मुंबई : नित्य जीवन व्यतीत करते समय महिलाओं को अनेक कठिन प्रसंगों का सामना करना पडता है । ऐसे समय में अपनी सुरक्षा के लिए अन्यों पर निर्भर न रहकर ऐसे प्रसंगा का दृढता से सामना करने हेतु प्रत्येक महिला को धर्मशिक्षा और स्वरक्षा प्रशिक्षण लेना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन कु. शीतल चव्हाण ने किया । त्रिवेणी शिक्षा संस्थान एवं युनाइटेड नारी शक्ति की ओर से विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में मुलुंड में आयोजित एक कार्यक्रम में वे ऐसा बोल रही थीं । उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज की परिस्थिति को देखा जाए, तो निकट भविष्य में युद्धजन्य स्थिति उत्पन्न हो सकती है । ऐसे समय में देश में अंतर्गत अस्थिरता बढ सकती है; इसलिए हमें किसी भी प्रसंग का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए । धर्मशिक्षा के कारण शौर्य का जागरण होना और प्रशिक्षण के कारण शारीरिक और मानसिक बल मिलेगा ।
इस अवसर पर समिति के श्री. हेमंत पुजारे एवं कु. सिद्धि बाळे ने कराटे, दंड शृंखला और कुछ प्रसंगों के माध्यम से स्वरक्षा के प्रदर्शन दिखाए । इस कार्यक्रम में २५ महिलाएं उपस्थित थीं । सेवानिवृत्त न्यायाधीश रमा विजय सावंत-वाघुले के हस्तों कु. शीतल चव्हाण को सम्मानित किया गया ।