विशालगड के ‘रेहान बाबा’ दरगाह को शासकीय अनुदान; परंतु मंदिर और बाजीप्रभू के स्मारक टूटे-फूटे !
दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की ‘विशालगड रक्षण और अतिक्रमणविरोधी कृति समिति’की मांग
कोल्हापुर – छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणस्पर्श से पावन हुए दुर्ग महाराष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहर हैं । वहां के विविध स्मारक पराक्रम के साक्षी प्रेरणास्थल हैं । हिन्दवी स्वराज्य की धरोहर रहे इन दुर्ग और किलों के लिए अनेक शूरवीर मावळों ने अपना रक्त बहाया है । इन दुर्ग और किलों पर जानेपर आज भी अपने पराक्रमी इतिहास पर अभिमान होता है और गर्व से छाती चौडी हो जाती है । ऐसे किलों में से एक किला है विशालगड ! 350 वर्षों से धूप, तूफान, बारिश और मानवी आक्रमण सहन करते हुए आज भी यह किला सीना ताने खडा है; लेकिन छत्रपति शिवाजी की इस अमूल्य धरोहर की राज्य के पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन की तीव्र उपेक्षा के कारण आज इसकी दुर्दशा हो गई है । इस गड के 64 से अधिक स्थानों पर भारी संख्या में अतिक्रमण किया गया है । गड पर स्थित प्राचीन मंदिर टूट-फूट गए हैं और मूर्तियां भग्न हो गई हैं । जिन शूरवीर बाजीप्रभू देशपांडे और फुलाजीप्रभू देशपांडे के पराक्रम के चिन्ह इस भूमि में है, उनकी समाधी अत्यंत उपेक्षित है । छत्रपति शिवाजी की बहू अहिल्याबाई भोसले की समाधी भी उपेक्षित है ।
इसके विपरीत किलेपर रेहान दरगाह के परिसर की सजावट और रास्ते के निर्माण कार्य के लिए, शासन द्वारा लाखों की निधि प्रदान की जा रही है, वहां जाने के लिए पेव्हर ब्लॉक का रास्ता है, दरगाह का आर.सी.सी. निर्माणकार्य हुआ है । यह छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास का इस्लामीकरण करने का षडयंत्र है । यह षडयंत्र हम कभी भी सहन नहीं करेंगे । विशालगड पर इस्लामी अतिक्रमण, छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान है । यह अतिक्रमण त्वरित न हटाने पर इसके विरोध में राज्यव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी ‘विशालगड रक्षण और अतिक्रमणविरोधी कृति समिति’के प्रवक्ता श्री. सुनील घनवट ने आज पत्रकार परिषद में दी । इस परिषद में कृति समिति के सदस्य श्री. संभाजीराव भोकरे (शिवसेना उपजिल्हाप्रमुख), मलकापुर के श्री. चारुदत्त पोतदार, श्री. प्रमोद सावंत, श्री. किशोर घाटगे, श्री. रमेश पडवळ, श्री. राजू यादव, कृति समिति के समन्वयक श्री. किरण दुसे और हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. बाबासाहेब भोपळे तथा हिंदू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता श्री. समीर पटवर्धन भी उपस्थित थे ।
परिषद को संबोधित करते हुए श्री. घनवट ने कहा कि, ‘छत्रपति शिवाजी महाराज के विशालगड की दुर्दशा का कारण बने पुरातत्व विभाग के अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही की जाएं, साथ ही गड के अतिक्रमण को एक महिने में हटाकर उपेक्षित वीरपुरूषों के स्मारक और मंदिरों का शासन जीर्णोद्धार करें, ऐसी मांग हम शिवशाही को आदर्श बतानेवाले राज्य शासन से करते हैं ।’
विशालगड की दुर्दशा के कुछ उदाहरण नीचे दिए है ।
१. गड और मंदिरों की दुर्दशा : श्रीवाघजाई मंदिर विशालगड वासियों की ग्रामदेवता है । इस मंदिर की दीवारों की उंचार्ई अब भूमि से केवल एक फूट शेष है और मंदिर के समक्ष एक नक्काशीदार खंबा और देवालय में सिंहपर सवार वाघजाई देवीकी मूर्ति भग्नावस्था में है । इसके साथ विठ्ठल मंदिर, नृसिंह मंदिर, श्री विठ्ठलाईदेवी मंदिर, श्रीराम मंदिर सहित अनेक मंदिर और गड-तटबंदी के अनेक स्थान टूट-फूट गए हैं । गड पर अनेक स्थानोंपर अस्वच्छता है ।
२. बाजीप्रभू देशपांडे की समाधी की उपेक्षा : स्वराज्य के लिए बलिदान देनेवाले वीर बाजीप्रभू देशपांडे और फुलाजीप्रभू देशपांडे इन नरवीर की समाधी की पुरातत्व विभाग ने पूर्ण उपेक्षा की है । छत्रपति शिवाजी के अनुचरों ने अपने खर्चे से समाधी पर छत बनाई है । समाधी तक जाने के लिए पगडंडी भी नहीं है । समाधी के बारे में जानकारी देनेवाला फलक भी नहीं लगाया गया है ।
