यातायात बंदी के उपरांत की विदर्भ के हरू (जनपद यवतमाळ) में संपन्न पहली हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा
यवतमाळ : हिन्दू संस्कृति महान, विश्वव्यापी और कल्याणकारी है । यह संस्कृति मनुष्यजाति के साथ ही प्रत्येक प्राणिमात्र का विचार करनेवाली है । प्राचीन काल में भारत में गुरुकुल शिक्षापद्धति थी । उसमें १४ विद्याएं और ६४ कलाओं की शिक्षा दी जाती थी । उस समय आध्यात्मिक और व्यावहारिक शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जाने के कारण समाजव्यवस्था उत्तम रहती थी; परंतु धूर्त अंग्रेजों ने गुरुकुल शिक्षापद्धति बंद कर मैकॉलेप्रणित अंग्रेजी शिक्षापद्धति आरंभ की, उससे संस्कृति का पतन हुआ । आज के समय में प्रत्येक क्षेत्र में भ्रष्टाचार फैल गया है । पश्चिमी लोगों के अंधानुकरण और स्वार्थी वृत्ति के कारण लोग भोगवादी भौतिक सुख की ओर आकर्षित हुए हैं । इसके फलस्वरूप अधिकांश लोग दुखी हैं । अतः चिरंतन आनंद प्राप्त करने हेतु पश्चिमी लोगों का अंधानुकरण करना छोडकर धर्माचरण करते हुए हिन्दू संस्कृति की रक्षा कीजिए, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के यवतमाळ जिला समन्वयक श्री. मंगेश खांदेल ने किया । ६ मार्च को दारवा तहसील के हरू के संत फकीरजी महाराज मंदिर परिसर में संपन्न हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा में वे ऐसा बोल रहे थे ।
अपने संबोधन में उन्होंने महिलाओं और लडकियों पर हो रहे आक्रमण रोकने हेतु स्वरक्षा प्रशिक्षण का महत्त्व विशद किया । इस समय स्वरक्षा प्रशिक्षणसेवक श्री. अनिकेत अर्धापुरकर और इस गांव में चल रहे स्वरक्षा प्रशिक्षणवर्ग की लडकियों ने स्वरक्षा के प्रदर्शन दिखाए ।
ग्रामवासियों ने बडी संख्या में इस सभा का लाभ उठाया । इस सभा में ह.भ.प. विष्णुपंत सरतापे महाराज की वंदनीय उपस्थिति थी । इस सभा के आयोजन में सरपंच श्रीमती मयुरीताई सरतापे, उपसरपंच श्रीमती आशाताई सोनोने, साथ ही ग्रामवासियों का बहुमूल्य सहयोग मिला । सभा के आयोजन में श्रीमती उषा सावदे ने प्रधानता ली ।