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किलों पर किए गए अतिक्रमणों को नही हटाया, तो सरकार को जनता के आक्रोश का सामना करना पडेगा – श्री. रघुजीराजे आंगरे

पुरातत्त्व विभाग के नियम कठोर होते हैं । पुरातत्व विभाग की अनुमति से ही किसी भी ऐतिहासिक वास्तु और किलों पर संवर्धन के काम किए जा सकते हैं; परंतु मुंबई के निकट के कुलाबा किले की सीधी तटबंदी पर ही एक मजार (कब्र) बनाने का प्रयास होना, तो एक अलग ही उन्माद को दर्शाता है । कब्र का निर्माण कर अतिक्रमण करने के प्रयास का हम विरोध करते हैं । पुरातत्व विभाग अतिक्रमण करनेवालों के विरुद्ध अभियोग प्रविष्ट कर इन अतिक्रमणों को पूर्णतः हटाएं और किलों पर यथास्थिति बनाई जाए जाए, अन्यथा सरकार को जनता के आक्रोश का सामना करना पडेगा, यह चेतावनी ‘सरखेल कान्होजीराजे आंगरे के 9 वें वंशज श्री. रघुजीराजे आंगरे ने दी । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘गढ-किलों पर इस्लामी आक्रमण – पुरातत्व विभाग क्या कर रहा है ?’ इस विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद भी आयोजित किया गया था, उसमें वे बोल रहे थे ।

इस विशेष संवाद में ‘श्री शिवप्रताप भूमि मुक्ति आंदोलन’के निमंत्रक तथा सांगली के पूर्व विधायक श्री. नितीन शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र में अफजलखान के नाम से न्यास चलाया जाता है । महाराष्ट्र राज्य के विशालगढ, प्रतापगढ, रायगढ जैसे कई किलों पर अवैधरूप से दरगाह बनाए जाते हैं और कुछ समय उपरांत उनका रूपांतर बडी मस्जिदों में किया जाता है । महाराष्ट्र की जनता को ये सब होते देखनेवाले पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से इसका स्पष्टीकरण पूछना चाहिए !’

कोल्हापुर के महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के जिला उपाध्यक्ष श्री. युवराज काटकर ने कहा कि विशालगढ पर लगभग 64 स्थानों पर अतिक्रमण हुए हैं । पुरातत्त्व विभागसहित प्रशासन से भी किले पर स्थित मंदिरों की उपेक्षा हुई है । महाराष्ट्र में जिन गढ-किलों पर अतिक्रमण हुए हैं और उसके लिए जो भी लोग दोषी हैं, उन पर कार्यवाही कर इन अतिक्रमणों को नष्ट कर देना चाहिए ।’

‘झुंज प्रतिष्ठान’के संस्थापक-अध्यक्ष श्री. मल्हार पांडे ने कहा कि, ऐतिहासिक वास्तुओं का संवर्धन करने के लिए हम सभी को आगे आना आवश्यक है; क्योंकि हमने ऐसा नहीं किया, तो हमारा जो इतिहास है, वह मिट जाएगा । केंद्र सरकार और केंद्रीय पुरातत्त्व विभाग को प्रमाणोंसहित ज्ञापन प्रस्तुत किया जाए, तो निश्‍चितरूप से इस स्थिति में परिवर्तन आएगा, ऐसा हमें विश्‍वास है ।

हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने कहा कि, छत्रपति शिवाजी महाराज के काल के 300 से अधिक गढ-किले हैं; परंतु आज के समय में उनकी रक्षा होती हुई दिखाई नहीं देती । गढ-किलों पर अतिक्रमण कर उन्हें हरा रंग दिया जा रहा है । रायगढ, विशालगढ, प्रतापगढ, शिवडी, कुलाबासहित महाराष्ट्र के कई गढ-किलों पर अवैधानिक मजारें, दरगाह और मस्जिदों का निर्माण कर अतिक्रमण करनेवालों के विरुद्ध अपराध पंजीकृत किए जाने चाहिए, साथ ही इसके लिए उत्तरदायी पुरातत्व विभाग के संबंधित दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए ।

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