३. विशालगड का अतिक्रमण : वर्ष 1998 में यह गड पुरातत्व विभाग ने अपने नियंत्रण में लिया । इसके बाद भी इस गड पर विशाल संख्या में अवैध निर्माणकार्य हुए हैं । इस संदर्भ में सूचना के अधिकार द्वारा वर्ष 1997-1998 और वर्ष 2015-16 से 2018-19 इन वर्षों के संपत्ति कर सूची में 200 चौरस फुट से 2.5 गुंठों तक का भी अंतर पाया गया है । ऐसी 100 से अधिक अतिक्रमित निर्माणकार्य गड पर किए गए हैं ।
गड पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में है, तब भी नियम-कानून की धज्जियां उडाते हुए स्थानीय प्रशासन ने लोगों को इस गड पर बेघर योजना के अंतर्गत घर बनाकर दिए हैं । उस समय आवंटित क्षेत्रफल 288 चौरस फुट था; किन्तु अब वह 1200 से 2013 चौरस फुट हो गया है । गड पर ऐसे अनेक निर्माणकार्य होकर सभी स्थानों के क्षेत्रफल बढे हुए है । साथ ही ‘इंदिरा आवास घरकुल योजना’के अंतर्गत निर्मित घरों की भी वही अवस्था है ।
इस संदर्भ में सूचना के अधिकार अंतर्गत प्राप्त 27 जनवरी 2016 के पत्र मेें ‘इस गड पर विशाल संख्या में अतिक्रमण और निर्माणकार्य हुए हैं ।’ ऐसा पुरातत्व विभाग ने स्वीकार किया है । विशेषत: इस अतिक्रमण को ‘ग्रामपंचायत गजापूर विशालगड’ द्वारा निर्माण कार्य हेतु दी गई अनुमति अवैध है, यह लिखित में दिया गया है, साथ ही ‘यह निर्माणकार्य त्वरित हटाएं और इसके आगे अनुमति न दें ।’ ऐसा पत्र पुरातत्व विभाग ने ग्रामपंचायत, कोल्हापुर जिलाधिकारी और शाहूवाडी तहसीलदार को भेजा है । किन्तु 5 वर्ष के बाद भी इस गड पर हुआ अवैध निर्माणकार्य वैसा ही है और तो और नया निर्माणकार्य किया जा रहा है । इस पर पुरातत्व विभाग, जिलाधिकारी, तहसीलदार द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गई । 15 वर्ष की कालावधि में कागजी घोडे दौडाने के अलावा पुरातत्व विभाग ने अन्य कुछ नहीं किया ।
४. विशालगड का इस्लामीकरण रोकना अत्यंत आवश्यक ! : विशालगड में वर्ष 1997 के पूर्व के मंदिर और मस्जिदों का क्षेत्रफल जांचे तो वर्ष 2015 के उपरांत कुछ स्थानोंपर मंदिरों का क्षेत्रफल कम हुआ है, तो कुछ स्थानों पर मंदिरों की प्रविष्टि ही नहीं मिलती । एक ओर मंदिरों की संख्या अल्प हो रही है तो दूसरी ओर मस्जिदों की संख्या और क्षेत्रफल बढ गया है, यह ध्यान में आता है । इतिहासकारों के विचार में स्वराज्य पर आक्रमण करने के लिए आया सरदार ‘मलिक रेहान’ मारा गया । उसी के नाम से (रेहानबाबा) यहां प्रतिवर्ष मेला (उरूस) लगाया जाता है, साथ ही रेहानबाबा के नाम से बडा आर.सी.सी. दरगाह भी गड पर बनाया गया है । उसके दर्शन और मनौती मांगने के लिए प्रतिदिन अनेक लोग यहां आते हैं ।
श्रीवाघजाई मंदिर के सामने दाएं हाथ पर एक स्वच्छ पानी का झरना है उस स्थान पर घोडे के खुर के आकार का नैसर्गिक चिन्ह है । प्राचीन काल से बना यह चिन्ह एक हिन्दू स्मारक होते हुए भी कट्टरतावादियों ने उस पर अतिक्रमण किया है । वह रेहानबाबा का तीर्थ है, ऐसी झूठी जानकारी वे पर्यटकों को दे रहे हैं ।
इस प्रकरण में हमारी मांग है कि
1. वर्ष 1998 के पूर्व की जो प्रविष्टियां शासन के पास हैं, केवल उन्हें मान्यता देकर शेष सभी निर्माणकार्य और अतिक्रमण एक माह की कालावधि में शासन नष्ट करें । इस प्रकरण में आज तक विशालगड पर हुए अतिक्रमण, मंदिर-समाधी की दुर्दशा हेतु उत्तरदायी पुरातत्व विभाग के अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही की जाए ।
2. गड का अतिक्रमण जब तक पूर्णत: नहीं हटता, तब तक पुरातत्व विभाग के अधिकारी सप्ताह में एक बार विशालगड का दौरा करें और वहां का सुस्पष्ट ब्यौरा शासन को प्रस्तुत करें ।
3. पन्हाळा से विशालगड यह एकमेवाद्वितीय रणसंग्राम लोगो को ज्ञात होने के लिए एक ऐतिहासिक भव्य स्मारक बनाया जाए । साथ ही गड के फुटफाट नींव से गड के किनारे तक सभी मंदिर, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थानों का महत्त्व बतानेवाले फलक विविध स्थानों पर लगाएं ।
4. गड की पवित्रता नष्ट करनेवाली कृतियां (उदा. मद्यपान, मांसविक्री) साथ ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सभी कृतियों को प्रतिबंधित करें । पर्यटकों की गड पर निवास व्यवस्था की जाने के कारण अनेक अयोग्य कृतियां होती हैं । उन्हें प्रतिबंधित करने के लिए सभी पर्यटकों की निवासव्यवस्था गड के नींव करें ।
5. गड की ग्रामदेवता श्री वाघजाईदेवी के मंदिर सहित सभी मंदिरों की देखभाल और जीर्णोद्धार किया जाए ।