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‘ऑनलाइन’ नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन का पांचवे दिन ‘मंदिर रक्षा अभियान’ विषय पर उद़्‍बोधन सत्र

मंदिरों की भूमिरक्षा का कानून बनाकर केंद्रीय स्‍वायत्त ‘धार्मिक परिषद’गठित करें ! – टी.एन्. मुरारी, शिवसेना राज्‍यप्रमुख, तेलंगाना

टी.एन्. मुरारी, शिवसेना

फोंडा (गोवा) : आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में ‘एण्‍डोवमेंट एक्‍ट’के माध्‍यम से मंदिरों की संपत्ति हडपना जारी है । मंदिरों की लाखों एकड भूमि गायब हो गई है अथवा कुछ भूमि का उपयोग सरकारी कामोंके लिए किया गया है । मंदिर समितियां राजनेताओं के नियंत्रण में हैं । केंद्र सरकार ने संसद में कानून बनाकर मंदिरों की भूमिरक्षा के लिए केंद्रीय स्‍वायत्त ‘धार्मिक परिषद’का गठन करे । इस परिषद में धर्माचार्यों, पीठाधिपतियों, धर्मरक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों, धर्मशास्‍त्रज्ञों, पुजारियों का समावेश होना चाहिए । ऐसा होने पर मंदिरों में राज्‍य सरकार का मनमानी हस्‍तक्षेप नहीं होगा, यह सुझाव तेलंगाना राज्‍य के शिवसेना प्रमुख श्री.टी.एन. मुरारी ने दिया । हिन्‍दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ‘ऑनलाइन’ नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन में ६ अगस्‍त को ‘मंदिर रक्षा अभियान’ विषय पर उद़्‍बोधन सत्र में वे बोल रहे थे । उस समय ओडिशा के भारत रक्षा मंच के राष्‍ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर, नई देहली स्‍थित ‘इटर्नल हिन्‍दू फाऊंडेशन’के श्री. संजय शर्मा तथा राजस्‍थान की ‘वानरसेना’ संगठन के अध्‍यक्ष श्री. गजेंद्र भार्गव ने भी विचार व्‍यक्‍त किए । उत्तरार्ध में ‘मंदिररक्षा’ विषय पर संगोष्‍ठी का आयोजन किया गया ।

श्री. मुरारी ने आगे कहा, ‘एण्‍डोवमेंट एक्‍ट’के नाम पर सरकार ने ३२ सहस्‍त्र मंदिरों को नियंत्रण में लिया है । इनमें २७ सहस्‍त्र मंदिरों में देवता को धूप-दीप-नेवैद्य तक नहीं दिखाया जाता । भ्रष्‍टाचारविरोधी दल के सबसे अधिक छापे इस ‘एण्‍डोवमेंट विभाग’पर ही पडे हैं । सूचना के अधिकार के अंतर्गत भी यह विभाग कोई-न-कोई कारण बताकर जानकारी देने में टालमटोल करता है । हिन्‍दू श्रद्धालु श्रद्धाभाव से मंदिरों में अर्पण करते हैं; परंतु उस राशि का उपयोग हिन्दुओं का हित साधने में नहीं किया जाता । प्राचीनकाल में मंदिर समाजजीवन के केंद्रबिंदु हुआ करते थे; परंतु विदेशी आक्रमणकारियों ने मंदिर ध्‍वस्‍त किए, जिससे हिन्‍दू संस्‍कृति पर कुठाराघात हुआ । स्‍वतंत्रताप्राप्‍ति के पश्‍चात सरकार मंदिरों को नियंत्रण में लेकर उनकी संपत्ति लूट रही है, जो दुर्भाग्‍यपूर्ण है ।’’

मंदिर समितियां युवा पीढी को मंदिरों से जोडें ! – गजेंद्र भार्गव, अध्‍यक्ष, ‘वानरसेना’, राजस्‍थान

गजेंद्र भार्गव

आज भारत में अनेक मंदिर ऐसे हैं, जिनके आसपास अन्‍य पंथीयों की बस्‍ती अथवा घर हैं । मंदिर व्‍यवस्‍थापन समितियां मंदिरों के केवल भीतरी कामकाज पर ध्‍यान देती हैं; मंदिर के बाहर क्‍या स्‍थिति है, इस ओर ध्‍यान नहीं देतीं । प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति की किसी-न-किसी देवता के प्रति अथवा मंदिर के प्रति श्रद्धा होती है । इसलिए, युवा पीढी को मंदिरों के कामकाज से जोडने का प्रयत्न करना चाहिए । हनुमान मंदिरों में व्‍यायामशाला आरंभ कर, युवकों को मंदिर से जोडने का प्रयत्न किया जा सकता है । ऐसा हुआ, तो युवकों में धर्मनिष्‍ठा और राष्‍ट्रभक्‍ति उत्‍पन्‍न होगी । तब, कोई भी आक्रमणकारी मंदिरों की ओर बुरी दृष्‍टि से देखने का दुस्‍साहस नहीं करेगा ।

 

 

धार्मिक स्‍थलों के विकास के नाम पर प्राचीन मठ-मंदिरों का विध्‍वंस ! – अनिल धीर, राष्‍ट्रीय सचिव, भारत रक्षा मंच, ओडिशा

