शासन द्वारा अच्छी गुणवत्ता के ‘मास्क’ उपलब्ध न करवाना और उस विषय में जागृति न करना, यह कोरोना के प्रभाव रोकने में एक बाधा !
कोरोना के प्रभाव को रोकने के लिए राज्यशासन व्यक्तिगत स्तर पर नागरिकों को ‘मास्क’ का उपयोग करने का आवाहन कर रही है । इस संदर्भ में विश्व आरोग्य संगठन ने कुछ महत्त्वपूर्ण मापदंड निर्धारित किए हैं । उसके अनुसार ‘मास्क’ तीन परतों और विशिष्ट पद्धति से बनाए जाने आवश्यक हैं । प्रत्यक्ष राज्य में बडी मात्रा में रूमाल, सूती कपडा अथवा जिनमें विषाणु को रोकने की गुणवत्ता नहीं है ऐसे ‘मास्क’का उपयोग हो रहा है । इसलिए कोरोना का प्रभाव बढने का धोखा है । शासन द्वारा आवश्यक गुणवत्तावाले ‘मास्क’ उपलब्ध करवाना और उस विषय में जागृति न करना, यह कोरोना के प्रभाव को रोकने में एक समस्या है, जिस पर शासन को गंभीरता से विचार करना होगा । आरोग्य साहाय्य समिति ने मांग की है कि कोरोना के प्रभाव को रोकने के लिए उचित और सक्षम ‘मास्क’ का उपयोग होने के लिए और जागतिक आरोग्य संगठन द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन होने हेतु ठोस उपाययोजना की जाए । इस संदर्भ में आरोग्य साहाय्य समिति की ओर से महाराष्ट्र, गोवा, देहली, हरियाणा, मध्यप्रदेश और कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री और सार्वजनिक आरोग्य विभाग के प्रधान सचिव को निवेदन भेजे गए हैं ।
इस निवेदन में ऐसा कहा गया है कि विश्व आरोग्य संगठन द्वारा 5 जून 2020 को ‘मास्क’ विषयी प्रसारित की गई मार्गदर्शक सूचनाओं के अनुसार एक परत अथवा दो परत के मास्क में कोरोना का संसर्ग रोकने की क्षमता नहीं । कोरोना के संसर्ग को रोकने के लिए कपडे से बनी ‘नॉन-मेडिकल मास्क’ के लिए कम से कम 3 परतें आवश्यक हैं । मास्क की बाहरी परत ‘हायड्रोफोबिक’ मटेरियल की (‘पॉलीप्रॉपिलिन’, ‘पॉलिस्टर’ अथवा उनके मिश्रण की), बीच की परत ‘सिंथेटिक’ और बिना बुने हुए साहित्य (पॉलीप्रॉपिलिन अथवा कपास की परत) और भीतरी परत ‘हायड्रोफिलिक मटेरियल’ की (कपास और सूती का मिश्रण) होना अपेक्षित है । शासन द्वारा दिए गए निर्देश में ‘मुख पर रूमाल अथवा मास्क बांधें’, ऐसा मोटे-मोटे तौर पर संदेश होने से नागरिक रूमाल अथवा सूती ‘मास्क’ का धडल्ले से उपयोग कर रहे हैं । स्वाभाविकरूप से नागरिकों की ऐसी धारणा है कि ‘शासन द्वारा दी गई सूचनाओं का हम पालन कर रहे हैं’, इसलिए वे बेफिक्र हैं । परिणामस्वरूप कोरोना का प्रभाव बढता ही जा रहा है ।
इसलिए शासन को वर्तमान परिस्थिति ध्यान में रखकर बिक्री होनेवाले और उपयोग में लाए जानेवाले ‘मास्क’ की गुणवत्ता का गंभीरता से अभ्यास करने का आदेश संबंधित विभाग को दिया जाए । मास्क के संदर्भ में कम से कम आवश्यक बातों की तुरंत प्रसिद्धी देकर जनजागृति की जाए । जो मास्क बाजार में बेचे जा रहे हैं, वे आवश्यकता के अनुरूप गुणवत्ता के हैं न, इसकी निश्चिति कर अन्न और औषधि प्रशासन विभाग द्वारा तुरंत कार्यवाही की जाए । जो मास्क आवश्यक गुणवत्ता के नहीं हैं, उनकी बिक्री करना ‘अपराध है’ ऐसा घोषित किया जाए और उसके लिए दंड की भी व्यवस्था की जाए और वे मास्क पुन: उपयोग में लाए जानेवाले (Re-usable) मास्क बाजार में सर्वत्र उपलब्ध कराएं, ऐसी मांग आरोग्य साहाय्य समिति द्वारा की गई ।