सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के करकमलों से दीपप्रज्वलन
बाईं ओर से दीपप्रज्वलन करती हुईं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी, सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी,
श्री. सुनील घनवट एवं ह.भ.प. योगेश महाराज साळेगांवकर
शनिशिंगणापुर : क्रियाशील हिन्दुओं को हिन्दू राष्ट्र स्थापना की दिशा मिले; इस उद्देश्य से तीर्थस्थान शनिशिंगणापुर में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ४ जनवरी को २ दिवसीय प्रांतीय हिन्दू अधिवेशन का आरंभ हुआ । पहले दिन के पहले सत्र में सनातन के धर्मप्रचारक सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी की वंदनीय उपस्थिति थी । सनातन की सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के करकमलों से दीपप्रज्वलन कर अधिवेशन का उद्घाटन हुआ । इस अवसरपर व्यासपीठपर सेलू (परभणी) के राष्ट्रीय कीर्तनकार ह.भ.प. योगेश महाराज साळेगांवकर उपस्थित थे ।
अधिवेशन में उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठ
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनेतक धर्मसेवा करेंगे ! – सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी, सनातन संस्था
धर्मरक्षा का कार्य करनेवालों को संत, देवी-देवता और भगवान श्रीकृष्णजी के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं; इसलिए हम सभी तन-मन-धन समर्पित कर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनेतक धर्मसेवा करेंगे । हम सभी इस अधिवेशन के २ दिनों में यहां विद्यमान ऊर्जा एवं चैतन्य ग्रहण कर आगे के धर्मकार्य के लिए प्रेरणा लेकर जाएंगे । सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी ने यह आशीर्वादरूपी मार्गदर्शन किया ।
धर्मनिरपेक्षता के नामपर भारत में लोकतंत्र की पराजय हो रही है ! – सुनील घनवट, हिन्दू जनजागृति समिति
आज देश में धर्मनिरपेक्षता के नामपर हिन्दुओं के साथ अन्याय हो रहा है, तो अल्पसंख्यकों को लाभ मिल रहे हैं । बहुसंख्यक हिन्दुओं के देश में पहले हिन्दुओं का विचार नहीं होता । गोरक्षकों को कारावास और गोहत्या करनेवाले खुलेआम, यह आज की स्थिति है । कन्हैय्याकुमार जैसे लोग जब देशविरोधी घोषणाएं करते हैं, तब उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहा जाता है; परंतु कुछ महिनोंपूर्व मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुधीर रंजन सेन जब भारत को इस्लामी राष्ट्र की दिशा में न ले जाएं, ऐसा कहते हैं, तब उन्हें धर्मांधों के विरोध के चलते अपना वक्तव्य वापस लेना पडता है, यह लोकतंत्र की पराजय है ।
देश के ८ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक बनने की स्थिति में हैं । नेपाल का मुसलमान समुदाय ‘नेपाल को पहले जैसा हिन्दू राष्ट्र घोषित करें’ की मांग कर हा है; क्योंकि नेपाल जब हिन्दू राष्ट्र था, तब वहां किसी को कोई समस्या नहीं थी । आज नेपाल में हिन्दुओं को अन्य पंथियों से कष्ट सहन करना पड रहा है ।