु अमोनियम बाईकार्बाेनेट का उपयोग करने जैसी अशास्त्रीय विकल्पों को अपना कर अघोरी एवं स्वघोषित धर्माेपदेशक की भांति निर्णय लेने की होड लगाई है; किंतु इससे मूल समस्या को जानबूझकर बाजू में रख कर टाला जा रहा है !

गणेशभक्तों, धर्मशास्त्र के अनुसार बहते पानी में ही गणेशमूर्ति का विसर्जन करें !

पत्रकार परिषद में बाईं ओर से सर्वश्री विजय गावडे, विकास भिसे, अधिवक्ता मोहनराव डोंगरे, पराग गोखले, अधिवक्ता अनिल विसाळ, अधिवक्ता नीलेश निढाळकर एवं मयुरेश अरगडे

क्या वास्तव में, ऐसे विकल्प अपनाने से नदियों का प्रदूषण रुका है ?, पर्यावरण की रक्षा हुई है ?, वर्ष के पुरे ३६५ दिन नदीक्षेत्र में अवशिष्ट छोडना, साथ ही बिना किसी प्रक्रिया के नदीक्षेत्र में धोवनजल छोडना रुका है ?, विगत कुछ वर्षाें से नदी में ९० सहस्र क्युसेक्स पानी छोड कर भी पुणे में कभी बाढ नहीं आई थी; परंतु अब बांध से केवल ४५ सहस्र क्युसेक्स पानी छोडने पर पुणे के नदीतट के क्षेत्रों में बाढ की स्थिति बनी हुई है ! क्या, यह स्थिति श्री गणेशमूर्ति विसर्जन के कारण बनी है ? पालिका प्रशासन, नास्तिकतावादी और कथित पुरोगामियों ने पहले इन प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए और उसके पश्चात उन्होंने श्री गणेशमूर्ति का बहते पानी में विसर्जन करने के संदर्भ में नीति अपनानी चाहिए ! हिन्दू जनजागृति समिति के जिला समन्वयक श्री. पराग गोखले ने यहां संपन्न पत्रकार परिषद में ऐसा प्रतिपादित किया।

इस पत्रकार परिषद में श्री. गोखले ने ऐसा भी आवाहन किया कि, पुणेवासी महापालिका और नास्तिकतावादियों के झूठें एवं अशास्त्रीय उपक्रमों पर बलि न चढें ! मूर्तिदान करना, मूर्तियों का कृत्रिम कुंडों में विसर्जन करना अथवा अमोनियम बाईकार्बाेनेट का उपयोग कर मूर्तियों को पिघलाना इसकी अपेक्षा उनका धर्मशास्त्र के अनुसार बहते पानी में ही विसर्जन करें ! साथ ही अतिप्रदूषणकारी कागज के लुगदे से बनी मूर्ति न लेकर खडिया मिट्टी की, प्राकृतिक रंगोंवाली मूर्ति की प्रतिष्ठापना करें !

इस पत्रकार परिषद में पर्यावरण अभ्यासी श्री. विकास भिसे, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ के श्री. मयुरेश अरगडे, गार्गी सेवा फाऊंडेशन के श्री. विजय गावडे, अधिवक्ता श्री. मोहनराव डोंगरे, अधिवक्ता श्री. नीलेश निढाळकर, अधिवक्ता श्री. अनिल विसाळ एवं सनातन संस्था के प्रा. विठ्ठल जाधव भी उपस्थित थे।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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