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साधना करने से मनोबल बढकर संकटों का सामना करने के लिए बल प्राप्त होता है – सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडयेजी

सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘तनावमुक्त जीवन एवं हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ विषय के ऑनलाइन व्याख्यान में ८ सहस्र जिज्ञासु उपस्थित !

सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडयेजी

सोलापुर (महाराष्ट्र) : पिछले वर्ष से चल रहे कोरोना के संक्रमण के कारण अनेक लोगों को अपने प्राण गंवाने पडे । आज राष्ट्र के सामने कोरोना संकटसहित लव जिहाद, धर्मांतरण, महिलाओं पर होनेवाले अत्याचार, भ्रष्टाचार जैसे अन्य अनेक संकट भी हैं । ऐसे संकटों का सामना करने हेतु धर्माचरण करना एवं साधना करना ही अनिवार्य है । ईश्‍वर का भक्त बनने हेतु साधना करना आवश्यक होता है । जैसे पेट पालने के लिए धन अर्जित करना पडता है, उसी प्रकार ईश्‍वर का भक्त बनने हेतु साधना करना आवश्यक होता है । साधना करने से मनोबल बढकर किसी भी संकट का सामना करने का बल मिलता है । इस कलियुग में नामस्मरण प्रमुख साधना है । काल के अनुसार कौनसी साधना करनी चाहिए ?, साथ ही धर्माचरण का महत्त्व जान लेने हेतु हिन्दू जनजागृति समिति की एर से लिए जानेवाले ऑनलाइन धर्मशिक्षावर्ग एवं धर्मसत्संगों में सहभागी हों । सनातन संस्था की धर्मप्रचारक सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडयेजी ने यह मार्गदर्शन किया । सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ‘तनावमुक्त जीवन एवं हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ विषयपर मार्गदर्शन करते हुए वे ऐसा बोल रही थीं । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के गुजरात राज्य, पश्‍चिम महाराष्ट्र एवं कोंकण विभाग समन्वयक श्री. मनोज खाडये ने ‘हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ विषय पर ऑनलाइन जुडे जिज्ञासुओं का मार्गदर्शन किया ।

इस व्याख्यान का आरंभ शंखनाद से किया गया । हिन्दू जनजागृति समिति की श्रीमती वेदिका पालन ने व्याख्यान का उद्देश्य स्पष्ट किया, तो श्री. विपुल भोपळे ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया । इस व्याख्यान में पुणे, सातारा, सांगली, कोल्हापुर, सोलापुर, धाराशिव, लातूर, बीड, रत्नागिरी एवं सिंधुदुर्ग जनपदोंसहित गोवा राज्य के ८ सहस्र से भी अधिक जिज्ञासु ऑनलाइन पद्धति से उपस्थित थे ।

न्याय, भाईचारा एवं समानता के प्रत्यक्ष क्रियान्वयन के लिए हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए ! – मनोज खाडे, गुजरात राज्य, पश्‍चिम महाराष्ट्र एवं कोंकण विभाग समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति

स्वतंत्रता के उपरांत विश्‍व का सबसे बडा लोकतंत्र भारत है, ऐसा हम कहलवाते हैं; परंतु स्वतंत्रता के ७४ वर्ष उपरांत भी इस देश के कुछ राज्यों में नक्सलवाद, ३ सहस्र ५०० से भी अधिक विदेशी प्रतिष्ठानों द्वारा भारत की हो रही लूट, देश में गोधन की संख्या घटकर केवल १ करोड हो जानेसहित अनेक प्रतिकूल वास्तविकताओं को देखते हुए दुर्भाग्यवश ‘इस देश का सबसे बडा असफल लोकतंत्र’ कहना पडेगा । देश के अर्थसंकल्प में ५ सहस्र करोड रुपए का प्रावधान केवल अल्पसंख्यकों के लिए किया जाता है । काशी विश्‍वविद्यालय के पाठ्यक्रम से रामायण-महाभारत से संबंधित पाठ्यक्रम हटाया जाता है, तो अलीगढ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय में देश के विभाजन के लिए कारण मोहम्मद अली जीना का चित्र लगाया जाता है । स्वतंत्रता के उपरांत भारत में अल्पसंख्यकों को प्रचुर मात्रा में प्रधानता देकर हिन्दुओं का सदैव ही दमन किया गया । संविधान में निहित न्याय, भाईचारा एवं समानता को साख पर बिठाया जा रहा है । अतः उनके प्रत्यक्ष क्रियान्वयन के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही एकमात्र विकल्प है ।

‘ऑनलाइन’ व्याख्यान के प्रसार में धर्मप्रेमियों का उत्स्फूर्त सहभाग !

