डॉ. दाभोळकर के हत्या की जांच जानबूझकर विशेष दिशा में केंद्रित की जा रही है, इसकी जांच की जाए ! – अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर
20 अगस्त 2013 को डॉ. नरेंद्र दाभोळकर की पुणे में हत्या होने के उपरांत पुणे पुलिस ने खंडेलवाल और नागोरी को बंदी बनाया । तदुपरांत जांच ‘सीबीआई’ के पास जाने पर उन्होंने इस प्रकरण में सारंग अकोलकर और विनय पवार को आरोपी तथा डॉ. वीरेंद्र तावडे को मुख्य सूत्रधार घोषित कर उन्हें बंदी बनाया । प्रत्यक्ष हत्या देखनेवाले साक्षी भी खडे किए गए । उसके उपरांत वर्ष 2018 में इसी ‘सीबीआई’ के उन्हीं अधिकारियों ने कहा, ‘सारंग अकोलकर और विनय पवार ने नहीं, अपितु सचिन अंधुरे और शरद कळसकर ने दाभोळकर पर गोलियां चलाई ।’ क्या इसे जांच कहेंगे ? इस जांच की विश्वसनीयता के विषय में कोई भी प्रश्न नहीं करता । ऐसे प्रकरण में आरोपी को जमानत नहीं दी जाती । अभी भी डॉ. तावडे कारागृह में है । इस घटना की जांच योग्य पद्धति से नहीं हुई; परंतु दाभोळकर की हत्या की जांच को जानबूझकर विशेष दिशा दी जा रही है, इसकी जांच होनी चाहिए, ऐसी मांग हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने की । हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘दाभोळकर हत्या प्रकरण : वास्तव और विपर्यास !’ इस ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में वे बोल रहे थे । यह कार्यक्रम १२ हजार से अधिक दर्शकों ने देखा ।
अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने आगे कहा कि ‘संक्षेप में दाभोळकर हत्या प्रकरण में जांच एजेंसियां सभी तथ्यों को अपनी सुविधानुसार तोड-मरोड रही है । यह न्यायालय में भी स्पष्ट होगा । जिस प्रकार मडगाव प्रकरण में सनातन संस्था के 6 साधक निर्दोष मुक्त हुए । उसी प्रकार इस प्रकरण में भी होगा, ऐसी हम आशा करते हैं ।’
हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने कहा कि ‘स्वयं को विवेकवादी कहलानेवाले दाभोळकर की ट्रस्ट में हुए अनेक आर्थिक घोटाले हमने सप्रमाण (सबूतों सहित) सामने लाए हैं । ऐसे ही निरीक्षण सातारा धर्मादाय आयुक्त कार्यालय के निरीक्षक, अधीक्षक और सहायक आयुक्त ने भी प्रविष्ट किए हैं । इतना ही नहीं, अपितु इसी संगठन के कार्याध्यक्ष अविनाश पाटील ने ट्रस्ट के कामकाज पर, साथ ही स्वयं के नियंत्रण में ट्रस्ट रखने का प्रयास करनेवाले दाभोळकर परिवार के सदस्यों पर सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए हैं । इससे हमारे द्वारा किए गए आरोप सत्य है, यह सिद्ध होता है । इसलिए ‘अंनिस’ के अवैध कार्यों की गहन जांच होनी चाहिए । ‘अंनिस’ ट्रस्ट पर तत्काल प्रशासक नियुक्त किया जाए ।’
सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा कि जिसका नाम पहले ‘मानवीय नास्तिक मंच’ था, उसी संगठन को आज ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ का झूठा नाम देकर वास्तव में नास्तिकता का प्रचार किया जा रहा है । जो धर्म को अफीम की गोली मानते हैं, वे व्यक्तिगत रूप से नास्तिक हैं । राजनीतिक विचार से वे कम्युनिस्ट हैं । शारीरिक स्तर पर संघर्ष करते समय वे नक्सलवादी बन जाते हैं तथा वैचारिक स्तर पर संघर्ष करते समय वे ‘अर्बन नक्सलवादी’ बन जाते हैं । इसलिए हम आवाहन करते हैं धर्म न माननेवालों के इन अभियानों से आप दूर रहें ।’