फोंडा (गोवा) : धार्मिक स्‍थलों के विकास के नाम पर प्राचीन मठ-मंदिरों को तोडा जा रहा है । स्‍वर्णमंदिर की भांति जगन्‍नाथपुरी मंदिर के चारों ओर प्रदक्षिणामार्ग बनाने के प्रकल्‍प में ओडिशा सरकार ने अनेक प्राचीन मठ-मंदिरों को धराशायी किया । इससे, सैकडों वर्ष की सांस्‍कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर नष्‍ट हो गई । धार्मिक स्‍थलों का विकास नहीं, केवल परिसर का सौंदर्यीकरण हो रहा है । किसी तीर्थक्षेत्र को पर्यटन का स्‍थान बनाने का यह कार्य है । यदि इसे रोकना है, तो धार्मिक स्‍थलों से संबंधित कोई भी प्रकल्‍प आरंभ करने से पहले स्‍थानीय समिति गठित कर वहां के लोगों का समर्थन प्राप्‍त किया जाए, यह मांग ओडिशा में भारत रक्षा मंच के राष्‍ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर ने की । हिन्‍दू जनजागृति समिति की ओर से ६ अगस्‍त को ‘ऑनलाइन’ नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ के अंतर्गत ‘मंदिररक्षा’ विषय पर उद़्‍बोधन सत्र का आयोजन किया गया था । उस समय, ‘जगन्‍नाथपुरी के मठ-मंदिरों की भूमि हडपने का सरकारी षड्‍यंत्र’ विषय पर वे बोल रहे थे ।

श्री. अनिल धीर के अन्‍य महत्त्वपूर्ण विचार

  • ओडिशा सरकार ने जगन्‍नाथपुरी के मंदिर की परिक्रमा प्रकल्‍प के अंतर्गत प्राचीन लांगोडी, मंगू, बडा अखाडा जैसे बडे मठों को हिन्‍दुओं के विरोध की अनदेखी करते हुए ध्‍वस्‍त किया । इसके अतिरिक्‍त, सैकडों छोेटे मठ भी तोडे । मठों की संपत्ति का कानूनी प्रमाणपत्र (डॉक्‍युमेंटेशन) नहीं बनाया गया । सरकार कहती है कि वहां समाजघाती गतिविधियां होती हैं । इस कार्यवाही में एम.आर. मठ का प्राचीन और बडा रघुनंदन ग्रंथालय भी ध्‍वस्‍त किया गया । इस ग्रंथालय में ३५ सहस्‍त्र ग्रंथ थे । इस कार्यवाही के पश्‍चात अब केवल ५ सहस्‍त्र ग्रंथ बचे हैं । शेष ग्रंथ कहां और किस स्‍थिति में हैं, यह कोई नहीं जानता । इस प्रकार, यह अमूल्‍य धरोहर लुप्‍त हो गई । विशेष बात यह है कि पुरी का जो मठ तोडा गया, उसके पास भगवान जगन्‍नाथ के धार्मिक उपचार पूजा का दायित्‍व था । एक मठ भगवान जगन्‍नाथके लिए फूल देता था, तो दूसरा मठ औषध अथवा अलंकार इत्‍यादि । भुवनेश्‍वर तथा वाराणसी में भी अनेक प्राचीन मंदिर अतिक्रमणके नामपर तोडे गए । राजनीतिक कारणों से की जानेवाली ऐसी कार्यवाहियोंसे हिन्‍दुओं की प्राचीन सभ्‍यता, संस्‍कृति, वास्‍तुकला समाप्‍त हो रही है । केंद्र सरकार इस विषय में हस्‍तक्षेप करे, यह हमने मांग की थी ।
  • कोई भवन धोकादायक होने पर नई तकनीक से उसका मूल स्‍वरूप बनाए रख कर पुनर्निमाण किया जा सकता है । परंतु, इस नियम का पालन न कर, वह सीधे गिरा दिया जाता है, जो बहुत दुर्भाग्‍यपूण है ।

मंदिर के लिए २ घंटे समय देकर अपने कौशल और ज्ञान का दान करें ! – श्री. संजय शर्मा, ‘इटर्नल हिन्‍दू फाउंडेशन, नई देहली

श्री. संजय शर्मा

मंदिर, हिन्‍दुओं के केवल धार्मिक आस्‍था के केंद्र नहीं, अपितु सभ्‍यता के प्रतीक भी हैं । हिन्‍दुओं का इतिहास और संस्‍कृति की नाल मंदिरों से जुडी है । इस दृष्‍टिसे ‘राष्‍ट्रनिर्माण कार्य के लिए, २ घंटे मंदिरों को दें’ यह अभियान ‘इटर्नल हिन्‍दू फाउंडेशन’की ओर से हम चला रहे हैं । इसमें आप सप्‍ताह में अथवा महीने में २ घंटे मंदिर के लिए दें । आप अपने समीप के मंदिर में जाकर अपनी कौशल का दान करें । किसान, परिचारिका, शिक्षक, सैनिक ऐसे विविध समाजघटक यदि इस अभियान में सम्‍मिलित होकर अपने ज्ञान तथा कौशल का उपयोग दूसरों के लिए करेंगे, तो समाज में जागृति होगी और मंदिर समाजजीवन के केंद्र बनेंगे । इससे भारत आत्‍मनिर्भरता के मार्ग पर अग्रसर होगा । मंदिर के लिए समय देना, हमारा सामाजिक कर्त्तव्‍य है ।

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