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‘डे’के नाम पर मिशनरी विद्यालयों से नियोजनबद्ध ढंग से हिन्दू संस्कार नष्ट किए जा रहे हैं – अशोक पाठक, राष्ट्रीय अध्यक्ष, ‘सनातन एकता मिशन’

‘वैलेंटाईन डे’ की विकृति छोडें : भारतीय संस्कृति का अंगीकार करें !’इस विषय पर ऑनलाईन विशेष संवाद !

हिन्दू संस्कृति केवल मानव पर ही नहीं, अपितु सभी से प्रेम करना सिखाती है; परंतु यह ज्ञात न होने से ‘डे’ संस्कृति ‘एन्जॉय’ करने के पीछे पडा हुआ आज का युवावर्ग अपनी शिक्षा एवं ब्रह्मचर्य छोडकर झूठे प्रेम के पीछे दौड रहा है । इसलिए उनमें शारीरिक एवं मानसिक विकृतियां निर्माण होकर उनका जीवन व्यर्थ जा रहा है । मुख्यरूप से इस ‘डे’ के नाम पर मिशनरी विद्यालयों में नियोजनबद्ध पद्धति से हिन्दू संस्कार नष्ट किए जा रहे हैं, ऐसा प्रतिपादन उत्तर प्रदेश के ‘सनातन एकता मिशन’के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. अशोक पाठक ने किए । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘वैलेंटाईन डे’की विकृति छोडें : भारतीय संस्कृति का अंगीकार करें !’ इस ‘विशेष संवाद’में बोल रहे थे ।

इस अवसर पर बंगळुरू, कर्नाटक के व्यावसायिक श्री. स्वदेशी प्रशांत बोले कि, 7 फरवरी से 14 फरवरी तक भारतीय युवा पीढी को ‘रोज डे’, ‘फ्रेंडशिप डे’, ‘चॉकलेट डे’, ‘वैलेंटाईन डे’ आदि पश्‍चिमी ‘डे’ मनाने के पीछे, आर्थिक लूट मचाने में आंतरराष्ट्रीय कंपनियों का बहुत बडा षड्यंत्र है । इसमें शुभकामनापत्र, भेटवस्तु, चॉकलेट आदि बनानेवाली अनेक विदेशी कंपनियों का सहभाग होने से इन कंपनियों द्वारा युवावर्ग में ‘डे’ संस्कृति का भारी मात्रा में प्रचार किया जा रहा है । पाश्‍चात्त्य ‘डे’ के माध्यम से 12 से 20 बिलियन डॉलर्स का व्यवसाय किया जाता है । यह अब केवल कुछ ‘डे’ तक ही  मर्यादित न रहकर, हिन्दुओं की दिवाली एवं अन्य त्यौहारों पर पारंपारिक भारतीय मिठाई के स्थान पर सगे-संबंधियों एवं मित्र परिवार को ‘कैडबरी’ भेट दें, ऐसा विज्ञापन करके भारी आर्थिक लूट मचाई जा रही है । इसमें आर्थिक लूट के साथ ही भारतीयों के धर्मांतरण करने का भी षड्यंत्र चल रहा है ।

इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के युवा संगठक श्री. हर्षद खानविलकर बोलेे, ‘‘कथित ‘संत वैलेंटाईन’के अस्तित्व का कोई की प्रमाण न होने से 1969 में ‘रोमन कैथलिक चर्च’ ने संतों की दिनदर्शिका से वैलेंटाईन का नाम हटा दिया । इसके साथ ही रूस के बेलग्रेड, अमेरिका के फ्लोरिडा विश्‍वविद्यालय, चीन, इटली, स्वीडन, नॉर्थ कोरीया, इथियोपिया आदि देशों में भी यह दिन नहीं मनाया जाता । फिर भारत में ही ‘वैलेंटाईन डे’ किसलिए ? केवल युवकों को आकर्षित करते हुए ये विविध कंपनियां अपनी तिजोरी भर रही हैं । इसके विरोध में हिन्दुओं को विद्यालय-महाविद्यालय में जाकर युवकों का प्रबोधन करना चाहिए और ऐसे विज्ञापन करनेवाली कंपनियों का वैधानिक मार्ग से विरोध करना चाहिए । अपनी युवापीढी को धर्मशिक्षा देनी चाहिए । इस अवसर पर भाजप के चाळीसगाव तालुका के अध्यक्ष श्री. सुनील निकम बोले, ‘वैलेंटाईन डे’ यह विकृति ही है । इसकारण युवक-युवतियों का जीवन संकट में पड गया है । इस पाश्‍चात्त्य ‘डे’ से ‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहन मिलता है और कुछ धर्मांध संगठन जानबूझकर इसे फैलाते हैं । इसके विरोध में हिन्दुओं को जागृत होना चाहिए ।

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