देश की शासन व्यवस्था के विरोध में होने के कारण छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श युवाओं को सिखाया नहीं जाता ! – श्री. सुरेश चव्हाणके, सुदर्शन न्यूज
आज महाराष्ट्र के अतिरिक्त देश के अन्य किसी भी राज्य में छत्रपति शिवाजी महाराज का पूरा इतिहास नहीं पढाया जाता । राष्ट्र्रीय स्तर पर केंद्र शासन की ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण संस्था’ अर्थात एनसीईआरटी आधे पृष्ठ से अधिक इतिहास सिखाने के लिए तैयार नहीं है । आदरणीय प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी के कारण गुजरात में तथा आदरणीय श्री. येडीयुरप्पा के कारण कर्नाटक राज्य में इतिहास थोडा बढाया गया; परंतु देश से छत्रपति शिवाजी महाराज के विचार समाप्त करने का षड्यंत्र चल रहा है । देश की शासन व्यवस्था ‘छत्रपति शिवाजी महाराज आदर्श हिन्दू राजा थे’, यह देश के युवाओं को सिखाना नहीं चाहती । आज देश में वैसी ही स्थिति है, जैसी छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की शपथ लेने के पूर्व थी । केवल शिवराज्याभिषेक दिन के निमित्त हिन्दू राष्ट्र दिन मनाने से कोई लाभ नहीं होगा । काशी-मथुरा मुक्त करने का छत्रपति शिवाजी महाराज का संकल्प था । छत्रपति शिवाजी महाराज के विचार आचरण में लाने हों, तो इस देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना ही एकमात्र पर्याय है, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन ‘सुदर्शन न्यूज’ के मुख्य संपादक श्री. सुरेश चव्हाणके ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘शिवराज्याभिषेक दिन : हिन्दू राष्ट्र संकल्प-दिन’ इस ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में बोल रहे थे । इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण समिति के जालस्थल Hindujagruti.org, यू-ट्यूब और ट्विटर द्वारा 3,202 लोगों ने देखा ।
संवाद को संबोधित करते हुए सनातन संस्था के राष्ट्र्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा कि ‘छत्रपति शिवाजी महाराज ने पांच इस्लामी आक्रमणकर्ताओं को पराजित करने के लिए हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की । उन्होंने राज्याभिषेक कर भाषा पुनर्जीवित की । अपना राज्य व्यवहार संस्कृत भाषा में किया । राज्य संस्थापना को उन्होंने धर्म संस्थापना का स्वरूप दिया । इसके विपरीत ऐसा कहना होगा कि 1947 में हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई; परंतु राज्य संस्थापना नहीं हुई । क्योंकि ब्रिटिशों द्वारा क्रांतिकारियों का शोषण करने के लिए बनाया गया 1860 का ‘इंडियन पीनल कोड’ अभी भी लागू है । भारत पर सदैव के लिए राज्य करने हेतु बनाया गया ‘इंडियन गवर्मेंट एक्ट 1935’ को संविधान की प्रस्तावना में अंर्तभूत किया गया है । गुरुकुल परंपरा को बंद करने के लिए कानून बनाकर आरंभ की गई मेकॉले शिक्षापद्धति अभी भी चालू है । अरबी-अंग्रेजी आक्रमणकर्ताओं द्वारा हमारे मार्ग-भवनों को दिए नाम हमने अभी तक परिवर्तित नहीं किए है । इस समय विश्व हिन्दू परिषद के पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत कार्यकारी सदस्य श्री. विवेक सिन्नरकर ने कहा कि, 450 वर्ष पूर्व छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य स्थापित करने के लिए किसी से अनुमति नहीं मांगी । औरंगजेब, आदिलशाह, कुतुबशाह इत्यादि मुगल राजाओं की अनुमति नहीं मांगी थी । मुट्ठी भर सैनिकों को (मावळों को) एकत्रित कर शपथ ली । तदुपरांत अपनी सेना, शस्त्रागार, कवच, हिन्दुओं के ध्वस्त मंदिर और हिंदवी स्वराज निर्माण किया । उनका आदर्श हिन्दुओं को अपने मन में रखना चाहिए । आज भी हम एक ध्येय से संगठित हों, तो इस देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर सकते हैं । यह करने से हमें कोई भी नहीं रोक सकता ।