Menu Close

स्वतंत्रता दिवस के निमित्त ‘चलें स्वराज्य से सुराज्य की ओर…’ विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद

प्रभु श्रीराम और छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित आदर्श व्यवस्था स्थापित करनी होगी ! – अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर

देश को स्वतंत्र होकर और लोकतंत्र को अपनाकर 74 वर्ष हो गए हैं, तब भी देश की स्थिति दयनीय और दुर्बल है । अनाचारों में वृद्धि हुई है तथा भ्रष्टाचार के लिए हमारा देश प्रसिद्ध है । प्रत्येक नागरिक को कोई न कोई कष्ट भोगना ही पड रहा है । देश में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं बचा, जहां भ्रष्टाचार नहीं है । प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एंगस मैडिसन के अनुसार स्वतंत्रता के पूर्व भारत की जीडीपी  (सकल घरेलू उत्पाद की दर) विश्‍व में सर्वोच्च थी । मुगल और अंग्रेजों के आने के पूर्व हमारा देश विकसित था; परंतु अब लोकतंत्र विफल होता दिखाई दे रहा है । यदि हमें आदर्श व्यवस्था चाहिए, तो लोगों को जागरूक होना होगा । अपने अधिकार जानकर संवैधानिक मार्ग से संघर्ष करना होगा और भारत में प्रभु श्रीराम एवं छत्रपति शिवाजी महाराज के समय की आदर्श व्यवस्था स्थापित करनी होगी, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के ‘सुराज्य अभियान’ के समन्वयक अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर ने किया । वे स्वतंत्रता दिवस के निमित्त आरोग्य सहाय्य समिति और ‘सुराज्य अभियान’ आयोजित ‘चलें स्वराज्य से सुराज्य की ओर…’ इस विशेष संवाद में बोल रहे थे ।

स्वराज्य के उपरांत सुराज्य न आने का कारण स्पष्ट करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. नरेंद्र सुर्वे ने कहा कि ‘स्वतंत्रता के पूर्व भारत की गुरुकुल शिक्षापद्धति में व्यावहारिक शिक्षा सहित राष्ट्रवाद, कर्तव्यपरायणता, परोपरकार इत्यादि नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जाती थी; परंतु देश को स्वतंत्र हुए 74 वर्ष हो गए, तब भी हमारी स्वयं की शिक्षाव्यवस्था नहीं है । वर्तमान ‘मेकॉले’ की शिक्षाप्रणाली के कारण नागरिक केवल सुशिक्षित हो रहे हैं; परंतु सुसंस्कारी नहीं हो रहे । इसलिए उच्च शिक्षा प्राप्त कर भारतीय प्रशासकीय सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), डॉक्टर, अधिवक्ता इत्यादि क्षेत्र में सफल लोग सामान्य लोगों को लूटकर भ्रष्टाचार करते दिखाई देते हैं । भारत के लोगों में कानून का कोई भय नहीं रहा । पुलिस थाने एवं न्यायालय के अनेक चक्कर लगाएं, तो भी न्याय नहीं मिलता । आज युवा पीढी के समक्ष भ्रष्ट नेता और अनैतिक चित्रपट कलाकारों का आदर्श प्रस्तुत किया जाता है । यह सभी स्थिति बदलकर सुराज्य स्थापित करने हेतु हमें संगठित होना आवश्यक है ।’

सनातन प्रभात नियतकालिकों की प्रतिनिधि श्रीमती गौरी कुलकर्णी ने कहा कि ‘प्रसारमाध्यमों की शक्ति अत्यंत विशाल है । प्रसारमाध्यमों को राष्ट्रहित और समाजहित की भूमिका अपनानी चाहिए । केवल समस्या न प्रस्तुत कर उनकी जड तक जाकर उन पर उपाय बताना आवश्यक है, ऐसा होने पर सुराज्य स्थापना के अभियान में पत्रकारिता क्षेत्र भी योगदान दे पाएगा । सभी पत्रकारों को लोकमान्य टिळक द्वारा की गई राष्ट्रनिष्ठ पत्रकारिता को अपना आदर्श बनाना चाहिए ।’

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *