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‘छत्रपति शिवाजी महाराज के विशालगड का इस्लामीकरण रोकें’ इस विषय पर ऑनलाइन विशेष संवाद !

विशालगड से अतिक्रमण हटाएं और वहां छत्रपति शिवाजी महाराज तथा नरवीर बाजीप्रभू देशपांडे के पराक्रम का भव्य स्मारक निर्माण करें ! – श्री. सुनील घनवट

आज 350 वर्षो के उपरांत छत्रपति शिवाजी महाराज जी द्वारा बनाए दुर्ग और किलों के संदर्भ में चर्चा होना अपेक्षित होते हुए भी ‘विशालगड का इस्लामीकरण रोकें’ इस विषय पर चर्चा हो रही है, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है । जो विशालगड नरवीर बाजीप्रभू देशपांडे और फुलाजीप्रभू देशपांडे के नाम से पहचाना जाना चाहिए, वह आज ‘रेहानबाबा दरगाह’ के नाम से पहचाना जाता है । इस दुर्ग पर रेहानबाबा दरगाह के लिए मार्ग और उसकी सजावट पर सरकार 10 लाख रुपए खर्च करती है; लेकिन नरवीर की समाधि पर छप्पर बांधने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं है । कुछ शिवप्रेमी संगठनों ने अपने खर्चे पर इस समाधि पर छप्पर लगवाया है । हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा दुर्ग की जानकारी देनेवाला फलक लगाने पर, वह धर्मांधों द्वारा निकाल दिया गया । दुर्ग पर स्थित घोडे के खुर के तीर्थ को रेहानबाबा का तीर्थ बताया जा रहा है । यह दुर्ग का इस्लामीकरण नहीं तो और क्या है ? दुर्ग की ग्रामदेवता श्री भावजाई मंदिर का क्षेत्रफल 3500 चौरस फुट से 700 चौरस फुट कैसे हो गया ? इस प्रकार अनेक मंदिरों का क्षेत्रफल कम किया गया है । कुछ मंदिरों की प्रविष्टि गायब हुई है । दूसरी ओर दुर्ग पर लगभग 100 से अधिक अतिक्रमण किए गए हैं । विशालगड पर हुए सभी अतिक्रमण और इस्लामीकरण हेतु पुरातत्त्व विभाग उत्तरदायी है । यह सभी अतिक्रमण त्वरित हटाकर छत्रपति शिवाजी महाराज, नरवीर बाजीप्रभू देशपांडे और फुलाजीप्रभू देशपांडे सहित मावलों के पराक्रम का भव्य स्मारक दुर्ग पर बनाा जाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संगठन श्री. सुनील घनवट ने की ।

‘हिन्दू जनजागृति समिति’ आयोजित ‘छत्रपति शिवाजी महाराज के विशालगड का इस्लामीकरण रोकें’ इस ‘ऑनलाइन विशेष संवाद’ में वे बोल रहे थे । इस कार्यक्रम का हिन्दू जनजागृति समिति के जालस्थल Hindujagruti.org, यू-ट्यूब और ट्टिटर पर  सीधा प्रसारण किया गया । 7911 दर्शकों ने यह कार्यक्रम देखा ।

इस कार्यक्रम में बाजीप्रभू देशपांडे के ग्यारहवें वंशज श्री. संदेश देशपांडे ने कहा कि, विशालगड यह घाटमाथा और कोकण के यातायात पर ध्यान रखने के लिए बनाया गया था; पर प्रशासन के कारण आज इस दुर्ग पर ही ध्यान देने की स्थिति बन गई है । स्थानीय ग्रामीण और शिवप्रेमी संगठन दुर्ग की देखभाल करने को तैयार हैं; पर पुरातत्त्व विभागत उन्हें कुछ करने नहीं देता और  स्वयं भी कुछ नहीं करता, यह शोकांतिका है । इसलिए दुर्ग पर स्थित अनेक मंदिर जर्जर हो गए हैं । मूर्ति अभ्यासक श्री. प्रमोद सावंत ने इस संवाद में बोलते हुए कहा कि, पुरातत्त्व विभाग के अधिकारियों को क्या करना चाहिए, इसका ज्ञान नहीं है । उन्हें उनके अधिकार के अंतर्गत आनेवाली कृतियां भी डांटडपटकर बतानी पडती है । विशालगड के मंदिर और स्मारकों का जीर्णोद्धार अपने खर्चे पर करने के लिए अनेक स्थानीय संस्थाएं तैयार हैं । कोल्हापुर के ‘सव्यासाची गुरुकुल’ के प्रधान आचार्य लखन जाधव ने कहा कि, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि अनेक राज्यों में दुर्ग-किलों की ध्यानपूर्वक देखभाल की जाती है; लेकिन महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के अनेक ऐतिहासिक दुर्ग-किलों की दुर्दशा हो गई है । इस संवाद में हिन्दुत्वनिष्ठ सर्वश्री किशोर घाडगे, संभाजीराव भोकरे और सुरेश यादव ने विशालगड से अतिक्रमण हटाए बिना चैन की सांस नहीं लेंगे, ऐसा मत व्यक्त किया ।

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