‘दि कश्मीर फाइल्स’ यह चलचित्र महाराष्ट्र में करमुक्त करने के संदर्भ में विधान सभा में निवेदन करते समय महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वळसे-पाटील का वक्तव्य हिन्दुओं के प्रति उनकी असंवेदनशीलता व्यक्त करनेवाला है । संपूर्ण देश में भारी मात्रा में प्रसिद्ध हो रहा चलचित्र दि कश्मीर फाइल्स वर्ष 1990 के कश्मीरी हिन्दुओं के विस्थापन से संबंधित है कि वर्ष 1947 में हुए भारत के विभाजन से संबंधित है, यह भी राज्य के गृहमंत्री को ज्ञात न होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है । वर्ष 1947 के विभाजन के समय हुए पाकिस्तान के सिख और हिंदुओं के विस्थापन को भी उनके द्वारा ‘यहां वहां से आना-जाना हुआ’, ऐसा सहज कहना गृहमंत्री बने व्यक्ति को शोभा नहीं देता ।
#KashmirFiles से कानून व्यवस्था बिगडने की बात करनेवाले @Dwalsepatil का वक्तव्य हिन्दुओं के प्रति उनकी असंवेदनशीलता व्यक्त करनेवाला है।
रजा अकादमी के कहनेपर फिल्म ‘मोहम्मद’ पर प्रतिबंध; पर #KashmirFiles टैक्स फ्री की मांग की उपेक्षा, यह कौन सा ‘राष्ट्र’वाद है?@lokmat @TV9Marathi pic.twitter.com/zi5kYfR4Qd
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) March 15, 2022
विशेषतः राष्ट्रवादी कांग्रेस दल के भूतपूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख, जो वर्तमान में कारागृह में हैं, उन्होंने जुलाई 2020 में ‘मोहम्मद: द मेसेंजर ऑफ गॉड’ नामक ईरानी चलचित्र पर दंगाई के रूप में परिचित रजा अकादमी के कहने पर महाराष्ट्र में प्रतिबंध लगाया था । एक संगठन की मांग पर चलचित्र न देखकर ही ‘मोहम्मद’ नामक चलचित्र पर तत्परता से प्रतिबंध लगानेवाला राष्ट्रवादी कांग्रेस का गृहमंत्रालय कश्मीरी हिन्दुओं पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा किए गए अत्याचारों का तथा हिन्दू समाज के वंशसंहार का सत्य प्रस्तुत करनेवाले चलचित्र दि कश्मीर फाइल्स को करमुक्त करने की मांग की उपेक्षा करता है । इसलिए राष्ट्रवादी कांग्रेस का यह कौन सा ‘राष्ट्र’वाद है, यह प्रश्न उत्पन्न होता है ।