इस ऑनलाइन व्याख्यान के प्रसार में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से लिए जानेवाले धर्मशिक्षा वर्ग, धर्मसत्संग एवं साधना सत्संग में सम्मिलित होनेवाले धर्मप्रेमियों ने उत्स्फूर्तता से भाग लिया । इन धर्मप्रेमियों ने अपने संबंधी, मित्रमंडल और परिचित व्यक्तियोंतक इस व्याख्यान का निमंत्रण पहुंचाकर व्यापक प्रसार किया । धर्मप्रेमियों ने इस सेवा में तडप के साथ तथा भावपूर्ण पद्धति से भाग लेने से उन्हें इस सेवा से बहुत आनंद का अनुभव हुआ । इन में से कुछ धर्मप्रेमियों के प्रयास यहां संक्षेप में रख रहे हैं –

१. सोलापुर के श्री. अंबादास पोला ने १६० लोगों को चलितभाष कर निमंत्रण दिया । वे अपने कार्यालयीन व्यस्तताओं से समय निकालकर संपर्क सेवा कर रहे थे । उन्होंने इस सेवा में बहुत आनंद मिलने की बात बताई ।

२. सोलापुर की डॉ. सुप्रिया आगलावे ने ७५ धर्मप्रेमियों को व्याख्यान का निमंत्रण दिया । उन्होंने स्वयं के चिकित्सालय और घर के काम कर यह सेवा की ।

३. मुंबई के धर्मप्रेमी श्रीमती हेमा शेवाळष ने विविध २५० हिन्दुत्वनिष्ठ एवं धर्मप्रेमियों से संपर्क किया, साथ ही अपने संबंधियों और अन्य परिचित १०० लोगों को निमंत्रण दिया ।

४. रघुनाथपुर (जनपद सातारा) के सनातन संस्था के साधक श्री. प्रणव क्षीरसागर ने १८ धर्मप्रेमियों के साथ ऑनलाइन बैठक की । इस बैठक में उपस्थित सभी ने ३१ सहस्र २४२ लोगों को कार्यक्रम की पोस्ट भेजी ।

५. दौंड (जनपद पुणे) के डॉ. नीलेश लोणकर ने प्रसार हेतु क्रियाशील धर्मप्रेमियों से ऑनलाइन बैठक की, साथ ही उन्होंने ४० लोगों को चलितभाष के द्वारा निमंत्रण दिया । उन ४० लोगों ने इस कार्यक्रम के कारण आनंद मिलने की, साथ ही इसके आगे नियमितरूप से कार्यक्रम देखने की बात बताई ।

६. पुणे में व्याख्यान के प्रसार हेतु आयोजित ऑनलाइन बैठक में अनेक धर्मप्रेमी उपस्थित थे । इन सभी ने प्रभावशाली प्रसार किस प्रकार किया जा सकता है, यह सीख लिया और उसके अनुसार ३०० लोगों से संपर्क किया ।

७. गोवा के कुछ धर्मप्रेमियों ने सामाजिक माध्यमों के द्वारा प्रसार किया, साथ ही उन्होंने अपने संबंधियों, मित्रों और सहयोगियों को चलितभाष कर निमंत्रण दिया, साथ ही नामसत्संग एवं फलकप्रसिद्धि जैसे विविध माध्यमों से प्रसार किया ।

ऑनलाइन व्याख्यान में ८ सहस्र जिज्ञासुओं की अभूतपूर्व उपस्थिति हिन्दू जनजागृति समिति एवं सनातन संस्था के कार्य के प्रति विश्‍वास का प्रतीक !

कोरोना महामारी के कारण आजकल चल रही यातायात बंदी के कारण हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता और सनातन संस्था के साधकों को समाज में जाकर धर्मप्रचार और कार्य करने पर मर्यादाएं आई हैं । इसपर विजय प्राप्त कर हिन्दू जनजागृति समिति एवं सनातन संस्था की ओर से आयोजित ‘तनावमुक्त जीवन एवं हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता’ विषय पर आयोजित जिज्ञासुओं ने अभूतपूर्व प्रत्युत्तर किया । व्याख्यान आरंभ होने से पूर्व ही २ सहस्र जिज्ञासु जुडे थे, तो व्याख्यान समाप्त होनेतक यह संख्या ८ सहस्रतक पहुंच गई । इससे सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के ईश्‍वरी कार्य के प्रति तथा उनके द्वारा किए जा रहे मार्गदर्शन के प्रति जिज्ञासुओं के मन में विश्‍वास है, इसका यह प्रतीक ही कहना पडेगा !

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